ETV Bharat / city

डॉ. हर्षवर्धन का इस्तीफा प्रदेश भाजपा में बदलाव के संकेत! मिल सकती है नई ज़िम्मेदारी

author img

By

Published : Jul 8, 2021, 9:21 AM IST

मोदी कैबिनेट से डॉ. हर्षवर्धन के इस्तीफे को लेकर तमाम तरह के कयास लगाए जा रहे हैं. कहा जा रहा है कि उनके इस्तीफे से प्रदेश भाजपा में बदलाव हो सकता है. साथ ही उनको नई जिम्मेदारी मिल सकती है.

Dr Harsh Vardhan may get a new responsibility in party
डॉ हर्षवर्धन का इस्तीफा प्रदेश भाजपा में बदलाव के संकेत

नई दिल्ली: मोदी सरकार के कैबिनेट विस्तार से पहले मंत्रियों द्वारा दिए गए इस्तीफों में सबसे ज़्यादा चौकाने वाला नाम चांदनी चौक से सांसद डॉ हर्षवर्धन का था. नई दिल्ली से सांसद मीनाक्षी लेखी को राज्यमंत्री बनाकर दिल्ली के हिस्से एक मंत्री पद तो आ ही गया है, लेकिन अब डॉ. हर्षवर्धन को लेकर तमाम कयास लगाए जा रहे हैं. दिल्ली प्रदेश भाजपा में संगठन की मौजूदा स्थिति और आगामी नगर निगम चुनावों को देखते हुए डॉ. हर्षवर्धन को नई जिम्मेदारी दी जा सकती है. बहुत हद तक संभव है कि प्रदेश भाजपा में जल्दी ही बदलाव देखने को मिलें.

दरअसल, पहले मनोज तिवारी और फिर आदेश गुप्ता के अध्यक्ष रहते दिल्ली प्रदेश भाजपा में गुटबाजी कहीं अधिक बढ़ गई है. दिल्ली के मुद्दों के लिए केंद्रीय मंत्रियों और राष्ट्रीय स्तर के प्रवक्ताओं का सामने आना भी भाजपा की हालत बताता है. अगले साल नगर निगम चुनाव हैं और आम आदमी पार्टी पिछले कई महीनों से इन चुनावों को लेकर सक्रिय हो गई है. ऐसे में भारतीय जनता पार्टी को संगठन को न सिर्फ मजबूत करने की जरूरत है, बल्कि ग्राउंड लेवल पर लोगों को यह बताने की भी ज़रूरत है कि क्यों निगम में उन्हें चुना जाए.

टिकट के खेल में पिछड़ने के डर से कई भाजपा पार्षदों के आम आदमी पार्टी में शामिल होने की आशंका पहले ही जताई जा रही है. पहले भी ऐसा होता रहा है और प्रदेश भाजपा इसे रोकने के लिए कुछ खास नहीं कर पाई है. ऐसे में संगठनात्मक बदलावों की ओर संकेत दिए जा रहे हैं. डॉ. हर्षवर्धन पहले भी ये ज़िम्मेदारी निभा चुके हैं. उनके इस्तीफे के बाद इसे लेकर बातें शुरू हो गई हैं.

डॉ. हर्षवर्धन एक अनुभवी नेता होने के साथ दिल्ली को और यहां के मुद्दों को अच्छी तरह समझने वाले नेता हैं. मोदी सरकार के पहले कार्यकाल और फिर कोरोना की पहली लहर तक उनकी हर तरफ सराहना ही हुई है. उनकी पहले की प्रोफाइल भी एक साफ छवि और लोगों से जुड़े हुए नेता की है. यूं तो कोरोना की दूसरी लहर को उनके मंत्री पद से हटने का कारण माना जा रहा है, लेकिन दिल्ली में उन्हें नेतृत्व की ज़िम्मेदारी इसका आधार बताया जा रहा है.


