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किसान आंदोलन : 3 दिन बॉर्डर और 30 दिन मोबाइल पर एक्टिव रहेंगे किसान - भारतीय कृषि कानून ताजा खबर

केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों के विरोध में देश भर के किसान पिछले सात महीनों से आंदोलन कर रहे हैं. कोरोना की दूसरी लहर के बीच किसान आंदोलन की रफ्तार कुछ धीमी रही. कोरोना संक्रमण के घटते मामलों को देखते हुए किसान नेता एक बार फिर आदोलन को तेज करने की कवायद में जुट गए हैं.

Kisan Andolan
किसान आंदोलन
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Published : Jul 10, 2021, 8:43 PM IST

Updated : Jul 10, 2021, 10:46 PM IST

नई दिल्ली : पिछले सात महीनों से केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसान दिल्ली-गाजीपुर बॉर्डर समेत राजधानी दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर बैठकर आंदोलन कर रहे हैं. कोरोना की दूसरी लहर के कारण किसान आंदोलन थोड़ा कमजोर पड़ा था, जिसे तेज करने की कवायद में किसान नेता एक बार फिर जुट गए हैं. किसान आंदोलन लंबा चलने की संभावनाओं को देखते हुए किसान नेता आंदोलन की रणनीति को और पुख्ता करने में जुट गए हैं.

शनिवार को संयुक्त किसान मोर्चा गाजीपुर बॉर्डर के प्रवक्ता जगतार सिंह बाजवा ने कहा कि उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में किसान आंदोलन को घर-घर तक पहुंचाने के लिए नई रणनीति तैयार की गई है, जिसके तहत तीन दिन गाजीपुर बार्डर और 30 दिन मोबाइल यानी सोशल मीडिया पर सक्रिय रहने के लिए किसान, मजदूर और नौजवानों को प्रेरित किया जा रहा है.

किसान आंदोलन में जान फूंकने की कवायद

ये भी पढ़ें- सुखबीर बोले, सत्ता में आए तो आंदोलन में मरे किसानों के परिवार को देंगे सरकारी नौकरी


बाजवा ने कहा कि सात महीने से भी अधिक समय से सड़कों पर बैठे किसान और मजदूर सरकार से लंबी लड़ाई का मन बना चुके हैं. लोकतंत्र विरोधी और संविधान का सम्मान न करने वाली मौजूदा सरकार देश के किसानों मजदूरों के प्रति असंवेदनशील है. इसलिए आंदोलन लंबा चलेगा.

जब तक सरकार तीनों कृषि कानून रद्द नहीं कर देती और MSP (Minimum support price) पर गारंटी कानून नहीं बनाती तब तक आंदोलन जारी रहेगा. उत्तर प्रदेश के किसान और मजदूरों के परिवार के प्रत्येक सदस्य को तीन दिन तक गाजीपुर आंदोलन स्थल पर रहकर सक्रिय रहने को प्रेरित किया जा रहा है. साथ ही जितने भी किसान-मजदूर पुत्र सोशल मीडिया पर एक्टिव हैं, वे महीने के तीस दिन किसान आंदोलन के समर्थन में सोशल मीडिया पर सक्रिय रहेंगे.

ये भी पढ़ें- गाजीपुर बॉर्डर पर ईंधन की बढ़ती कीमतों के खिलाफ किसानों का विरोध-प्रदर्शन


जगतार बाजवा ने कहा सरकार हमारे सब्र का इम्तिहान ले रही है, लेकिन हम इस संघर्ष में कामयाब होंगे. जनता के सामने भाजपा सरकार की पोल पट्टी पूरी तरह से खुल चुकी है. महंगाई रोजगार जैसे मुद्दों पर सरकार पूरी तरह से फेल रही है.

नई दिल्ली : पिछले सात महीनों से केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसान दिल्ली-गाजीपुर बॉर्डर समेत राजधानी दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर बैठकर आंदोलन कर रहे हैं. कोरोना की दूसरी लहर के कारण किसान आंदोलन थोड़ा कमजोर पड़ा था, जिसे तेज करने की कवायद में किसान नेता एक बार फिर जुट गए हैं. किसान आंदोलन लंबा चलने की संभावनाओं को देखते हुए किसान नेता आंदोलन की रणनीति को और पुख्ता करने में जुट गए हैं.

शनिवार को संयुक्त किसान मोर्चा गाजीपुर बॉर्डर के प्रवक्ता जगतार सिंह बाजवा ने कहा कि उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में किसान आंदोलन को घर-घर तक पहुंचाने के लिए नई रणनीति तैयार की गई है, जिसके तहत तीन दिन गाजीपुर बार्डर और 30 दिन मोबाइल यानी सोशल मीडिया पर सक्रिय रहने के लिए किसान, मजदूर और नौजवानों को प्रेरित किया जा रहा है.

किसान आंदोलन में जान फूंकने की कवायद

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बाजवा ने कहा कि सात महीने से भी अधिक समय से सड़कों पर बैठे किसान और मजदूर सरकार से लंबी लड़ाई का मन बना चुके हैं. लोकतंत्र विरोधी और संविधान का सम्मान न करने वाली मौजूदा सरकार देश के किसानों मजदूरों के प्रति असंवेदनशील है. इसलिए आंदोलन लंबा चलेगा.

जब तक सरकार तीनों कृषि कानून रद्द नहीं कर देती और MSP (Minimum support price) पर गारंटी कानून नहीं बनाती तब तक आंदोलन जारी रहेगा. उत्तर प्रदेश के किसान और मजदूरों के परिवार के प्रत्येक सदस्य को तीन दिन तक गाजीपुर आंदोलन स्थल पर रहकर सक्रिय रहने को प्रेरित किया जा रहा है. साथ ही जितने भी किसान-मजदूर पुत्र सोशल मीडिया पर एक्टिव हैं, वे महीने के तीस दिन किसान आंदोलन के समर्थन में सोशल मीडिया पर सक्रिय रहेंगे.

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जगतार बाजवा ने कहा सरकार हमारे सब्र का इम्तिहान ले रही है, लेकिन हम इस संघर्ष में कामयाब होंगे. जनता के सामने भाजपा सरकार की पोल पट्टी पूरी तरह से खुल चुकी है. महंगाई रोजगार जैसे मुद्दों पर सरकार पूरी तरह से फेल रही है.

Last Updated : Jul 10, 2021, 10:46 PM IST
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