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कश्मीरी पंडित के लिए न्याय की अभी शुरुआत, लेकिन अभी भी अधूरा

अलगाववादी नेता यासीन मलिक के टेरर फंडिंग में दोषी पाए जाने पर एनआईए की स्पेशल कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई है. इसके बाद मलिक के सपोर्ट में पाकिस्तान खुलकर सामने आ गया है.

Justice for Kashmiri Pandits just beginning but still incomplete
Justice for Kashmiri Pandits just beginning but still incomplete
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Published : May 28, 2022, 10:12 PM IST

नई दिल्ली : अलगाववादी नेता यासीन मलिक के टेरर फंडिंग में दोषी पाए जाने पर एनआईए की स्पेशल कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई है. इसके बाद मलिक के सपोर्ट में पाकिस्तान खुलकर सामने आ गया है. इधर यासीन मलिक को उम्र कैद मिलने के बाद कश्मीर में तैनात सभी सशस्त्र बलों की छुट्टियां अगले आदेश तक रद्द कर दी गई हैं. साथ ही सेना को भी हाई अलर्ट पर रखा गया है. हालांकि मलिक को मिली सजा को अधूरा न्याय बताया जा रहा है. ईटीवी भारत से बात करते हुए ऑल इंडिया कश्मीरी समाज के प्रेसिडेंट रमेश रैना ने कहा की यासीन मलिक तो एक इंस्ट्रूमेंट हैं. बल्कि उस समय का सिस्टम इसके लिए जिम्मेदार है.




रमेश रैना ने कोर्ट के इस फैसले का स्वागत किया और कहा कि इस जजमेंट से सिद्ध हो गया कि कानून के हाथ काफी लंबे हैं, लेकिन अभी भी उन एयरफोर्स के जवानों की हत्या और कश्मीरी पंडित की हत्या का बदला पूरा नहीं हुआ है. मलिक एक इंस्ट्रूमेंट हैं टेररिज्म का. जिस समय जेकेएलएफ सामने आई. जिस वक्त हथियार उठाए और उस वक्त की जिम्मेदारी उस सिस्टम पर जाती है. इस सिस्टम ने इसको प्रोटेक्शन दे दिया. जिस सिस्टम ने इसको लॉजिस्टिक दे दिया.

कश्मीरी पंडित के लिए न्याय की अभी शुरुआत, लेकिन अभी भी अधूरा

जब बिंद्रू साहब को मारा गया तो पांच छह महीने पहले सुनने में आया उस समय कम से कम उस वक्त 20 आदमी उसके दुकान पर खड़े थे. जब गोली मारी तो किसी ने हिम्मत नहीं की उसको पीछे से पकड़ने की. तो ऐसे ही सिचुएशन में यासीन मलिक को उस जगह तक पहुंचाने के लिए कौन लोग हैं. बंदूक ऐसा छोटा-मोटा खिलौना नहीं है जो जेब में लेकर घूमते रहें. बल्कि बंदूक एक बड़ी चीज है. छाती चौड़ी करके बंदूक लेकर सड़क पर लेकर चलना इसके पीछे तो कोई ताकत है. इसके पीछे तो कोई लोग हैं, वह लोग आसमान से तो नहीं टपके.



ऑल इंडिया कश्मीर समाज के उपाध्यक्ष मोती लाल मल्ला ने कहा कि मेरा भी वेलकम है. अच्छा हुआ यह अभी शुरुआत है. सैकड़ों ऐसे यासीन मलिक ऐसे वहा हैं. ऐसे गवर्मेंट मशीनरी में भी हैं. यासीन मलिक ने माना कि उसने इस तरह के घोर अपराध किए, लेकिन यासीन मलिक को मिली सजा उसके किए गए अपराध के लिए कम है.

कश्मीरी पंडित के लिए न्याय की अभी शुरुआत, लेकिन अभी भी अधूरा
कश्मीरी पंडित के लिए न्याय की अभी शुरुआत, लेकिन अभी भी अधूरा
यासीन को दिल्ली में बुधवार को कड़ी सुरक्षा के बीच तिहाड़ जेल से कोर्ट लाया गया था. यासीन मलिक ने सुनवाई के दौरान कबूल कर लिया कि वह कश्मीर में आतंकी गतिविधियों में शामिल था. वह प्रतिबंधित संगठन जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (JKLF) का चीफ है. यासीन मलिक को लेकर पाकिस्तान से आवाजें उठने लगी हैं. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने सभी देशों से अपील की है कि वो मोदी सरकार के इस कदम का विरोध करें. पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने भी यासीन मलिक को दोषी ठहराए जाने को लेकर भारत की आलोचना की है.

