नई दिल्ली : दिवाली से पहले त्यौहारी सीजन में गांव-गिरांव और कुम्हारों के घरों में रौनक दिखने लगी है. दिवाली, करवाचौथ, छठ और भैयादूज जैसे पर्व को लेकर दीए तैयार किए जा रहे हैं. दिल्ली के मैदानगढ़ी गांव में इन दिनों खासी रौनक नजर आ रही है. कुम्हारों के परिवार मिट्टी के बर्तन और दीए बनाने में व्यस्त हैं. जैसे-जैसे कुम्हार का चाक रफ्तार पकड़ता है, वैसे-वैसे जीवन के सपनों में भी सुरीले साज सजने लगते हैं.
उम्मीदों के आसमान में जिंदगी के सपने बहार की तरह खिलने लगे हैं. एक तरफ मन में सजीले सपने बसाए ये गरीब परिवार अपनी उंगलियों कीन हरकत से मिट्टी में कला का संचार कर रहे हैं. तो दूसरी तरफ सूखते दीयों को देखकर अरमानों का अंधेरा मानों मिटने लगा है. दिवाली की खुशियां अभी दूर हैं, लेकिन मन में सुखद अहसास वाली कोमल कलियों की बहार सी आई हुई है.
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दिवाली और करवाचौथ की सुरीली उम्मीदों के साथ ही मन के किसी कोने में बीते बरस की खौफनाक यादों की काली परछाई भी बसी हुई है. बीते साल कोरोना की मार के उस दौर की यादों से ही मन में सिहरन सी दौड़ जाती है. ऐसे में इनके मुंह से बरबस ही निकल पड़ता है. हे भगवान! बचाए रखना. पिछले साल कोरोना की मार से पूरा देश, सारी दुनिया बेहाल थी. त्यौहारों की चमक ऐसी उड़ गई थी, जैसे कभी खुशियों से मेल ही न हुआ हो. इस बार तो ऐसा न करना परमेश्वर.
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इन यादों के डरावने साए के बीच ये कुम्हार चाइनीज सामान को लेकर भी खौफ में हैं. इनकी गुहार है कि चाइनीज सामान का बहिस्कार करें. चाइनीज झालरों ने त्यौहारों की रौनक और परिवारों की रोजी-रोटी छीन लिया है. इन गरीब परिवारों को अपनी फिक्र के साथ ही देश की तरक्की और अर्थव्यवस्था की मजबूती की भी फिक्र है. इनकी गुजारिश है, कि देश की खातिर, हम गरीबों की खातिर कम से कम इन त्यौहारों के मौके पर विदेशी सामान का बहिस्कार करें. ये छोटा सा उपकार सिर्फ गरीबों का ही नहीं, आपका खुद का भी भला करने वाला है. क्योंकि देश आत्मनिर्भर होगा तो जनता भी खुशहाल होगी.