नई दिल्लीः जल मंत्री और दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) के अध्यक्ष सत्येंद्र जैन ने बुधवार को विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ एक अहम बैठक की. इस दौरान उन्होंने दिल्ली जल बोर्ड को 12 से 15 महीने के अंदर सभी सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट को अपग्रेड करने के निर्देश दिए हैं.
योजना के मुताबिक, सभी बायो-गैस संयंत्रों को अपग्रेड किया जाएगा. डीजेबी के पास वर्तमान में बायोगैस संयंत्रों की क्षमता प्रति दिन लगभग 400 टन की है, जिसमें से 240 एमजीडी कार्यात्मक है. मंत्री ने अधिकारियों को एक साल के भीतर सभी प्लांट को अपनी पूरी क्षमता पर चलाने के निर्देश दिए. उन्होंने आगे कहा कि इस कदम से सभी प्रकार के कूड़े और प्रदूषकों को साफ करने में मदद मिलेगी और शहर की नालियों और नदियों की सफाई में मदद मिलेगी. इसके साथ-साथ लैंडफिल साइटों पर भी बोझ कम होगा. स्वच्छ परिवहन ईंधन को बढ़ावा देने के लिए बायोगैस संयंत्रों से उत्पन्न गैस और बिजली को इलेक्ट्रिक वाहन स्टेशनों और सीएनजी स्टेशनों को आपूर्ति की जाएगी.
मंत्री सत्येंद्र जैन ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे सभी एसटीपी को 12-15 महीने की अवधि के भीतर अत्याधुनिक तकनीक का उपयोग करके अपग्रेड करें. पारंपरिक तकनीक के विपरीत, जिसमें अपग्रेडेशन प्रक्रिया को पूरा करने में 4-5 साल लगते हैं. अपग्रेड करने की नई पद्धति में मौजूदा संयंत्रों को बिना किसी पेड़ को काटे और आस पास के पर्यावरण को कम से कम प्रभावित करते हुए बेहतरीन मानकों के अनुसार पुनर्जीवित किया जाएगा.
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इन एसटीपी में ऊर्जा बचाने वाले उपकरणों का उपयोग किया जाएगा. यह कदम कूड़े और अन्य प्रदूषकों के उपचार के लिए एक क्रांतिकारी कदम होगा, जो पर्यावरण को स्वच्छ और हरा-भरा बनाएगा. मंत्री ने कहा कि डीजेबी को स्वच्छ यमुना के लिए निर्धारित वास्तविक समय सीमा से कम से कम 6 महीने पहले इन सभी कार्यों को पूरा करने का प्रयास करना चाहिए.
सत्येंद्र जैन ने कहा हालांकि, इस तरह के कूड़े को संभालने की जिम्मेदारी एमसीडी की है, लेकिन मौजूदा लैंडफिल साइटों पर बोझ को कम करने और दिल्ली को साफ करने के लिए डीजेबी इस पहल का नेतृत्व करेगा. वर्तमान में डीजेबी के बायोगैस संयंत्रों की क्षमता प्रति दिन लगभग 400 टन की है, जिसमें से 240 एमजीडी कार्यात्मक है. मंत्री ने अधिकारियों को एक साल के भीतर इनके क्षमता 100 फीसद करने के निर्देश दिए.
दिल्ली सरकार इस काम में नए एवं आधुनिक तकनीकों का उपयोग करने की योजना बना रही है ताकि सभी प्रकार के कूड़े का प्रबंधन किया जा सके. अपग्रेडेशन के बाद, सभी बायो-गैस संयंत्र नवीनतम तकनीक आधारित हो जाएंगे. इस प्रकार के कूड़े और प्रदूषकों के प्रबंधन और ट्रीटमेंट के लिए विभिन्न एजेंसियों को शामिल किया जाएगा. उन्होंने आगे कहा कि इस कदम से सभी कचरे और प्रदूषकों का ट्रीटमेंट संभव हो सकेगा और शहर की नालियों, नदियों की सफाई में मदद मिलेगी और लैंडफिल साइटों पर बोझ कम होगा. बायोगैस संयंत्रों से उत्पन्न अतिरिक्त गैस और बिजली की सप्लाइ इलेक्ट्रिक चार्जिंग स्टेशन एवं सीएनजी स्टेशन को की जाएगी.
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बैठक में सत्येंद्र जैन ने अधिकारियों को एसटीपी के ट्रीटेड पानी को अंतिम उपभोगता तक पहुंचाने के लिए पाइपलाइन बिछाने के काम में तेजी लाने के निर्देश दिए. इसके अलावा सतबारी, सुल्तानपुर और जौनपुर आदि क्षेत्रों मेन मौजूद फार्महाउसों एवं संस्थानों को ट्रीटेड पानी की सप्लाइ करने का निर्णय भी लिया गया, जो वर्तमान में बागवानी जरूरतों के लिए भूजल का इस्तेमाल कर रहे हैं.
दिल्ली जल बोर्ड इस वक्त फार्म हाउसों को 15 एमजीडी से अधिक पानी की सप्लाई कर सकता है, ताकि ट्यूबवेल बंद हो सकें और भूजल का उपयोग कम से कम हो सके और पानी को बचाया जा सके. डीजेबी ने ट्रीटेड पानी की आपूर्ति के लिए एक निश्चित टैरिफ मॉडल अपनाने का फैसला किया है. 10,000 रुपये प्रति एकड़ की एकमुश्त बुनियादी ढांचे की लागत के अलावा उपभोक्ता से प्रति माह 5000 रुपये प्रति एकड़ का शुल्क लिया जाएगा. सरकार का लक्ष्य है कि लोग बागवानी, फर्श धोने और फ्लशिंग के लिए ट्रीटेड एसटीपी के पानी का उपयोग करने के लिए प्रेरित हो.