नई दिल्ली : अलगाववादी नेता यासीन मलिक के टेरर फंडिंग में दोषी पाए जाने पर एनआईए की स्पेशल कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई है. इसके बाद मलिक के सपोर्ट में पाकिस्तान खुलकर सामने आ गया है. इधर यासीन मलिक को उम्र कैद मिलने के बाद कश्मीर में तैनात सभी सशस्त्र बलों की छुट्टियां अगले आदेश तक रद्द कर दी गई हैं. साथ ही सेना को भी हाई अलर्ट पर रखा गया है. हालांकि मलिक को मिली सजा को अधूरा न्याय बताया जा रहा है. ईटीवी भारत से बात करते हुए ऑल इंडिया कश्मीरी समाज के प्रेसिडेंट रमेश रैना ने कहा की यासीन मलिक तो एक इंस्ट्रूमेंट हैं. बल्कि उस समय का सिस्टम इसके लिए जिम्मेदार है.




रमेश रैना ने कोर्ट के इस फैसले का स्वागत किया और कहा कि इस जजमेंट से सिद्ध हो गया कि कानून के हाथ काफी लंबे हैं, लेकिन अभी भी उन एयरफोर्स के जवानों की हत्या और कश्मीरी पंडित की हत्या का बदला पूरा नहीं हुआ है. मलिक एक इंस्ट्रूमेंट हैं टेररिज्म का. जिस समय जेकेएलएफ सामने आई. जिस वक्त हथियार उठाए और उस वक्त की जिम्मेदारी उस सिस्टम पर जाती है. इस सिस्टम ने इसको प्रोटेक्शन दे दिया. जिस सिस्टम ने इसको लॉजिस्टिक दे दिया.

कश्मीरी पंडित के लिए न्याय की अभी शुरुआत, लेकिन अभी भी अधूरा

जब बिंद्रू साहब को मारा गया तो पांच छह महीने पहले सुनने में आया उस समय कम से कम उस वक्त 20 आदमी उसके दुकान पर खड़े थे. जब गोली मारी तो किसी ने हिम्मत नहीं की उसको पीछे से पकड़ने की. तो ऐसे ही सिचुएशन में यासीन मलिक को उस जगह तक पहुंचाने के लिए कौन लोग हैं. बंदूक ऐसा छोटा-मोटा खिलौना नहीं है जो जेब में लेकर घूमते रहें. बल्कि बंदूक एक बड़ी चीज है. छाती चौड़ी करके बंदूक लेकर सड़क पर लेकर चलना इसके पीछे तो कोई ताकत है. इसके पीछे तो कोई लोग हैं, वह लोग आसमान से तो नहीं टपके.



ऑल इंडिया कश्मीर समाज के उपाध्यक्ष मोती लाल मल्ला ने कहा कि मेरा भी वेलकम है. अच्छा हुआ यह अभी शुरुआत है. सैकड़ों ऐसे यासीन मलिक ऐसे वहा हैं. ऐसे गवर्मेंट मशीनरी में भी हैं. यासीन मलिक ने माना कि उसने इस तरह के घोर अपराध किए, लेकिन यासीन मलिक को मिली सजा उसके किए गए अपराध के लिए कम है.

कश्मीरी पंडित के लिए न्याय की अभी शुरुआत, लेकिन अभी भी अधूरा
कश्मीरी पंडित के लिए न्याय की अभी शुरुआत, लेकिन अभी भी अधूरा
यासीन को दिल्ली में बुधवार को कड़ी सुरक्षा के बीच तिहाड़ जेल से कोर्ट लाया गया था. यासीन मलिक ने सुनवाई के दौरान कबूल कर लिया कि वह कश्मीर में आतंकी गतिविधियों में शामिल था. वह प्रतिबंधित संगठन जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (JKLF) का चीफ है. यासीन मलिक को लेकर पाकिस्तान से आवाजें उठने लगी हैं. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने सभी देशों से अपील की है कि वो मोदी सरकार के इस कदम का विरोध करें. पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने भी यासीन मलिक को दोषी ठहराए जाने को लेकर भारत की आलोचना की है.
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