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केंद्र और दिल्ली सरकार के वर्चस्व की लड़ाई में पिस रहे 12 कॉलेजों के कर्मचारी: शिक्षक संघ

12 कॉलेजों का अनुदानित फंड रोकने के बाद से इसे लेकर राजनीतिक पार्टियों के बीच जमकर आरोप प्रत्यारोप हो रहे हैं. अब कांग्रेस द्वारा समर्थित शिक्षक संघ इंटक के अध्यक्ष और राजधानी कॉलेज के प्रोफेसर अश्विनी शंकर ने इस मामले में सरकार को घेरा है.

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Published : Aug 19, 2020, 7:51 PM IST

Intak president raises questions on Kejriwal government for stopping grant funds in delhi
अनुदानित फंड रोकने पर शिक्षक संघ ने घेरी केजरीवाल सरकार

नई दिल्ली: राजधानी में 12 कॉलेजों का अनुदानित फंड दिल्ली सरकार द्वारा भ्रष्टाचार के आरोप में रोक दिया गया है. जिसके बाद से ही इसे लेकर राजनीतिक पार्टियों के बीच जमकर आरोप-प्रत्यारोप हो रहे हैं.

अनुदानित फंड रोकने पर शिक्षक संघ ने घेरी केजरीवाल सरकार

अब कांग्रेस द्वारा समर्थित शिक्षक संघ इंटक के अध्यक्ष और राजधानी कॉलेज के प्रोफेसर अश्विनी शंकर ने कहा है कि केंद्र और दिल्ली सरकार के बीच वर्चस्व की लड़ाई का खामियाजा इन 12 कॉलेजों के कर्मचारियों को उठाना पड़ रहा है.

वर्चस्व की है लड़ाई

ईटीवी भारत से खास बात करते हुए कांग्रेस समर्थित शिक्षक संघ इंटक के अध्यक्ष अश्विनी शंकर ने कहा कि पिछले 8 महीने में तीसरी बार फंड की समस्या सामने आई है. आम आदमी पार्टी और केंद्र सरकार के बीच वर्चस्व की लड़ाई के कारण सैकड़ों कर्मचारियों के समक्ष रोजी-रोटी का संकट उत्पन्न हो गया है.

उन्होंने कहा कि दोनों सरकारें अपने नुमाइंदे इन कॉलेजों में भेजना चाहते हैं और इसी वजह से इन कॉलेजों में फंड की समस्या उत्पन्न हो रही है.

शर्तों से नहीं जोड़ सकते अनुदान का मुद्दा

अश्विनी सरकार ने कहा कि किसी भी शर्तों से अनुदान के मुद्दे को जोड़ा नहीं जा सकता. तनख्वाह किसी भी शैक्षणिक या गैर शैक्षणिक कर्मचारी का अधिकार है. आपदा के समय में दिल्ली सरकार द्वारा हमें फंड ना देना एक क्रिमिनल ऑफेंस है.

यह दिल्ली सरकार की नैतिक जिम्मेदारी है कि इन 12 कॉलेजों के लिए समय से अनुदान दे लेकिन इसमें दिल्ली सरकार पूरी तरह से विफल रही है.

रोजमर्रा की चीजों के लिए जूझ रहे कर्मचारी

अश्विनी शंकर ने कहा कि हर शिक्षक या कर्मचारी का एक परिवार होता है. उसकी रोजमर्रा की जरूरतें होती हैं. ऐसे में इन 12 कॉलेजों के कर्मचारियों के समक्ष अपने रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करने में परेशानी आ रही है.

इन 12 कॉलेजों में कई तदर्थ शिक्षक हैं जिनकी नियुक्ति हर 4 महीने के बाद रिन्यू होती है. ऐसे में उन्हें कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. एक तो वह अस्थाई है और ऊपर से उन्हें इस कठिन समय में भी तनख्वाह नहीं मिल रही.

हमें फंड दे दिल्ली सरकार

दिल्ली सरकार द्वारा इन कॉलेजों पर लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोप पर अश्विनी शंकर ने कहा कि इन कॉलेजों में 3 तरह से ऑडिट होते हैं.

पहला आंतरिक ऑडिट जो स्वयं कॉलेज द्वारा किया जाता है. दूसरा अल्फा ऑडिट जो दिल्ली सरकार द्वारा कराया जाता है. तीसरा एजीसीआर ऑडिट जो महालेखा परीक्षक एवं नियंत्रक भारत सरकार (CAG)द्वारा किया जाता है. इसके अतिरिक्त दिल्ली सरकार इन कॉलेजों में ऑडिट कराने के लिए स्वतंत्र है.

