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महज पांच ईंट और एक प्रतिमा रख देने से कोई जगह धार्मिक स्थल नहीं हो जाती: हाई कोर्ट

दिल्ली हाईकोर्ट ने एक मामले की सुनवाई में कहा है कि महज पांच ईंट और एक प्रतिमा रख देने से कोई स्थान धार्मिक स्थल नहीं हो जाता. मामला डिफेंस कालोनी में बने अस्थायी मंदिर को हटाने का था, जिसे लेकर कोर्ट में याचिका दायर की गई थी.

delhi High Court
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Published : Oct 22, 2021, 10:40 AM IST

Updated : Oct 22, 2021, 3:20 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि महज पांच ईंट और एक प्रतिमा रख देने से कोई स्थान धार्मिक स्थल नहीं हो जाता है. हाईकोर्ट का यह बयान डिफेंस कालोनी में एक अस्थायी मंदिर को हटाने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया गया.

याचिका डिफेंस कालोनी के एक निवासी द्वारा दायर की गई, जिसमें कहा गया कि कोरोना के संक्रमण के दौरान भीष्म पितामह मार्ग के फुटपाथ पर किसी ने अवैध तरीके से सार्वजनिक स्थल पर अस्थायी मंदिर का निर्माण कर दिया. यह मंदिर याचिकाकर्ता की संपत्ति के ठीक सामने स्थित है. इस मंदिर में कुछ असामाजिक तत्व आकर जुआ खेलते हैं और आवारागर्दी करते हैं. ऐसा होने से याचिकाकर्ता को अपनी संपत्ति तक पहुंचने में परेशानी होती है.

ये भी पढ़ें: बिना विशेषज्ञ की सलाह लिए इंफ्रास्ट्रक्चर पर 79 करोड़ कैसे स्वीकृत हुए ? हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार से पूछा

मामले की सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार की ओर से पेश वकील अनुपम श्रीवास्तव ने कहा कि इस मामले पर धार्मिक कमेटी ने कोई फैसला नहीं किया है. वहां से मंदिर हटाया गया तो कानून व्यवस्था का सवाल खड़ा हो सकता है. तब कोर्ट ने दिल्ली सरकार के रुख पर असंतोष जाहिर करते हुए कहा कि इस अस्थायी मंदिर को हटाने के लिए धार्मिक कमेटी को नहीं कहा जा सकता है. मामले में आगे कोर्ट ने कहा कि महज पांच ईंट और एक प्रतिमा रख देने से क्या कोई जगह धार्मिक स्थल बन जाता है. अगर एक बड़ा मंदिर होता तो इसे धार्मिक कमेटी के जिम्मे दिया जा सकता था. अगर आपका रुख इस तरह का है तब तो पूरी दिल्ली का ही अतिक्रमण हो जाएगा.

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नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि महज पांच ईंट और एक प्रतिमा रख देने से कोई स्थान धार्मिक स्थल नहीं हो जाता है. हाईकोर्ट का यह बयान डिफेंस कालोनी में एक अस्थायी मंदिर को हटाने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया गया.

याचिका डिफेंस कालोनी के एक निवासी द्वारा दायर की गई, जिसमें कहा गया कि कोरोना के संक्रमण के दौरान भीष्म पितामह मार्ग के फुटपाथ पर किसी ने अवैध तरीके से सार्वजनिक स्थल पर अस्थायी मंदिर का निर्माण कर दिया. यह मंदिर याचिकाकर्ता की संपत्ति के ठीक सामने स्थित है. इस मंदिर में कुछ असामाजिक तत्व आकर जुआ खेलते हैं और आवारागर्दी करते हैं. ऐसा होने से याचिकाकर्ता को अपनी संपत्ति तक पहुंचने में परेशानी होती है.

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मामले की सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार की ओर से पेश वकील अनुपम श्रीवास्तव ने कहा कि इस मामले पर धार्मिक कमेटी ने कोई फैसला नहीं किया है. वहां से मंदिर हटाया गया तो कानून व्यवस्था का सवाल खड़ा हो सकता है. तब कोर्ट ने दिल्ली सरकार के रुख पर असंतोष जाहिर करते हुए कहा कि इस अस्थायी मंदिर को हटाने के लिए धार्मिक कमेटी को नहीं कहा जा सकता है. मामले में आगे कोर्ट ने कहा कि महज पांच ईंट और एक प्रतिमा रख देने से क्या कोई जगह धार्मिक स्थल बन जाता है. अगर एक बड़ा मंदिर होता तो इसे धार्मिक कमेटी के जिम्मे दिया जा सकता था. अगर आपका रुख इस तरह का है तब तो पूरी दिल्ली का ही अतिक्रमण हो जाएगा.

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Last Updated : Oct 22, 2021, 3:20 PM IST
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