दिल्ली प्रदेश भाजपा से जुड़े कुछ नेता इस बात से इनकार करते हैं और कहते हैं कि ऐसा नहीं होगा. इसके लिए वो तमाम कारण गिनाते हैं. हालांकि ये भी सच है कि दिल्ली नगर निगम और भाजपा के सालों के 'गठजोड़' को भाजपा तोड़ना नहीं चाहती और मौजूदा समय में संगठन की मजबूती शीर्ष नेतृत्व की प्राथमिकता है.

नई दिल्ली: मोदी सरकार के कैबिनेट विस्तार से पहले मंत्रियों द्वारा दिए गए इस्तीफों में सबसे ज़्यादा चौकाने वाला नाम चांदनी चौक से सांसद डॉ हर्षवर्धन का था. नई दिल्ली से सांसद मीनाक्षी लेखी को राज्यमंत्री बनाकर दिल्ली के हिस्से एक मंत्री पद तो आ ही गया है, लेकिन अब डॉ. हर्षवर्धन को लेकर तमाम कयास लगाए जा रहे हैं. दिल्ली प्रदेश भाजपा में संगठन की मौजूदा स्थिति और आगामी नगर निगम चुनावों को देखते हुए डॉ. हर्षवर्धन को नई जिम्मेदारी दी जा सकती है. बहुत हद तक संभव है कि प्रदेश भाजपा में जल्दी ही बदलाव देखने को मिलें.

दरअसल, पहले मनोज तिवारी और फिर आदेश गुप्ता के अध्यक्ष रहते दिल्ली प्रदेश भाजपा में गुटबाजी कहीं अधिक बढ़ गई है. दिल्ली के मुद्दों के लिए केंद्रीय मंत्रियों और राष्ट्रीय स्तर के प्रवक्ताओं का सामने आना भी भाजपा की हालत बताता है. अगले साल नगर निगम चुनाव हैं और आम आदमी पार्टी पिछले कई महीनों से इन चुनावों को लेकर सक्रिय हो गई है. ऐसे में भारतीय जनता पार्टी को संगठन को न सिर्फ मजबूत करने की जरूरत है, बल्कि ग्राउंड लेवल पर लोगों को यह बताने की भी ज़रूरत है कि क्यों निगम में उन्हें चुना जाए.

टिकट के खेल में पिछड़ने के डर से कई भाजपा पार्षदों के आम आदमी पार्टी में शामिल होने की आशंका पहले ही जताई जा रही है. पहले भी ऐसा होता रहा है और प्रदेश भाजपा इसे रोकने के लिए कुछ खास नहीं कर पाई है. ऐसे में संगठनात्मक बदलावों की ओर संकेत दिए जा रहे हैं. डॉ. हर्षवर्धन पहले भी ये ज़िम्मेदारी निभा चुके हैं. उनके इस्तीफे के बाद इसे लेकर बातें शुरू हो गई हैं.

डॉ. हर्षवर्धन एक अनुभवी नेता होने के साथ दिल्ली को और यहां के मुद्दों को अच्छी तरह समझने वाले नेता हैं. मोदी सरकार के पहले कार्यकाल और फिर कोरोना की पहली लहर तक उनकी हर तरफ सराहना ही हुई है. उनकी पहले की प्रोफाइल भी एक साफ छवि और लोगों से जुड़े हुए नेता की है. यूं तो कोरोना की दूसरी लहर को उनके मंत्री पद से हटने का कारण माना जा रहा है, लेकिन दिल्ली में उन्हें नेतृत्व की ज़िम्मेदारी इसका आधार बताया जा रहा है.


दिल्ली प्रदेश भाजपा से जुड़े कुछ नेता इस बात से इनकार करते हैं और कहते हैं कि ऐसा नहीं होगा. इसके लिए वो तमाम कारण गिनाते हैं. हालांकि ये भी सच है कि दिल्ली नगर निगम और भाजपा के सालों के 'गठजोड़' को भाजपा तोड़ना नहीं चाहती और मौजूदा समय में संगठन की मजबूती शीर्ष नेतृत्व की प्राथमिकता है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.