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दिल्ली-हरियाणा जल विवाद: हरियाणा सरकार ने हाईकोर्ट के क्षेत्राधिकार को चुनौती दी - रिटायर्ड जज इंदर मीत कौर

दिल्ली को पानी न मिलने के मामले मे हरियाणा सरकार ने हाईकोर्ट में दायर अपने हलफनामे में कहा कि अपर रिवर यमुना बोर्ड पानी के बंटवारे के विवाद पर फैसला करने के लिए उचित निकाय है.

दिल्ली उच्च नयायलाय,ईटीवी भारत
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Published : Jul 24, 2019, 10:36 AM IST

नई दिल्ली: हरियाणा से दिल्ली को पानी न मिलने के मामले में हरियाणा सरकार ने कहा कि दिल्ली हाईकोर्ट को सुनवाई करने का अधिकार नहीं है.


हरियाणा सरकार ने अपने वकील एसबी त्रिपाठी के जरिये कहा कि हाईकोर्ट इस मामले पर क्षेत्राधिकार पर फैसला करने में नाकाम रहा है. हरियाणा सरकार ने हाईकोर्ट द्वारा इस मामले की जांच के लिए गठित कमेटी की रिपोर्ट को खारिज करने की मांग की है. हाईकोर्ट ने रिटायर्ड जज इंदर मीत कौर की अध्यक्षता में जांच कमेटी का गठन किया था. हरियाणा सरकार ने कहा कि इस कमेटी ने एक बार ही मुआयना कर रिपोर्ट बना दिया. हरियाणा सरकार ने कहा है कि दिल्ली में यमुना के जरिये पानी की पर्याप्त आपूर्ति होती है.

हाईकोर्ट ने लगायी हरियाणा सरकार को फटकार
पिछले 8 मई को हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार को फटकार लगाई थी. कोर्ट इस बात पर नाराज थी कि आखिर उसके आदेशों का पालन क्यों नहीं किया जा रहा है. सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार ने हरियाणा सरकार पर पानी की आपूर्ति नहीं करने का आरोप लगाया था.


दिल्ली जल बोर्ड का कहना था कि दिल्ली देश की राजधानी है और पानी की आपूर्ति पड़ोसी राज्य से ही होगी. ये कोई बंधक देश नहीं है जिसे अपनी जरूरत का पानी नहीं दिया जाएगा. इसके लिए मानिटरिंग कमेटी का गठन भी किया जाएगा.

हरियाणा सरकार ने बताया
सुनवाई के दौरान हरियाणा सरकार का कहना था कि वो दिल्ली को 719 क्यूसेक की बजाय रोजाना 1049 क्यूसेक पानी दे रहा है. हरियाणा सरकार ने आरोप लगाया था कि दिल्ली में लीकेज होने की वजह से करीब 300 क्युसेक पानी बर्बाद हो जता है. हरियाणा सरकार ने कहा था कि दिल्ली वजीराबाद रिजर्वायर में काफी मात्रा में पानी देता है जो पानी की बर्बादी है. इसके बावजूद हरियाणा दिल्ली को लगातार पानी देता रहा है.


हरियाणा सरकार ने कहा था कि दिल्ली के 2017-18 के आर्थिक सर्वे में कहा गया है कि लीकेज की वजह से ट्रीटेड पानी का 30 फीसदी हिस्सा बर्बाद हो जाता है. जिसका मतलब है कि करीब 300 क्युसेक पानी बर्बाद हो रहा है.
सुनवाई के दौरान दिल्ली जल बोर्ड की ओर से वकील सुमित पुष्कर्णा ने कहा था कि दिल्ली सरकार ने जल विवाद को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा था.


जिसके बाद दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों सचिवों की बैठक प्रस्तावित की गयी. पिछले 5 फरवरी को हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार को निर्देश दिया था कि वो यमुना में साफ पानी के रास्ते में आ रही सभी रुकावटों को दूर करें.

नई दिल्ली: हरियाणा से दिल्ली को पानी न मिलने के मामले में हरियाणा सरकार ने कहा कि दिल्ली हाईकोर्ट को सुनवाई करने का अधिकार नहीं है.


हरियाणा सरकार ने अपने वकील एसबी त्रिपाठी के जरिये कहा कि हाईकोर्ट इस मामले पर क्षेत्राधिकार पर फैसला करने में नाकाम रहा है. हरियाणा सरकार ने हाईकोर्ट द्वारा इस मामले की जांच के लिए गठित कमेटी की रिपोर्ट को खारिज करने की मांग की है. हाईकोर्ट ने रिटायर्ड जज इंदर मीत कौर की अध्यक्षता में जांच कमेटी का गठन किया था. हरियाणा सरकार ने कहा कि इस कमेटी ने एक बार ही मुआयना कर रिपोर्ट बना दिया. हरियाणा सरकार ने कहा है कि दिल्ली में यमुना के जरिये पानी की पर्याप्त आपूर्ति होती है.

हाईकोर्ट ने लगायी हरियाणा सरकार को फटकार
पिछले 8 मई को हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार को फटकार लगाई थी. कोर्ट इस बात पर नाराज थी कि आखिर उसके आदेशों का पालन क्यों नहीं किया जा रहा है. सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार ने हरियाणा सरकार पर पानी की आपूर्ति नहीं करने का आरोप लगाया था.


