नई दिल्ली: उपमुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर उनसे निवेदन किया है कि वर्तमान शिक्षा सत्र तक शिक्षा निदेशक विनय भूषण को दिल्ली में ही बने रहने दिया जाए. उन्होंने पत्र के माध्यम से कहा है कि कोरोना के कारण इस समय पूरा देश एक अभूतपूर्व संकट से गुजर रहा है. कोरोना के कारण हुए लॉकडाउन का सबसे ज्यादा नुकसान बच्चों की शिक्षा पर पड़ रहा है.
शिक्षा निदेशक विनय भूषण को हटाने की ऐसी जल्दबाजी क्यों?
केंद्रीय गृहमंत्री को भेजे पत्र में मनीष सिसोदिया ने कहा है कि दिल्ली के सरकारी स्कूलों में 12वीं कक्षा के नतीजे इस बार 98 फीसद रहे हैं. संभवत: देश में किसी राज्य में सरकारी स्कूलों के नतीजे इतने शानदार नहीं रहे हैं. पिछले सप्ताह नतीजे आने के तुरंत बाद उन्होंने अधिकारियों और शिक्षाविदों की टीम के साथ यह योजना बनाने में जुटे हुए थे कि आने वाले वर्षों में सरकारी स्कूलों में एक भी बच्चा अनुत्तीर्ण ना रहे. हर बच्चा बेहतरीन शिक्षा लेकर राष्ट्र निर्माण में अपनी भूमिका निभा सके.
गुरुवार को शिक्षा विभाग में अधिकारियों के साथ अनुत्तीर्ण रह गए छात्रों से बात कर यह समझने की कोशिश कर रहा था कि आखिर कमी कहां रह गई? छात्रों से बात करके जैसे ही हम अपने शिक्षा व्यवस्था में और सुधार के आगामी रणनीति बना रहे थे, वैसे ही मेरे हाथ में भारत सरकार के गृह मंत्रालय का आदेश आया. जिसमें लिखा है कि दिल्ली के शिक्षा निदेशक विनय भूषण का दिल्ली से बाहर ट्रांसफर कर दिया गया है. मेरे सामने अधिकारियों की टीम अगले कुछ वर्षों में शिक्षा को लेकर सपने बुन रही थी और यह आदेश पढ़ रहा था तो लगा कि सपनों की बुनियाद से एक मजबूत नींव का पत्थर ही खींच दिया था. विनय भूषण को मात्र एक वर्ष हुआ था, फिर उन्हें पद से हटाने में जल्दबाजी क्यों?
मनीष सिसोदिया ने गृहमंत्री को लिखे पत्र में कहा है कि मुझे समझ नहीं आ रहा है कि आपने ऐसा क्यों किया? क्या आपको खुशी नहीं हुई कि दिल्ली के सरकारी स्कूलों के अच्छे नतीजे आए हैं. पत्र में यह भी जिक्र किया है कि आप कहते हैं कि दिल्ली केंद्र शासित प्रदेश है तो क्या केंद्र की जिम्मेदारी नहीं बनती कि वह दिल्ली के शिक्षा के इस काम में और मदद करें.