नई दिल्ली: अमूमन दिल्ली विश्वविद्यालय के जाने-माने कॉलेजों में दाखिले की होड़ देखने को मिलती है, लेकिन इस बार डीयू के स्कूल ऑफ ओपन लर्निंग (एसओएल) में भी छात्रों का रुझान देखने को मिला. हालांकि गत वर्ष के मुकाबले इस बार करीब 30 फीसदी कम दाखिले हुए हैं.
गौरतलब है कि 12वीं की बोर्ड परीक्षा में 90 फीसदी तक के अंक लाने वाले छात्रों ने भी एसओएल में दाखिले को प्राथमिकता दी है. वहीं आंकड़ों की माने तो इस साल करीब 2,393 छात्र ऐसे थे. जिनके 90 फीसदी से अधिक अंक आए थे और उन्होंने एसओएल में दाखिला लिया है. वहीं एसओएल के ओएसडी डॉ उमाशंकर पांडेय का कहना है कि इस बार दाखिले के लिए 99,100 आवेदन आए हैं. जबकि गत वर्ष 1,41,303 आवेदन प्राप्त हुए थे.
90 फीसदी तक अंक पाने वाले छात्रों ने लिया दाखिला
बता दें कि दिल्ली विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ ओपन लर्निंग में भले ही गत वर्ष के मुकाबले कम दाखिले हुए हैं, लेकिन इस बार हाई रैंकर्स ने भी डिस्टेंस मोड लर्निंग को ही प्राथमिकता दी है. एसओएल के अधिकारी की मानें तो इस साल 95 हजार से अधिक आवेदन प्राप्त हुए हैं. जिसमें 2,393 छात्र ऐसे हैं जिनके 12वीं की बोर्ड परीक्षा में 90 फीसदी से अधिक अंक आए हैं. इन छात्रों में से 680 छात्रों ने बीकॉम ऑनर्स का चुनाव किया है. जबकि 621 छात्रों ने बीए और बीकॉम प्रोग्राम में दाखिला लिया है. इन छात्रों में से 156 छात्रों ने इंग्लिश ऑनर्स को प्राथमिकता दी है जबकि 315 छात्रों ने पॉलिटिकल साइंस ऑनर्स का चुनाव किया है.
इंग्लिश ऑनर्स सबसे कम छात्रों ने चुना
वहीं एसओएल के ओएसडी डॉ. उमाशंकर पांडेय ने बताया कि इस वर्ष एसओएल में दाखिला लेने वाले ज्यादातर छात्र वह है जिनके 12वीं की बोर्ड परीक्षा में 60 से 90 फ़ीसदी के बीच अंक आए हैं. साथ ही उन्होंने कहा कि बीए प्रोग्राम इस बार छात्रों का पसंदीदा विषय रहा है. जिसमें तकरीबन 34,886 छात्रों ने दाखिला लिया है. वहीं 13,159 छात्रों के बीकॉम प्रोग्राम के लिए दाखिल किए गए हैं. जिसमें पॉलिटिकल साइंस में 9056 छात्रों ने दाखिला लिया है. जबकि इंग्लिश ऑनर्स में 3164 छात्रों को दाखिला मिला है.
छात्रों ने लिया BA प्रोग्राम में एडमिशन
वहीं उन्होंने बताया कि बीए प्रोग्राम में करीब 54,669 उन छात्रों ने दाखिला लिया है जिनके 12वीं की बोर्ड परीक्षा में 60 फीसदी से कम अंक आए हैं जबकि बीकॉम प्रोग्राम में 60 फीसद से कम अंक लाने वाले 19,463 छात्रों का दाखिला हुआ है.
वहीं एसओएल के शिक्षकों का मानना है कि 2019 से एसओएल के छात्र भी चॉइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम (सीबीसीएस) के तहत पढ़ाई कर रहे हैं जबकि रेगुलर कॉलेजों ने सीबीसीएस सिस्टम 4 साल पहले यानि 2015 में ही अपनाया था. ऐसे में यदि एसओएल के छात्र 60 फ़ीसदी से अधिक अंक अपने सेमेस्टर एग्जाम में लाते हैं तो उनके पास रेगुलर कॉलेज में माइग्रेट होने का मौका रहता है. ये एक कारण हो सकता है.
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छात्रों के एसओएल में दाखिला लेने का. साथ ही कहा कि दूसरा सबसे बड़ा कारण यह है कि बहुत सारे छात्र ऐसे हैं जो पढ़ाई के साथ-साथ अपने परिवार की आजीविका के लिए कुछ ना कुछ काम भी करते हैं. ऐसे में एसओएल उनके लिए सबसे अच्छा विकल्प है जिससे वो काम के साथ साथ अपनी पढ़ाई भी कर सकते हैं. इसके अलावा कई छात्र प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारियां भी कर रहे हैं उनके लिए भी एसओएल बेहतर विकल्प है.