नई दिल्ली: को-आर्डिनेशन कमेटी ऑफ ऑल डिस्ट्रिक्ट कोर्ट बार एसोसिएशंस ऑफ इंडिया ने कल यानि 9 नवंबर को दिल्ली की अदालतों के कार्यों का बहिष्कार करने का फैसला किया है. आज तीस हजारी कोर्ट में को-आर्डिनेशन कमेटी की हुई बैठक में ये फैसला लिया गया.
कमेटी ने ये फैसला 1994 में एक महिला वकील पर हमला करने के मामले में तीस हजारी कोर्ट की ओर से दिल्ली बार काउंसिल के पूर्व अध्यक्ष राजीव खोसला को दोषी ठहराये जाने के आदेश के खिलाफ किया है. तीस हजारी कोर्ट के चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट गजेंद्र सिंह नागर ने खोसला को भारतीय दंड संहिता की धारा 323 और धारा 506 के तहत दोषी करार दिया.
बता दें कि महिला वकील सुजाता कोहली बाद में जज बनीं और 2020 में रिटायर हुई हैं. राजीव खोसला पर आरोप था कि जुलाई 1994 में तीस हजारी कोर्ट के दिल्ली बार एसोसिएशन का सचिव रहते हुए कोहली को एक सेमिनार में भाग लेने को कहा था. शिकायत के मुताबिक जब कोहली ने इससे इनकार किया था तो खोसला ने धमकी दी कि उनकी बार में मिलने वाली सभी सुविधाएं बंद कर दी जाएंगी और उन्हें उनकी सीट से भी हटा दिया जाएगा.
ये भी पढ़ें- उपहार सिनेमा त्रासदी: साक्ष्यों से छेड़छाड़ के सभी दोषियों को सात-सात साल की कैद की सजा
इसके लिए कोहली ने दीवानी याचिका भी दायर की थी, लेकिन कोहली का टेबल और कुर्सी अपनी जगह से हटा दिया गया था. शिकायत में कहा गया था जब कोहली अपनी पहले की सीट के बगल में बैठकर सिविल जज का इंतजार कर रही थी तो राजीव खोसला के साथ 40-50 वकील वहां पहुंचे. वहां राजीव खोसला ने उनके बाल पकड़कर खींचा और बांह मरोड़ते हुए गाली दी.
को-आर्डिनेशन कमेटी ने कहा है कि उनका एक प्रतिनिधिमंडल हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस डीएन पटेल से मुलाकात करेगा. अगर चीफ जस्टिस से मुलाकात के बाद मामले का हल नहीं निकला तो आदेश देने वाले संबंधित जज की कोर्ट का अनिश्चितकाल के लिए बहिष्कार किया जाएगा.