उन्होंने कहा कि बिना किसी योग्य ऑडिट रिपोर्ट के इन कॉलेजों पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाना अनुचित और न्याय उचित नहीं है. इसके अलावा दिल्ली विश्वविद्यालय के कॉलेजों के शिक्षण और गैर शिक्षक कर्मचारियों को अध्यादेश के तहत कोई भी सुविधाएं नहीं मिल रही हैं.

नई दिल्ली: राजधानी में 12 कॉलेजों का अनुदानित फंड दिल्ली सरकार द्वारा भ्रष्टाचार के आरोप में रोक दिया गया है. जिसके बाद से ही इसे लेकर राजनीतिक पार्टियों के बीच जमकर आरोप-प्रत्यारोप हो रहे हैं.

अनुदानित फंड रोकने पर शिक्षक संघ ने घेरी केजरीवाल सरकार

अब कांग्रेस द्वारा समर्थित शिक्षक संघ इंटक के अध्यक्ष और राजधानी कॉलेज के प्रोफेसर अश्विनी शंकर ने कहा है कि केंद्र और दिल्ली सरकार के बीच वर्चस्व की लड़ाई का खामियाजा इन 12 कॉलेजों के कर्मचारियों को उठाना पड़ रहा है.

वर्चस्व की है लड़ाई

ईटीवी भारत से खास बात करते हुए कांग्रेस समर्थित शिक्षक संघ इंटक के अध्यक्ष अश्विनी शंकर ने कहा कि पिछले 8 महीने में तीसरी बार फंड की समस्या सामने आई है. आम आदमी पार्टी और केंद्र सरकार के बीच वर्चस्व की लड़ाई के कारण सैकड़ों कर्मचारियों के समक्ष रोजी-रोटी का संकट उत्पन्न हो गया है.

उन्होंने कहा कि दोनों सरकारें अपने नुमाइंदे इन कॉलेजों में भेजना चाहते हैं और इसी वजह से इन कॉलेजों में फंड की समस्या उत्पन्न हो रही है.

शर्तों से नहीं जोड़ सकते अनुदान का मुद्दा

अश्विनी सरकार ने कहा कि किसी भी शर्तों से अनुदान के मुद्दे को जोड़ा नहीं जा सकता. तनख्वाह किसी भी शैक्षणिक या गैर शैक्षणिक कर्मचारी का अधिकार है. आपदा के समय में दिल्ली सरकार द्वारा हमें फंड ना देना एक क्रिमिनल ऑफेंस है.

यह दिल्ली सरकार की नैतिक जिम्मेदारी है कि इन 12 कॉलेजों के लिए समय से अनुदान दे लेकिन इसमें दिल्ली सरकार पूरी तरह से विफल रही है.

रोजमर्रा की चीजों के लिए जूझ रहे कर्मचारी

अश्विनी शंकर ने कहा कि हर शिक्षक या कर्मचारी का एक परिवार होता है. उसकी रोजमर्रा की जरूरतें होती हैं. ऐसे में इन 12 कॉलेजों के कर्मचारियों के समक्ष अपने रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करने में परेशानी आ रही है.

इन 12 कॉलेजों में कई तदर्थ शिक्षक हैं जिनकी नियुक्ति हर 4 महीने के बाद रिन्यू होती है. ऐसे में उन्हें कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. एक तो वह अस्थाई है और ऊपर से उन्हें इस कठिन समय में भी तनख्वाह नहीं मिल रही.

हमें फंड दे दिल्ली सरकार

दिल्ली सरकार द्वारा इन कॉलेजों पर लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोप पर अश्विनी शंकर ने कहा कि इन कॉलेजों में 3 तरह से ऑडिट होते हैं.

पहला आंतरिक ऑडिट जो स्वयं कॉलेज द्वारा किया जाता है. दूसरा अल्फा ऑडिट जो दिल्ली सरकार द्वारा कराया जाता है. तीसरा एजीसीआर ऑडिट जो महालेखा परीक्षक एवं नियंत्रक भारत सरकार (CAG)द्वारा किया जाता है. इसके अतिरिक्त दिल्ली सरकार इन कॉलेजों में ऑडिट कराने के लिए स्वतंत्र है.

उन्होंने कहा कि बिना किसी योग्य ऑडिट रिपोर्ट के इन कॉलेजों पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाना अनुचित और न्याय उचित नहीं है. इसके अलावा दिल्ली विश्वविद्यालय के कॉलेजों के शिक्षण और गैर शिक्षक कर्मचारियों को अध्यादेश के तहत कोई भी सुविधाएं नहीं मिल रही हैं.

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