नई दिल्ली: अखिल भारतीय विज्ञान संस्थान (AIIMS) को बेहतर उपचार और सुविधाओं के लिए जाना जाता है. लेकिन क्या एम्स से लोगों का भरोसा उठ रहा है? दरअसल, यह बात हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि 2018-19 की सालाना रिपोर्ट में कुछ चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं. साल 2017 और 18 के मुताबिक AIIMS में करीब चार लाख मरीजों की कमी आई है.
2018-19 में कितने मरीज?
AIIMS की ओर से जारी की गई सालाना रिपोर्ट पर अगर नजर डालें तो वर्ष 2017-18 में पहुंचने वाले मरीजों की संख्या 43 लाख 55 हजार 338 थी. वहीं 2018- 19 ओपीडी में पहुंचने वालों की संख्या घटकर 38 लाख 14 हजार 726 रह गई है.
एम्स की ओर से जारी किए गए इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि एम्स में जिस तरीके से बड़ी संख्या में मरीज इलाज के लिए पहुंचते हैं. वहीं दूसरी ओर मरीजों की घटती संख्या एक बड़ा सवाल खड़ा करती है.
एडमिट होने वाले मरीजों की संख्या के इजाफा
वहीं AIIMS में जहां देश के कोने-कोने से मरीज पहुंचते हैं तो वहीं उनको एडमिट करने को लेकर भी मारामारी देखने को मिलती है. कई बार हालत इतनी दयनीय होती है कि मरीज जिंदगी और मौत की जंग पिसता है. लेकिन उन्हें बेड नहीं मिल पाते हैं.
हालांकि एम्स की रिपोर्ट में यह पता चला है कि वर्ष 2018 -19 में दो लाख 54 हजार 605 मरीजों को एडमिट किया गया है. वहीं वर्ष 2017-18 में पहुंचने वाले मरीजों में दो लाख 43 हजार 565 मरीजों को एडमिट किया गया था.
सर्जरी करने में बनाया रिकॉर्ड
एम्स में सर्जरी करने वालों की संख्या में काफी इजाफा हुआ है. अहम बात यह है कि इस साल एम्स ने सर्जरी करने में रिकॉर्ड कायम किया है. 2018-19 की रिपोर्ट में दो लाख 1792 मरीजों की सर्जरी की गई है. वहीं 2017-18 के मुताबिक ज्यादा सर्जरी की गई हैं और 2017-18 में एक लाख 93 हजार 34 सर्जरी की गईं थी.