नई दिल्ली: दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट ने दिल्ली हिंसा के दौरान दुकानों में लूटपाट और आगजनी के तीन आरोपियों को जमानत दे दिया है. एडिशनल सेशंस जज विनोद यादव ने कहा कि गवाहों के बयान संदिग्ध हैं. कोर्ट ने कहा कि चश्मदीद गवाहों ने जब आरोपियों की पहचान की थी तो, घटना के तुरंत बाद पुलिस को सूचना क्यों नहीं दी.
कोर्ट ने खजूरी खास में पान-बीड़ी की दुकान में लूटपाट करने और आगजनी करने के मामले में जिन आरोपियों को जमानत दी, उनमें शाह आलम, राशिद सैफी और मोहम्मद शादाब शामिल हैं. कोर्ट ने तीनों को बीस-बीस हजार रुपये के निजी मुचलके पर जमानत दी है. कोर्ट ने तीनों को गवाहों को प्रभावित और साक्ष्यों से छेड़छाड़ नहीं करने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने तीनों आरोपियों को इलाके में शांति और सद्भाव बनाये रखने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने आरोपियों को सुनवाई की हर तिथि पर कोर्ट में पेश होने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने आरोपियों को दयालपुर थाने के एसएचओ को अपना फोन नंबर उपलब्ध कराने और अपने मोबाइल पर आरोग्य-सेतु ऐप डाउनलोड करने का निर्देश दिया है.
दुकान में लूटपाट और आगजनी का आरोप
कोर्ट ने कहा कि तीनों आरोपियों का नाम एफआईआर में नहीं था. किसी शिकायतकर्ता ने आरोपियों का नाम नहीं लिया और न ही वैसा सीसीटीवी फुटेज या वायरल वीडियो पेश किया गया, जिसमें तीनों आरोपियों की घटनास्थल पर उपस्थिति दिखाई देती हो. पिछले 24 फरवरी को दंगाईयों की भीड़ ने खजूरी खास में पान-बीड़ी का दुकान चलाने वाले ओम सिंह के दुकान में लूटपाट की और आग लगा दिया था. इस लूटपाट और आगजनी में उसे करीब 55-60 हजार रुपये का नुकसान हुआ और करीब छह हजार रुपये लूट लिए गए थे. जांच में पता चला कि दंगाईयों की भीड़ ने आसपास की कई दुकानों में लूटपाट और आगजनी की थी. उन सभी शिकायतों को एक एफआईआर में जोड़ दिया गया था.