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वजीराबाद: गोल्ड मेडलिस्ट कर रहा है दिहाड़ी मजदूरी, सरकार से मदद की अपील

गोल्ड मेडलिस्ट जैनबाज ने कहा कि उनके जैसे काफी खिलाड़ी हैं, जो गोल्ड मेडलिस्ट रहे हैं. लेकिन अब उन सबके मेडलों पर काफी धूल जम चुकी है. जिसे अब उन्हें कोई देखने वाला नहीं है. ऐसे में उन्होंने दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार से अपील की कि सरकार कोई ऐसा प्रावधान बनाए कि वो और उन जैसे खिलाड़ी और मेहनत करें और देश का नाम रोशन करें.

Gold Medalist Jainabaj doing daily wages to fulfill his needs in Wazirabad
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Published : Oct 12, 2020, 10:26 PM IST

नई दिल्ली: अपने देश के लिए चार बार गोल्ड मेडल जीतने वाला खिलाड़ी दिहाड़ी मजदूरी करने को मजबूर हो गया है. कोरोना काल में लॉकडाउन के दौरान आर्थिक तंगी आने से गोल्ड मेडलिस्ट खिलाड़ी का पूरा परिवार अपनी जीविका चलाने के लिए दिहाड़ी मजदूरी करने लगा.

'खिलाड़ियों के लिए प्रावधान बनाए सरकार'

जैनबाज अंडर 16 से 20 तक लगातार एथलीट में गोल्ड मेडलिस्ट रहे है. वो वजीराबाद संगम विहार गली नंबर 10 में रहते हैं. लेकिन अब सबसे तेज दौड़ने वाले जैनबाज की स्पीड को कुछ ब्रेक लग चुका है. इसलिए देश के लिए सुपर फास्ट भागने वाले इस खिलाड़ी की उम्मीद अब सरकार पर टिकी हुई है. कि सरकार जरूर उनके लिए कोई न कोई समाधान निकालेगी. जिससे उनकी परेशानियां दूर हो सकें.


आर्थिक तंगी के बावजूद मजबूत हैं हौसले

भले ही जैनबाज की स्पीड पर इस कोरोना काल के चलते ब्रेक लग गया हो. लेकिन देश का नाम रोशन करने का जो जज्बा है, वो उनके अंदर आज भी कायम है. लॉकडाउन में आई आर्थिक तंगी के चलते जैनबाज के घर के हालात कुछ नासाज हो गए. लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी. अपना घर चलाने के लिए जैनबाज अब दिहाड़ी मजदूरी करते हैं और अपनी जरूरतें पूरी करने की कोशिश करते हैं.

यही नहीं उनके माता-पिता ने जो सपने जैनबाज को लेकर देखे हैं कि वो देश का सबसे अच्छा खिलाड़ी बने. ये सपना साकार करने के लिए जैनबाज के पिता एक टेलर की दुकान पर 200 रुपये मजदूरी करते हैं. वहीं उनकी मां घर पर छोटी सी परचून की दुकान चलाती हैं. जैनबाज स्टेट लेवल और नेशनल लेवल पर स्पीड स्पोर्ट्स रनिंग में पिछले लगातर 4 साल से गोल्ड मेडलिस्ट रहे हैं. उनके पास मौजूद मेडल्स, सेटफिकेट्स और ट्रॉफियां इस बात का खुद सबूत हैं कि जैनबाज ने पछले 4 साल कितनी मेहनत की.


'खिलाड़ियों के लिए प्रावधान बनाए सरकार'

जैनबाज ने कहा कि उनके जैसे काफी खिलाड़ी हैं, जो गोल्ड मेडलिस्ट रहे हैं. लेकिन अब उन सबके मेडलों पर काफी धूल जम चुकी है. जिसे अब उन्हें कोई देखने वाला नहीं है. ऐसे में उन्होंने दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार से अपील की कि सरकार कोई ऐसा प्रावधान बनाए कि वो और उन जैसे खिलाड़ी और मेहनत करें और देश का नाम रोशन करें. जैनबाज ने कहा कि जैसे ही खेल दोबारा शुरू होंगे, मैं एथलीट में दोबारा भाग लूंगा. और नेशनल लेवल ही नहीं, मैं इंटरनेशनल खेलकर देश का नाम रोशन करूंगा.

