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दिल्ली हाईकोर्ट का केंद्र को निर्देश, BARC के अधिग्रहण के मांग वाले प्रतिवेदन पर जल्द करें फैसला

दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया है कि वे ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल (BARC) को सरकार की ओर से अधिग्रहित करने की मांग करने वाली याचिका संबंधी प्रतिवेदन पर जल्द फैसला करें.

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दिल्ली हाईकोर्ट का केंद्र को निर्देश, BARC के अधिग्रहण के मांग वाले प्रतिवेदन पर जल्द करें फैसला
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Published : Dec 13, 2021, 9:02 PM IST

नई दिल्ली : दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया है कि वे ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल (BARC) को अधिग्रहित करने की मांग करने वाली याचिका संबंधी प्रतिवेदन पर जल्द फैसला करें. चीफ जस्टिस डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली बेंच ने यह आदेश दिया है.


यह याचिका वेटरंस फोरम फॉर ट्रांसपैरेंसी इन पब्लिक लाइफ नामक एक गैर सरकारी संगठन (NGO) ने दायर किया था. याचिकाकर्ता की ओर से वकील रॉबिन मजूमदार ने कहा कि ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड्स (BIS) एक्ट में कहा गया है कि सरकार हर उस सामान, उद्योग, प्रक्रिया या सेवा को एक प्रमाण पत्र देगी, जो जन हित में होगा. इस एक्ट के प्रावधानों को लागू नहीं करने की वजह से स्वास्थ्य, शिक्षा, डिजिटल मीडिया और टीवी चैनलों की गुणवत्ता को मापने का काम निजी हाथों में दे दिया गया है. इससे भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलता है.



इसे भी पढ़ें : क्रिकेट नहीं, ये खेल है भारत का सबसे लोकप्रिय खेल- BARC रिपोर्ट


याचिका में कहा गया है कि ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल यानी बार्क गैरकानूनी मानकों को तय करने वाली कई एजेंसियों का छतरी संगठन बन चुका है. इसके लिए ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड्स (BIS) एक्ट के प्रावधानों की स्वीकृति नहीं ली गई है. याचिकाकर्ता ने अगस्त महीने में केंद्र सरकार को प्रतिवेदन दिया था, लेकिन उस पर कोई फैसला नहीं किया गया. उसके बाद कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि वो याचिकाकर्ता के प्रतिवेदन पर कानून के मुताबिक जल्द फैसला करे.

नई दिल्ली : दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया है कि वे ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल (BARC) को अधिग्रहित करने की मांग करने वाली याचिका संबंधी प्रतिवेदन पर जल्द फैसला करें. चीफ जस्टिस डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली बेंच ने यह आदेश दिया है.


यह याचिका वेटरंस फोरम फॉर ट्रांसपैरेंसी इन पब्लिक लाइफ नामक एक गैर सरकारी संगठन (NGO) ने दायर किया था. याचिकाकर्ता की ओर से वकील रॉबिन मजूमदार ने कहा कि ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड्स (BIS) एक्ट में कहा गया है कि सरकार हर उस सामान, उद्योग, प्रक्रिया या सेवा को एक प्रमाण पत्र देगी, जो जन हित में होगा. इस एक्ट के प्रावधानों को लागू नहीं करने की वजह से स्वास्थ्य, शिक्षा, डिजिटल मीडिया और टीवी चैनलों की गुणवत्ता को मापने का काम निजी हाथों में दे दिया गया है. इससे भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलता है.



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याचिका में कहा गया है कि ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल यानी बार्क गैरकानूनी मानकों को तय करने वाली कई एजेंसियों का छतरी संगठन बन चुका है. इसके लिए ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड्स (BIS) एक्ट के प्रावधानों की स्वीकृति नहीं ली गई है. याचिकाकर्ता ने अगस्त महीने में केंद्र सरकार को प्रतिवेदन दिया था, लेकिन उस पर कोई फैसला नहीं किया गया. उसके बाद कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि वो याचिकाकर्ता के प्रतिवेदन पर कानून के मुताबिक जल्द फैसला करे.

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