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कई देशों में ड्रग्स सप्लाई करने वाला किशन सिंह प्रत्यर्पण कर लाया गया भारत

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Published : Mar 22, 2021, 8:31 PM IST

यूके से प्रत्यर्पण कर लाया गया ड्रग्स तस्कर किशन सिंह न केवल भारत बल्कि कई देशों में ड्रग्स सप्लाई करता था. किशन भारत के विभिन्न इलाकों में ड्रग्स की सप्लाई करवाता था. पुलिस ने इस गैंग के तीन सदस्यों को गिरफ्तार किया था. उन्होंने पूछताछ के दौरान किशन सिंह का नाम लिया था.

kishan singh extradited to India
ड्रग्स सप्लाई करने वाला किशन सिंह प्रत्यर्पण कर लाया गया भारत

नई दिल्ली : यूके से प्रत्यर्पण कर भारत लाया गया ड्रग्स तस्कर किशन सिंह न केवल भारत बल्कि कई देशों में ड्रग्स सप्लाई करता था. वह कुरियर के माध्यम से भारत में बैठे एजेंट से ड्रग्स भिजवाता था. उसने वर्ष 2015 में ब्रिटेन की नागरिकता ले ली थी. पुलिस अब उससे पूरे नेटवर्क को लेकर पूछताछ कर रही है.


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डीसीपी संजीव यादव के अनुसार, 39 वर्षीय किशन सिंह मूल रूप से राजस्थान का रहने वाला है. वर्ष 2015 में उसने ब्रिटेन की नागरिकता ले ली थी. लंदन के हेस इलाके में वह रहता था, जहां से उसे प्रत्यर्पण कर भारत लाया गया है. वह एक इंटरनेशनल ड्रग रैकेट का सरगना है. पुलिस ने इस गैंग के तीन सदस्यों को गिरफ्तार किया था. उन्होंने बताया था कि वह किशन के इशारे पर अवैध ड्रग्स मुंबई के एक सप्लायर से लेते हैं. इसके बाद कोरियर एजेंट के माध्यम से इसकी खेप को विदेश भेजते हैं.


ऐसे जीती प्रत्यर्पण की कानूनी जंग

डीसीपी संजीव यादव के अनुसार, दिल्ली में दर्ज ड्रग्स केस में अदालत ने किशन सिंह को भगोड़ा घोषित कर रखा था. उसके खिलाफ गैर जमानती वारंट भी जारी हुआ था. जून 2018 में उसके प्रत्यर्पण को लेकर इंटरपोल के माध्यम से ब्रिटेन सरकार से निवेदन किया गया था. जुलाई 2019 में किशन सिंह के प्रत्यर्पण को यूके की मंजूरी मिल गई थी. इसके खिलाफ वह लंदन हाईकोर्ट चला गया. मजबूत साक्ष्य होने के चलते उसकी याचिका को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया था. इसके बाद उसने यूरोपियन कोर्ट ऑफ ह्यूमन राइट्स में अपील की, जहां से उसकी अपील खारिज हो गई. डीसीपी प्रमोद सिंह कुशवाहा, एसीपी संजय दत्त और इंस्पेक्टर अनुज कुमार की टीम लंदन से उसे लेकर भारत आई है.

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ऐसे बना इंटरनेशनल ड्रग्स तस्कर

किशन सिंह राजस्थान के नागौर जिला का रहने वाला है. वह 2009 में राजस्थान छोड़कर लंदन चला गया था. वहां पर वह खिड़की बनाने का कारोबार करता था. 2015 में उसने ब्रिटेन की नागरिकता हासिल कर ली थी. वह मुख्य रूप से म्याऊं- म्याऊं नामक ड्रग्स का कारोबार करता है. यह ड्रग्स दक्षिण अफ्रीका में पाई जाती है. वहां से यह मुंबई पहुंचती थी. मुंबई से यह दिल्ली के एजेंटों के पास जाती थी जो इसे अमेरिका, ब्रिटेन, मलेशिया और अन्य देशों में भेजते थे.

नई दिल्ली : यूके से प्रत्यर्पण कर भारत लाया गया ड्रग्स तस्कर किशन सिंह न केवल भारत बल्कि कई देशों में ड्रग्स सप्लाई करता था. वह कुरियर के माध्यम से भारत में बैठे एजेंट से ड्रग्स भिजवाता था. उसने वर्ष 2015 में ब्रिटेन की नागरिकता ले ली थी. पुलिस अब उससे पूरे नेटवर्क को लेकर पूछताछ कर रही है.


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डीसीपी संजीव यादव के अनुसार, 39 वर्षीय किशन सिंह मूल रूप से राजस्थान का रहने वाला है. वर्ष 2015 में उसने ब्रिटेन की नागरिकता ले ली थी. लंदन के हेस इलाके में वह रहता था, जहां से उसे प्रत्यर्पण कर भारत लाया गया है. वह एक इंटरनेशनल ड्रग रैकेट का सरगना है. पुलिस ने इस गैंग के तीन सदस्यों को गिरफ्तार किया था. उन्होंने बताया था कि वह किशन के इशारे पर अवैध ड्रग्स मुंबई के एक सप्लायर से लेते हैं. इसके बाद कोरियर एजेंट के माध्यम से इसकी खेप को विदेश भेजते हैं.


ऐसे जीती प्रत्यर्पण की कानूनी जंग

डीसीपी संजीव यादव के अनुसार, दिल्ली में दर्ज ड्रग्स केस में अदालत ने किशन सिंह को भगोड़ा घोषित कर रखा था. उसके खिलाफ गैर जमानती वारंट भी जारी हुआ था. जून 2018 में उसके प्रत्यर्पण को लेकर इंटरपोल के माध्यम से ब्रिटेन सरकार से निवेदन किया गया था. जुलाई 2019 में किशन सिंह के प्रत्यर्पण को यूके की मंजूरी मिल गई थी. इसके खिलाफ वह लंदन हाईकोर्ट चला गया. मजबूत साक्ष्य होने के चलते उसकी याचिका को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया था. इसके बाद उसने यूरोपियन कोर्ट ऑफ ह्यूमन राइट्स में अपील की, जहां से उसकी अपील खारिज हो गई. डीसीपी प्रमोद सिंह कुशवाहा, एसीपी संजय दत्त और इंस्पेक्टर अनुज कुमार की टीम लंदन से उसे लेकर भारत आई है.

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ऐसे बना इंटरनेशनल ड्रग्स तस्कर

किशन सिंह राजस्थान के नागौर जिला का रहने वाला है. वह 2009 में राजस्थान छोड़कर लंदन चला गया था. वहां पर वह खिड़की बनाने का कारोबार करता था. 2015 में उसने ब्रिटेन की नागरिकता हासिल कर ली थी. वह मुख्य रूप से म्याऊं- म्याऊं नामक ड्रग्स का कारोबार करता है. यह ड्रग्स दक्षिण अफ्रीका में पाई जाती है. वहां से यह मुंबई पहुंचती थी. मुंबई से यह दिल्ली के एजेंटों के पास जाती थी जो इसे अमेरिका, ब्रिटेन, मलेशिया और अन्य देशों में भेजते थे.

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