नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने नीतीश कटारा मामले में दोषी विकास यादव पर बड़ा फैसला सुनाया है. कोर्ट ने 2011 में एम्स अस्पताल से बिना पेरोल मिले ही जाने की अनुमति देनेवाले दो पुलिसकर्मियों को बर्खास्त करने के सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्युनल (कैट) के फैसले पर मुहर लगाई है. जस्टिस विपिन सांघी और जस्टिस रजनीश भटनागर की बेंच ने ये फैसला सुनाया.
2012 में हुए थे बर्खास्त
मामला 2011 का है जब 26-27 नवंबर की दरम्यानी रात को हेड कांस्टेबल ईश्वर सिंह और कांस्टेबल रमेश कुमार ने विकास यादव को एम्स अस्पताल से रात 12.45 बजे से लेकर सुबह 6 बजे तक अस्पताल से बाहर जाने की अनुमति दी. जब इस मामले की जांच हुई तो इसकी रिपोर्ट सही पाई गई. विभागीय अनुशासनिक समिति ने दोनों पुलिसकर्मियों को 14 अगस्त 2012 को बर्खास्त करने का आदेश दिया. इस आदेश के खिलाफ दोनों पुलिसकर्मियों ने कैट का दरवाजा खटखटाया. कैट ने दोनों की बर्खास्तगी के आदेश पर मुहर लगा दी.
कैट के आदेश के खिलाफ दोनों पुलिसकर्मियों ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया. हाईकोर्ट ने दोनों पुलिसकर्मयों की दलीलों को ठुकराते हुए कहा कि दोनों का व्यवहार पुलिस सेवा के अनुकूल नहीं था इसलिए कैट के आदेश में दखल देने से सवाल ही पैदा नहीं होता है.
आपको बता दें कि 3 अक्टूबर 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने विकास यादव और विशाल यादव की सजा घटाकर 25 साल कैद कर दी थी जबकि विशाल यादव की भी सजा घटाकर 20 साल की कैद कर दी थी. दिल्ली हाईकोर्ट ने विकास यादव और विशाल यादव को 25 साल और 5 साल की दो सजा यानि 30 साल कैद की सजा दी थी जबकि सुखदेव पहलवान को 20 और 5 साल यानि 25 साल की कैद की सजा दी थी.