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HC: जजों और वकीलों को कोरोना का वैक्सीन देने में प्राथमिकता देने के मामले पर सुनवाई टली - जजों और वकीलों को कोरोना का वैक्सीन

दिल्ली हाइकोर्ट ने जजों, वकीलों और विधि व्यवसाय से जुड़े लोगों को कोरोना का वैक्सीन देने में प्राथमिकता देने के मामले पर सुनवाई टाल दी है.

Hearing  averted on the case of giving priority to the corona vaccine to judges and lawyers
जजों और वकीलों को कोरोना का वैक्सीन देने में प्राथमिकता देने के मामले पर सुनवाई टली
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Published : Mar 10, 2021, 9:09 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली हाइकोर्ट ने जजों, वकीलों और विधि व्यवसाय से जुड़े लोगों को कोरोना का वैक्सीन देने में प्राथमिकता देने के मामले पर सुनवाई टाल दी है. जस्टिस विपिन सांघी की अध्यक्षता वाली बेंच ने ये आदेश जारी किया.


भारत बायोटेक सुप्रीम कोर्ट पहुंची

आज सुनवाई के दौरान वैक्सीन बनाने वाली एक कंपनी भारत बायोटेक की ओर से वकील नीरज किशन कौल ने कहा कि ऐसी ही एक याचिका बांबे हाईकोर्ट में भी लंबित है. भारत बायोटेक ने कहा कि उसने इस मामले से संबंधित विभिन्न हाईकोर्ट में लंबित मामलों को सुप्रीम कोर्ट ट्रांसफर करने के लिए याचिका दायर किया है. सुप्रीम कोर्ट में इस मामले पर 15 मार्च को सुनवाई होने वाली है. उसके बाद कोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई टाल दिया.

ये भी पढ़ें: कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को कंगना के खिलाफ ATR फाइल करने के दिए निर्देश

वैक्सीन बनानेवाली कंपनियों की क्षमता का उपयोग नहीं हो रहा

इस मामले पर हाईकोर्ट ने स्वत संज्ञान लिया है. पिछले 4 मार्च को सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा था कि कोरोना के वैक्सीनेशन की सबको जरुरत है. कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा था कि कोरोना का वैक्सीन केवल साठ साल के ऊपर के लोगों को ही कोरोना का वैक्सीन देने में प्राथमिकता क्यों दे रही है.

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने इस बात को नोट किया था कि कोरोना का वैक्सीन बनाने वाली दो कंपनियों सीरम इंस्टीट्यूट और भारत बायोटेक की पूर्ण क्षमता का उपयोग नहीं किया जा रहा है. इन कंपनियों के वैक्सीन दूसरे देशों को या तो बेचे जा रहे हैं या दान किए जा रहे हैं.

सुनवाई के दौरान सीरम इंस्टीट्यूट और भारत बायोटेक ने कहा था कि वो विधि व्यवसाय से जुड़े लोगों को प्राथमिकता के आधार पर वैक्सीन लगा सकते हैं. कोर्ट ने कहा था कि जब ये दोनों कंपनियां ये कह रही है कि वे विधि व्यवसाय से जुड़े लोगों को प्राथमिकता के आधार पर वैक्सीन दे सकती हैं तो ऐसा लगता है कि उनकी क्षमता का पूरा उपयोग नहीं किया जा रहा है.

केंद्र से वैक्सीन की परिवहन क्षमता के बारे में पूछा

सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से एएसजी चेतन शर्मा और अनिल सोनी ने कहा था कि किस वर्ग के लोगों को वैक्सीन देना है ये सरकार का नीतिगत मामला है. ये फैसला विशेषज्ञों की राय के मुताबिक होता है. कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया था कि वे वैक्सीन के परिवहन की अपनी क्षमता को लेकर हलफनामा दाखिल करें.

कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा था कि क्या वैक्सीन के परिवहन की क्षमता और बढ़ाई जा सकती है.

नई दिल्ली: दिल्ली हाइकोर्ट ने जजों, वकीलों और विधि व्यवसाय से जुड़े लोगों को कोरोना का वैक्सीन देने में प्राथमिकता देने के मामले पर सुनवाई टाल दी है. जस्टिस विपिन सांघी की अध्यक्षता वाली बेंच ने ये आदेश जारी किया.


भारत बायोटेक सुप्रीम कोर्ट पहुंची

आज सुनवाई के दौरान वैक्सीन बनाने वाली एक कंपनी भारत बायोटेक की ओर से वकील नीरज किशन कौल ने कहा कि ऐसी ही एक याचिका बांबे हाईकोर्ट में भी लंबित है. भारत बायोटेक ने कहा कि उसने इस मामले से संबंधित विभिन्न हाईकोर्ट में लंबित मामलों को सुप्रीम कोर्ट ट्रांसफर करने के लिए याचिका दायर किया है. सुप्रीम कोर्ट में इस मामले पर 15 मार्च को सुनवाई होने वाली है. उसके बाद कोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई टाल दिया.

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वैक्सीन बनानेवाली कंपनियों की क्षमता का उपयोग नहीं हो रहा

इस मामले पर हाईकोर्ट ने स्वत संज्ञान लिया है. पिछले 4 मार्च को सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा था कि कोरोना के वैक्सीनेशन की सबको जरुरत है. कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा था कि कोरोना का वैक्सीन केवल साठ साल के ऊपर के लोगों को ही कोरोना का वैक्सीन देने में प्राथमिकता क्यों दे रही है.

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने इस बात को नोट किया था कि कोरोना का वैक्सीन बनाने वाली दो कंपनियों सीरम इंस्टीट्यूट और भारत बायोटेक की पूर्ण क्षमता का उपयोग नहीं किया जा रहा है. इन कंपनियों के वैक्सीन दूसरे देशों को या तो बेचे जा रहे हैं या दान किए जा रहे हैं.

सुनवाई के दौरान सीरम इंस्टीट्यूट और भारत बायोटेक ने कहा था कि वो विधि व्यवसाय से जुड़े लोगों को प्राथमिकता के आधार पर वैक्सीन लगा सकते हैं. कोर्ट ने कहा था कि जब ये दोनों कंपनियां ये कह रही है कि वे विधि व्यवसाय से जुड़े लोगों को प्राथमिकता के आधार पर वैक्सीन दे सकती हैं तो ऐसा लगता है कि उनकी क्षमता का पूरा उपयोग नहीं किया जा रहा है.

केंद्र से वैक्सीन की परिवहन क्षमता के बारे में पूछा

सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से एएसजी चेतन शर्मा और अनिल सोनी ने कहा था कि किस वर्ग के लोगों को वैक्सीन देना है ये सरकार का नीतिगत मामला है. ये फैसला विशेषज्ञों की राय के मुताबिक होता है. कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया था कि वे वैक्सीन के परिवहन की अपनी क्षमता को लेकर हलफनामा दाखिल करें.

कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा था कि क्या वैक्सीन के परिवहन की क्षमता और बढ़ाई जा सकती है.

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