नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार की डेथ ऑडिट कमिटी को निरस्त किए जाने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया है. चीफ जस्टिस डीएन पटेल और जस्टिस प्रतीक जालान की बेंच ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से हुई सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता को छूट दी कि वो सही समय पर कोर्ट आकर ऐसी मांग उठा सकते हैं.
डेथ ऑडिट कमेटी को निरस्त करने की मांग
याचिका वकीलों के अखिल भारतीय संगठन ऑल इंडिया लॉयर्स यूनियन ने दायर किया था. याचिकाकर्ता की ओर से वकील फिडेल सेबेस्टियन ने कहा कि कोरोना के पॉजीटिव मरीजों और उससे हुई मौत का डाटा हर 24 घंटे पर जारी होने वाले हेल्थ बुलेटिन में प्रकाशित किया जाए. ये डाटा विभिन्न सरकारी और निजी अस्पतालों की ओर से उपलब्ध कराए जाते हैं.
दिल्ली सरकार ने पिछले 20 अप्रैल को डेथ ऑडिट कमेटी का गठन किया. ये कमेटी कोरोना से संबंधित आंकड़े देता है. याचिका में कहा गया है कि विभिन्न अस्पतालों की ओर से जारी आंकड़े और दिल्ली सरकार की ओर से जारी आंकड़ों में बड़ा अंतर होता है. इन आंकड़ो में अंतर के बारे में दिल्ली सरकार कुछ नहीं बताती है.
मरीजों और मौत का आंकड़ा छिपाने का आरोप
याचिका में दिल्ली सरकार कोरोना के मरीजों और मौत का आंकड़ा छिपाए जाने का आरोप लगाया था. याचिका में कहा गया था कि हर नागरिक का अधिकार है कि उसे सही जानकारी मिले. जब अस्पतालों के संबंधित चिकित्सा अधिकारी नए मामलों और मौत के आंकड़ों की जानकारी दे रहे हैं तो इस डेथ ऑडिट कमेटी की कोई जरुरत नहीं है और उसे निरस्त किया जाना चाहिए.
सरकारी आंकड़े अस्पतालों के आंकड़ों से मेल नहीं खाते
याचिका में कहा गया था कि दिल्ली सरकार जानबूझकर कोरोना के संकट को नजरअंदाज कर रही है. डेथ ऑडिट कमेटी अस्पतालों से मिले आंकड़ों की भी स्क्रीनिंग करती है. इस बात के बारे में अखबार और न्यूज चैनल भी बता रहे हैं. याचिका में कहा गया था कि दिल्ली सरकार के आंकड़ों के मुताबिक 17 मई तक कोरोना के 9755 मरीज थे जबकि 148 की मौत हो गई, लेकिन ये आंकड़े अस्पतालों की ओर से जारी आंकड़ों से मेल नहीं खाते हैं.