नई दिल्ली: अपने देश के लिए चार बार गोल्ड मेडल जीतने वाला खिलाड़ी दिहाड़ी मजदूरी करने को मजबूर हो गया है. कोरोना काल में लॉकडाउन के दौरान आर्थिक तंगी आने से गोल्ड मेडलिस्ट खिलाड़ी का पूरा परिवार अपनी जीविका चलाने के लिए दिहाड़ी मजदूरी करने लगा.

'खिलाड़ियों के लिए प्रावधान बनाए सरकार'

जैनबाज अंडर 16 से 20 तक लगातार एथलीट में गोल्ड मेडलिस्ट रहे है. वो वजीराबाद संगम विहार गली नंबर 10 में रहते हैं. लेकिन अब सबसे तेज दौड़ने वाले जैनबाज की स्पीड को कुछ ब्रेक लग चुका है. इसलिए देश के लिए सुपर फास्ट भागने वाले इस खिलाड़ी की उम्मीद अब सरकार पर टिकी हुई है. कि सरकार जरूर उनके लिए कोई न कोई समाधान निकालेगी. जिससे उनकी परेशानियां दूर हो सकें.


आर्थिक तंगी के बावजूद मजबूत हैं हौसले

भले ही जैनबाज की स्पीड पर इस कोरोना काल के चलते ब्रेक लग गया हो. लेकिन देश का नाम रोशन करने का जो जज्बा है, वो उनके अंदर आज भी कायम है. लॉकडाउन में आई आर्थिक तंगी के चलते जैनबाज के घर के हालात कुछ नासाज हो गए. लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी. अपना घर चलाने के लिए जैनबाज अब दिहाड़ी मजदूरी करते हैं और अपनी जरूरतें पूरी करने की कोशिश करते हैं.

यही नहीं उनके माता-पिता ने जो सपने जैनबाज को लेकर देखे हैं कि वो देश का सबसे अच्छा खिलाड़ी बने. ये सपना साकार करने के लिए जैनबाज के पिता एक टेलर की दुकान पर 200 रुपये मजदूरी करते हैं. वहीं उनकी मां घर पर छोटी सी परचून की दुकान चलाती हैं. जैनबाज स्टेट लेवल और नेशनल लेवल पर स्पीड स्पोर्ट्स रनिंग में पिछले लगातर 4 साल से गोल्ड मेडलिस्ट रहे हैं. उनके पास मौजूद मेडल्स, सेटफिकेट्स और ट्रॉफियां इस बात का खुद सबूत हैं कि जैनबाज ने पछले 4 साल कितनी मेहनत की.


'खिलाड़ियों के लिए प्रावधान बनाए सरकार'

जैनबाज ने कहा कि उनके जैसे काफी खिलाड़ी हैं, जो गोल्ड मेडलिस्ट रहे हैं. लेकिन अब उन सबके मेडलों पर काफी धूल जम चुकी है. जिसे अब उन्हें कोई देखने वाला नहीं है. ऐसे में उन्होंने दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार से अपील की कि सरकार कोई ऐसा प्रावधान बनाए कि वो और उन जैसे खिलाड़ी और मेहनत करें और देश का नाम रोशन करें. जैनबाज ने कहा कि जैसे ही खेल दोबारा शुरू होंगे, मैं एथलीट में दोबारा भाग लूंगा. और नेशनल लेवल ही नहीं, मैं इंटरनेशनल खेलकर देश का नाम रोशन करूंगा.

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