नई दिल्ली : दिल्ली हाईकोर्ट ने स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाने वाले नशीले ड्रग्स और पेय पदार्थों के उत्पादन, वितरण और उपभोग पर नियंत्रण की मांग करने वाली याचिका पर नोटिस जारी करने से इनकार कर दिया है. चीफ जस्टिस डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली बेंच ने इस मामले पर अगली सुनवाई 4 जुलाई को करने का आदेश दिया है. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा कि वो सुनवाई टाल रहे हैं. उन्होंने प्रतिवादी पक्ष के वकील को निर्देश दिया कि याचिकाकर्ता की ओर से दाखिल सभी याचिकाओं को एक साथ करके हमें बताएं. ताकि हम उन पर एक साथ विचार कर सकें. उन्होंने याचिकाकर्ता से पूछा कि आप रोज ही याचिका दाखिल करते हैं. अभी आपने कितनी याचिकाएं टाइप कर रखी हैं और कितने आपके प्रिंटर में हैं.
याचिका बीजेपी नेता और वकील अश्विनी उपाध्याय ने दायर किया है. याचिका में कहा गया है कि संविधान की धारा 21 के तहत स्वास्थ्य का अधिकार मिला हुआ है. याचिका में मांग की गई है कि शराब की बोतलों और पैकेट में उसी तरह की चेतावनी छापी जानी चाहिए जैसी सिगरेट के पैकेटों पर छपी होती है. अखबारों, टीवी और सोशल मीडिया पर भी शराब के विज्ञापन पर सिगरेट की तरह की चेतावनी जारी की जानी चाहिए. याचिका में कहा गया है कि नशीले ड्रग्स और पेय पदार्थों के दुष्परिणामों को जानना सूचना के अधिकार के अलावा संविधान की धारा 21 के तहत जनता का अधिकार है.
इसे भी पढ़ेंः Manish Gupta murder case: आराेपी छह पुलिसकर्मियों की न्यायिक हिरासत बढ़ी
याचिका में कहा गया है कि दिल्ली में 280 नगर निगम वार्ड हैं. 2015 तक दिल्ली में केवल ढाई सौ शराब की दुकानें थीं. अब दिल्ली सरकार इनकी तादाद मनमाने तरीके से बढ़ाकर हर वार्ड में एक शराब की दुकान खोलना चाहती है. दिल्ली सरकार की ये योजना न केवल मनमाना है, बल्कि ये स्वास्थ्य के अधिकार का उल्लंघन भी है. याचिका में कहा गया है कि शराब का सेवन धूम्रपान से दस गुना ज्यादा खतरनाक है. इसलिए शराब की बोतलों पर न केवल चेतावनी होनी चाहिए, बल्कि ये भी बताना चाहिए कि शराब का कंटेंट क्या है.