नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने आईएनएक्स मीडिया डील मामले में ट्रायल कोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी है, जिसमें उसने सीबीआई को निर्देश दिया था कि जांच के दौरान दर्ज बयानों और दस्तावेजों की प्रति आरोपियों को देने का आदेश दिया था. जस्टिस सुरेश कैत ने सीबीआई की अर्जी पर ये आदेश जारी किया.
अपराध प्रक्रिया संहिता में प्रावधान नहीं
सुनवाई के दौरान सीबीआई की ओर से वकील अनुपम एस शर्मा और प्रकर्ष ऐरन ने पिछले 5 मार्च को स्पेशल सीबीआई जज एमके नागपाल के आदेश पर रोक लगाने की मांग की. उन्होंने कहा कि ट्रायल कोर्ट ने अपने क्षेत्राधिकार का उल्लंघन किया और सीबीआई को निर्देश दिया कि वो जांच के दौरान मिले सभी दस्तावेजों और बयानों को कोर्ट में पेश करे और उनकी प्रति आरोपियों को दे. उन्होंने कहा कि कोर्ट ने ये भी जानने की कोशिश नहीं की कि सीबीआई उन दस्तावेजों को आधार बना रही है कि नहीं. उन्होंने कहा कि अपराध प्रक्रिया संहिता में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है कि कोर्ट जांच एजेंसी को निर्देश दे कि वो उन दस्तावेजों को सौंपने का निर्देश दे जिस पर वो भरोसा नहीं भी कर रही है.
कौन-कौन सी हैं धाराएं
पिछले 24 मार्च को कोर्ट ने ईडी की ओर से दाखिल चार्जशीट पर संज्ञान लिया था. कोर्ट ने मनी लॉड्रिंग एक्ट की धारा 3 और 70 के तहत दायर चार्जशीट पर संज्ञान लिया था. इस मामले में सीबीआई ने 15 मई 2017 को एफआईआर दर्ज किया था. उसके बाद ईडी ने 18 मई 2017 को एफआईआर दर्ज किया था. सीबीआई ने भारतीय दंड संहिता की धारा 120बी, 420 और भ्रष्टाचार निरोधक कानून की धारा 8, 12(2) और 13(1)(डी) के तहत आरोप लगाए हैं. ये एफआईआर आईएनएक्स मीडिया की निदेशक इंद्राणी मुखर्जी और चीफ आपरेटिंग अफसर पीटर मुखर्जी की शिकायत पर दर्ज किया गया था. कार्ति चिदंबरम पर आरोप है कि उसने फॉरेन इन्वेस्टमेंट प्रोमोशन बोर्ड (एफआईपीबी) से अनुमति दिलवाने के लिए आईएनएक्स मीडिया से पैसे वसूले थे.
कौन-कौन हैं आरोपी
इस मामले में जिन लोगों को आरोपी बनाया गया है, उनमें पी चिदंबरम, कार्ति चिदंबरम, सुब्रमण्यम भास्करन, मेसर्स एडवांटेज स्ट्रेटैजिक कंसल्टिंग सिंगापुर लिमिटेड, आईएनएक्स मीडिया प्राइवेट लिमिटेड एडवांटेज इस्ट्रेटेजिया इस्पोर्टिवा एसएलयू, मेसर्स क्रिया एफएमसीजी डिस्ट्रिब्युटर्स प्राईवेट लिमिटेड, मेसर्स नॉर्थ स्टार सॉफ्टवेयर साल्युशंस प्राईवेट लिमिटेड कंसल्टेंसी प्राइवेट लिमिटेड शामिल हैं.