दिल्ली जल बोर्ड का कहना था कि दिल्ली देश की राजधानी है और पानी की आपूर्ति पड़ोसी राज्य से ही होगी. ये कोई बंधक देश नहीं है जिसे अपनी जरूरत का पानी नहीं दिया जाएगा. इसके लिए मानिटरिंग कमेटी का गठन भी किया जाएगा.

हरियाणा सरकार ने बताया
सुनवाई के दौरान हरियाणा सरकार का कहना था कि वो दिल्ली को 719 क्यूसेक की बजाय रोजाना 1049 क्यूसेक पानी दे रहा है. हरियाणा सरकार ने आरोप लगाया था कि दिल्ली में लीकेज होने की वजह से करीब 300 क्युसेक पानी बर्बाद हो जता है. हरियाणा सरकार ने कहा था कि दिल्ली वजीराबाद रिजर्वायर में काफी मात्रा में पानी देता है जो पानी की बर्बादी है. इसके बावजूद हरियाणा दिल्ली को लगातार पानी देता रहा है.


हरियाणा सरकार ने कहा था कि दिल्ली के 2017-18 के आर्थिक सर्वे में कहा गया है कि लीकेज की वजह से ट्रीटेड पानी का 30 फीसदी हिस्सा बर्बाद हो जाता है. जिसका मतलब है कि करीब 300 क्युसेक पानी बर्बाद हो रहा है.
सुनवाई के दौरान दिल्ली जल बोर्ड की ओर से वकील सुमित पुष्कर्णा ने कहा था कि दिल्ली सरकार ने जल विवाद को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा था.


जिसके बाद दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों सचिवों की बैठक प्रस्तावित की गयी. पिछले 5 फरवरी को हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार को निर्देश दिया था कि वो यमुना में साफ पानी के रास्ते में आ रही सभी रुकावटों को दूर करें.

Intro:नई दिल्ली। हरियाणा से दिल्ली को पानी न मिलने के मामले में हरियाणा सरकार ने कहा है कि दिल्ली हाईकोर्ट को सुनवाई करने का अधिकार नहीं है। हरियाणा सरकार ने हाईकोर्ट में दायर अपने हलफनामे में कहा है कि अपर रिवर यमुना बोर्ड पानी के बंटवारे के विवाद पर फैसला करने के लिए उचित निकाय है।



Body:हरियाणा सरकार ने अपने वकील एसबी त्रिपाठी के जरिये कहा कि हाईकोर्ट इस मामले पर क्षेत्राधिकार पर फैसला करने में नाकाम रहा है। हरियाणा सरकार ने हाईकोर्ट द्वारा इस मामले की जांच के लिए गठित कमेटी की रिपोर्ट को खारिज करने की मांग की। हाईकोर्ट ने रिटायर्ड जज इंदर मीत कौर की अध्यक्षता में जांच कमेटी बनाने का गठन किया था। हरियाणा सरकार ने कहा कि इस कमेटी ने एक ही बार का मुआयना कर रिपोर्ट बना दिया। हरियाणा सरकार ने कहा है कि दिल्ली में यमुना के जरिये पानी की पर्याप्त आपूर्ति होती है।
पिछले 8 मई को हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार को फटकार लगाई थी। कोर्ट इस बात पर नाराज थी कि आखिर उसके आदेशों का पालन क्यों नहीं किया जा रहा है। सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार ने हरियाणा सरकार पर पानी की आपूर्ति नहीं करने का आरोप लगाया था। दिल्ली जल बोर्ड का कहना था कि दिल्ली देश की राजधानी है और पानी की आपूर्ति पड़ोसी राज्य से ही होगी। ये कोई बंधक देश नहीं है जिसे अपनी जरुरत का पानी नहीं दिया जाए। इसके लिए मानिटरिंग कमेटी का गठन किया जाए।
सुनवाई के दौरान हरियाणा का कहना था कि वो दिल्ली को 719 क्यूसेक की बजाय रोजाना 1049 क्यूसेक पानी दे रहा है। हरियाणा सरकार ने आरोप लगाया था कि दिल्ली में लीकेज होने की वजह से करीब 300 क्युसेक पानी बर्बाद कर देता है। हरियाणा सरकार ने कहा था कि दिल्ली वजीराबाद रिजर्वायर में काफी मात्रा में पानी देता है जो कि पानी की बर्बादी है। इसके बावजूद हरियाणा दिल्ली को लगातार पानी देता रहा है। 


Conclusion:हरियाणा सरकार ने कहा था कि दिल्ली के 2017-18 के आर्थिक सर्वे में कहा गया है कि लीकेज की वजह से ट्रीटेड पानी का 30 फीसदी हिस्सा बर्बाद हो जाता है जिसका मतलब है कि करीब 300 क्युसेक पानी बर्बाद हो रहा है।
सुनवाई के दौरान दिल्ली जल बोर्ड की ओर से वकील सुमित पुष्कर्णा ने कहा था कि दिल्ली सरकार ने जल विवाद को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा था जिसके बाद दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों सचिवों की बैठक प्रस्तावित थी । पिछले 5 फरवरी को हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार को निर्देश दिया था कि वो यमुना में साफ पानी के रास्ते में आ रही सभी रुकावटों को दूर करें। 
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