नई दिल्ली: जामिया हमदर्द अस्पताल के 84 नर्सिंग स्टाफ एक झटके में निकाल दिये गए, जिसके बाद 10 जुलाई से लगातार ये सभी विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. हालांकि इस बीच अस्पताल प्रशासन ने इनमें से कुछ नर्सिंग स्टाफ को वापस ड्यूटी पर रख लिया है. ऐसे में जिन स्टाफ को वापस ड्यूटी पर नहीं बुलाया गया है उन्होंने लेबर कोर्ट में शिकायत की है.
अपनी शिकायत में उन्होंने कहा है कि जामिया हमदर्द अस्पताल में गलत तरीके से उन्हें एक साथ व्हाट्सएप मैसेज के जरिए नौकरी से निकाले जाने की सूचना दी गई, जोकि गैरकानूनी है. एक महीना पहले ही उन सबकी नौकरी के कॉन्ट्रैक्ट का रिन्यूवल हुआ था.
अगर उन्हें निकालना होता तो उसी समय सबको निकाल देते. इनमें से कई ऐसे नर्सिंग स्टाफ हैं जिन्होंने 5 से लेकर 10 साल तक इस अस्पताल में अपनी सेवा दी है. उनका आरोप है कि उनमें से ज्यादातर स्टाफ की कोविड ड्यूटी लगाई गई थी लेकिन बेसिक सुविधाएं भी अस्पताल की ओर से नहीं दी गई.
नर्सिंग स्टाफ अंजुमन ने बताया कि किस तरह से अस्पताल में कॉन्ट्रैक्ट पर काम करने वाले स्टाफ के साथ दोहरा व्यवहार किया जाता है. कॉन्ट्रैक्ट वाले स्टाफ को फैसिलिटी भी नहीं दी जाती. उनका कहना है कि इस अस्पताल में हम लोग काम करते हैं अगर हम बीमार पड़े तो उसी अस्पताल में इलाज कराने का पूरा पैसा लिया जाता है.
वहीं दूसरी तरफ जामिया हमदर्द अस्पताल के मेडिकल सुपरिंटेंडेंट डॉ. सुनील अरोड़ा ने भी इस बात को स्वीकार किया है कि उनके पास लेबर कोर्ट की तरफ से नोटिस आया है. उन्हें अगले बुधवार को लेबर कोर्ट में अपना जवाब दाखिल करने को कहा गया है.सुनील अरोड़ा का कहना है कि कॉन्ट्रैक्ट पर काम करने वाले स्टाफ के साथ कॉन्ट्रैक्ट में सब कुछ लिखा होता है.
डॉ. अरोड़ा ने बताया कि हर साल कॉन्ट्रैक्ट रिन्यू होता है और जरूरी नहीं होता कि सभी स्टाफ का रिन्यूअल कंटीन्यू किया जाए. ऐसे में ये अस्पताल प्रशासन पर निर्भर करता है कि उन्हें स्टाफ की जरुरत है या नहीं.
अगर जरुरत नहीं है तो कॉन्ट्रैक्ट रद्द कर सकते हैं. उन्होंने बताया कि कोरोना संक्रमण की वजह से अस्पताल की हालत खस्ता हो गई है. ये अस्पताल प्रशासन के खिलाफ 10 जुलाई से लगातार प्रोटेस्ट कर रहे हैं.