नई दिल्ली: दरियागंज हिंसा मामले के 15 आरोपियों की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान तीस हजारी कोर्ट ने कहा कि हर व्यक्ति को विरोध करने का अधिकार है लेकिन वो संविधान के दायरे में हो. तीस हजारी कोर्ट की एडिशनल सेशंस जज कामिनी लॉ ने जमानत याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए दिल्ली पुलिस को सभी आरोपियों के मेडिको लीगल केस (एमएलसी) और सीसीटीवी फुटेज 9 जनवरी को सौंपने का निर्देश दिया.
सुनवाई के दौरान जब सरकारी वकील पंकज भाटिया ने सभी आरोपियों पर लगे आरोपों और आपराधिक साजिश की बात बता रहे थे तो जज कामिनी लॉ ने बीच में हस्तक्षेप करते हुए कहा कि ये अपराधी नहीं कहे जा सकते हैं क्योंकि लोगों को विरोध करने का जनतांत्रिक अधिकार है.
सीसीटीवी फुटेज से पहचान नहीं
जब कोर्ट ने इस मामले की जांच के बारे में पूछा तो दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने कोर्ट को बताया कि 15 आरोपियों की उपलब्ध सीसीटीवी फुटेज से अब तक पहचान नहीं हो पाई है. मीडिया समूहों से आग्रह किया गया है कि वे फुटेज शेयर करें. तब कोर्ट ने डीसीपी आफिस के पास उपलब्ध सीसीटीवी फुटेज के बारे में पूछा तो बताया गया कि वो क्राइम ब्रांच को अभी तक नहीं मिला है. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने आरोपियों की मेडिकल रिपोर्ट के बारे में पूछा.
'ये अंग्रेजों का शासन नहीं है'
15 आरोपियों की तरफ से वरिष्ठ वकील रेबेका जॉन ने कहा कि सभी आरोपी पिछले 19 दिनों से जेल में बंद हैं. तब कोर्ट ने कहा कि इसे देखेंगे लेकिन सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाना चिंता की बात है. ये अंग्रेजों का शासन नहीं है. प्रदर्शनकारियों का काम पत्थर फेंकना और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाना नहीं है. इससे आम जनता को असुविधा होती है. तब रेबेका जॉन ने कहा कि प्रदर्शन में आम लोग ही शामिल हुए थे.
रेबेका जॉन ने कहा कि एफआईआर में भारतीय दंड संहिता की धारा 436 नहीं लगाई गई है क्योंकि कोई नुकसान नहीं हुआ या किसी मकान या धार्मिक स्थल को कोई क्षति नहीं हुई. उन्होंने कहा कि भारतीय दंड संहिता की धारा 353 और 332 गैरजमानती हैं लेकिन उनमें दो साल और तीन साल की सजा का प्रावधान है. इसलिए सुप्रीम कोर्ट के अर्नेश कुमार के फैसले के मुताबिक हिरासत में रखने का कोई औचित्य नहीं है.
तब कोर्ट ने पूछा कि इस बात की क्या गारंटी है कि जो हिंसा की गई है वो बाद में नहीं की जाएगी. तब रेबेका जॉन ने बताया कि किस तरह उस रात 1 बजे नाबालिगों को गिरफ्तार करने के बाद एफआईआर दर्ज की गई. उन्होंने कहा कि हिंसा के लिए आरोपी जिम्मेदार नहीं हैं. तब कोर्ट ने कहा कि ये पुलिस जांच के बाद पता चलेगा. रेबेका जॉन ने कहा कि 15 आरोपियों की कोई राजनीतिक संबद्धता भी नहीं है. उन्हें दूसरे-दूसरे स्थानों से उठा लिया गया.
23 दिसंबर को जमानत खारिज हुई
कोर्ट ने 23 दिसंबर 2019 को 15 प्रदर्शनकारियों की जमानत अर्जी खारिज कर दी थी. मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट कपिल कुमार ने कहा था कि फिलहाल उन्हें हिरासत में रखने के लिए पर्याप्त कारण मौजूद हैं.
कौन हैं आरोपी
पुलिस ने इन्हें 20 दिसंबर को गिरफ्तार किया था. जिन आरोपियों को गिरफ्तार किया था उनमें मोहम्मद अतहर, साबिल अली, मोहम्मद अशफाक, इरफानुद्दीन, अब्बास, दानिश मलिक, आमिर, रेहान, आतिफ, हैदर अली, जाहिद, फुरकान, दानिश,शमशेर शाह और मोहम्मद अली शामिल हैं.
पिछले 21 दिसंबर को पुलिस ने कोर्ट में कहा था कि सोची समझी रणनीति के तहत ये हमला किया गया है. इसमें कई पुलिस वाले भी घायल हुए हैं. आरोपियों की ओर से रेबेका जॉन ने कहा था कि कुछ धाराओं को छोड़कर सभी जमानती हैं.