नई दिल्ली : ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा तिथि का हिंदू धर्म में बहुत बड़ा महत्व है. इस दिन हर साल ज्येष्ठ माह में शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा के दिन हिंदू धर्म की महिलाएं वट वृक्ष की पूजा करती हैं और इस दिन व्रत रखती हैं. बृहस्पतिवार का दिन भगवान विष्णु (Lord Vishnu) को समर्पित होने के कारण यह ज्येष्ठ पूर्णिमा विशेषफलदायी माना जाता है. इसी दिन वट पूर्णिमा व्रत (Vat Purnima Vrat) भी किया जाएगा. ऐसी मान्यता है कि महिलाएं ये व्रत पति की लंबी उम्र और संतान की प्राप्ति के लिए रखती हैं. इस साल ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा 24 जून गुरुवार के दिन है.
विवाहित महिलाएं पति की लंबी आयु के लिए यह व्रत करती हैं. इस दिन वट वृक्ष व सावित्री-सत्यवान (savitri-satyavan) की पूजा की जाती है. इस व्रत के प्रभाव से महिलाओं को पति की दीर्घायु और सुखी वैवाहिक जीवन की प्राप्ति होती है. इस दिन सूर्य (Surya) मिथुन राशि (Mithun Rashi) में और चंद्रमा (Chandrma) के वृश्चिक राशि (vrshchik Rashi) में होने के कारण विशिष्ट संयोग का निर्माण हो रहा है.
पूजा का मुहूर्त
वट पूर्णिमा व्रत तिथि 24 जून की सुबह 3:23 बजे से शुरू होगी और 25 जून को दोपहर 12:09 बजे तक चलेगी. यह व्रत उत्तर भारत में पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और उड़ीसा में वट सावित्री व्रत ज्येष्ठ मास की अमावस्या को रखा जाता है. वहीं महाराष्ट्र, गुजरात और दक्षिण भारत में यह व्रत ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा को रखा जाता है.
जो महिलाएं इस व्रत को रखती हैं वह सुबह जल्दी स्नान करती हैं और नए कपड़े पहनती हैं. साथ ही 16 श्रृंगार करती है. कई महिलाएं अपने हाथों में मेहंदी लगाना भी पसंद करती हैं और इस मौके पर सोने के आभूषण पहनती हैं.
दिन के शुभ मुहूर्त में महिलाएं बरगद के पेड़ के नीचे पूजा करती हैं. पहले सत्यवान और सावित्री की मूर्तियों को रखते हैं और अनुष्ठान के एक भाग के रूप में सिंदूर, फल और अन्य चीजें चढ़ाते हैं. फिर बरगद के पेड़ पर फूल, चावल, पानी, चने के बीज से बने कुछ व्यंजन का भोग लगाते है. इस व्रत में दो काम बहुत जरुरी हैं पहला वट वृक्ष को बांस के पंखे से हवा देना और दूसरा पूजा में भीगे चने का प्रसाद रखना.
वट पूर्णिमा का उपाय
- वट पूर्णिमा के दिन वट वृक्ष में कच्चा दूध चढ़ाना शुभ माना जाता है.
- इस दिन बरगद के पेड़ में जल चढ़ाने से घर में खुशियों का वास होता है.
- ज्येष्ठ माह की वट पूर्णिमा के दिन सभी सुहागन महिलाओं को कच्चे सूत को हल्दी से रंगकर कम से कम तीन बार वट वृक्ष की परिक्रमा जरुर करनी चाहिए.
- वट पूर्णिमा के दिन सावित्री-सत्यवान और भगवान सत्यनारायण की व्रत कथा सुनने से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है.