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गुंजन सक्सेना: द कारगिल गर्ल फिल्म पर रोक लगाने से दिल्ली HC का इनकार

दिल्ली हाईकोर्ट ने गुंजन सक्सेना: द कारगिल गर्ल फिल्म पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है. अब हाईकोर्ट में इस मामले की अगली सुनवाई 18 सितंबर को होगी.

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दिल्ली हाईकोर्ट
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Published : Sep 2, 2020, 1:24 PM IST

नई दिल्ली: नेटफ्लिक्स पर दिखाई जा रही फिल्म गुंजन सक्सेना: द कारगिल गर्ल पर रोक लगाने से दिल्ली हाईकोर्ट ने इनकार कर दिया है. हाईकोर्ट ने कहा कि इस फिल्म को रिलीज हुए पहले ही काफी समय बीत चुका है. जस्टिस राजीव शकधर की बेंच ने वायुसेना को पक्षकार बनाने की जगह गुंजन सक्सेना को पक्षकार बनाने का निर्देश दिया. मामले की अगली सुनवाई 18 सितंबर को होगी.

दिल्ली हाईकोर्ट ने फिल्म पर बैन से किया इनकार
बता दें कि याचिका केंद्र सरकार और वायुसेना ने दायर की है. केंद्र सरकार की ओर से एएसजी संजय जैन ने कहा कि ये फिल्म वायुसेना की साख को गिराने वाली है. फ़िल्म में सेना में लिंग आधारित भेदभाव का ग़लत चित्रण हुआ है. तब कोर्ट ने कहा कि आपको काफी पहले आना चाहिए था, हम ये आदेश नहीं दे सकते हैं. कोर्ट ने धर्मा प्रोडक्शन, नेटफ्लिक्स औऱ पूर्व फ्लाईट लेफ्टिनेंट गुंजन सक्सेना को नोटिस जारी किया है.


सुनवाई के दौरान कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा कि क्या आप स्पाईकैचर केस के बारे में जानते हैं. उस केस में कोर्ट ने रोक लगा दिया था. कोर्ट ने पूछा कि रोक लगाने के अगले दिन हेडलाइन क्या बनी थी? तब धर्मा प्रोडक्शन की ओर से पेश वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने कहा कि यू ओल्ड फूल्स. जिसके बाद कोर्ट ने कहा कि वह किताब छपी भी थी.



पहले भी याचिका खारिज कर चुका है हाईकोर्ट


बता दें कि इससे पहले भी दिल्ली हाईकोर्ट ने फिल्म गुंजन सक्सेना: द कारगिल गर्ल के कुछ डायलॉग हटाने या उसमें बदलाव की मांग वाली याचिका खारिज कर दी थी. पिछले 28 अगस्त को चीफ जस्टिस डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली बेंच ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ता से कहा कि वो अपनी मांग सूचना और प्रसारण मंत्रालय के पास रखें.





याचिका में कहा गया था कि इस फिल्म में वायुसेना की पूर्व फ्लाईट लेफ्टिनेंट गुंजन सक्सेना के काम के बारे में गलत बातें कही गई हैं. इस फिल्म में वायुसेना के पुरुष अधिकारियों को स्त्री जाति से घृणा करनेवाले के रूप में दर्शाया गया है.


याचिका में कहा गया था कि फिल्म में वायुसेना के बारे में कहा गया है कि वो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हनन करता है. इस फिल्म में भारतीय वायुसेना के बारे में कई मनगढ़ंत बातें कही गई हैं. फिल्मकार ने सिनेमा लाइसेंस की आड़ में वायुसेना के बारे में गलत तथ्यों को पेश किया है.

नई दिल्ली: नेटफ्लिक्स पर दिखाई जा रही फिल्म गुंजन सक्सेना: द कारगिल गर्ल पर रोक लगाने से दिल्ली हाईकोर्ट ने इनकार कर दिया है. हाईकोर्ट ने कहा कि इस फिल्म को रिलीज हुए पहले ही काफी समय बीत चुका है. जस्टिस राजीव शकधर की बेंच ने वायुसेना को पक्षकार बनाने की जगह गुंजन सक्सेना को पक्षकार बनाने का निर्देश दिया. मामले की अगली सुनवाई 18 सितंबर को होगी.

दिल्ली हाईकोर्ट ने फिल्म पर बैन से किया इनकार
बता दें कि याचिका केंद्र सरकार और वायुसेना ने दायर की है. केंद्र सरकार की ओर से एएसजी संजय जैन ने कहा कि ये फिल्म वायुसेना की साख को गिराने वाली है. फ़िल्म में सेना में लिंग आधारित भेदभाव का ग़लत चित्रण हुआ है. तब कोर्ट ने कहा कि आपको काफी पहले आना चाहिए था, हम ये आदेश नहीं दे सकते हैं. कोर्ट ने धर्मा प्रोडक्शन, नेटफ्लिक्स औऱ पूर्व फ्लाईट लेफ्टिनेंट गुंजन सक्सेना को नोटिस जारी किया है.


सुनवाई के दौरान कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा कि क्या आप स्पाईकैचर केस के बारे में जानते हैं. उस केस में कोर्ट ने रोक लगा दिया था. कोर्ट ने पूछा कि रोक लगाने के अगले दिन हेडलाइन क्या बनी थी? तब धर्मा प्रोडक्शन की ओर से पेश वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने कहा कि यू ओल्ड फूल्स. जिसके बाद कोर्ट ने कहा कि वह किताब छपी भी थी.



पहले भी याचिका खारिज कर चुका है हाईकोर्ट


बता दें कि इससे पहले भी दिल्ली हाईकोर्ट ने फिल्म गुंजन सक्सेना: द कारगिल गर्ल के कुछ डायलॉग हटाने या उसमें बदलाव की मांग वाली याचिका खारिज कर दी थी. पिछले 28 अगस्त को चीफ जस्टिस डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली बेंच ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ता से कहा कि वो अपनी मांग सूचना और प्रसारण मंत्रालय के पास रखें.





याचिका में कहा गया था कि इस फिल्म में वायुसेना की पूर्व फ्लाईट लेफ्टिनेंट गुंजन सक्सेना के काम के बारे में गलत बातें कही गई हैं. इस फिल्म में वायुसेना के पुरुष अधिकारियों को स्त्री जाति से घृणा करनेवाले के रूप में दर्शाया गया है.


याचिका में कहा गया था कि फिल्म में वायुसेना के बारे में कहा गया है कि वो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हनन करता है. इस फिल्म में भारतीय वायुसेना के बारे में कई मनगढ़ंत बातें कही गई हैं. फिल्मकार ने सिनेमा लाइसेंस की आड़ में वायुसेना के बारे में गलत तथ्यों को पेश किया है.

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