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SBI ने तीन महीने की गर्भवती महिलाओं को बताया Temporarily Unfit, DCW ने थमाया नोटिस - state bank of india rules for working women

SBI ने नए नियम बनाए हैं, जिसमें तीन महीने की गर्भवती महिलाओं को शारीरिक रूप से अस्थाई तौर पर काम करने के लिए अक्षम माना गया है. जबकि पहले यह अवधि छह महीने थी. इसमें कहा गया है कि कोई भी महिला प्रसव के चार महीने के अंदर बैंक में अपनी ड्यूटी जॉइन कर सकती है. इस पर दिल्ली महिला आयोग ने बैंक के इस नियम को भेदभावपूर्ण और अवैध बताते हुए नोटिस जारी (DCW issued notice to SBI) किया है.

Temporarily Unfit
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Published : Jan 29, 2022, 11:24 AM IST

नई दिल्ली : भारतीय स्टेट बैंक ने गर्भवती महिला अभ्यर्थियों को लेकर कुछ नए नियम बनाए हैं, जिसके विरोध में अब दिल्ली महिला आयोग ने भी नोटिस (DCW issued notice to SBI) जारी कर दिया है. नोटिस में साफ लिखा है यह भेदभावपूर्ण और अवैध दोनों है. महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने कहा है कि हमने उन्हें नोटिस जारी कर इस महिला विरोधी नियम को वापस लेने की मांग की है, जबकि बैंक के नए नियम के मुताबिक, अगर कोई अभ्यर्थी तीन महीने से अधिक की गर्भवती है तो उसे अस्थायी रूप से अयोग्य माना जाएगा. ऐसी महिला प्रसव होने के चार महीने के अंदर बैंक में अपनी ड्यूटी ज्वाइन कर सकती है. इससे पहले छह महीने की गर्भावस्था वाली महिलाओं को विभिन्न शर्तों के साथ बैंक में काम करने की अनुमति थी. इससे पहले इस कदम की अखिल भारतीय स्टेट बैंक आफ इंप्लाइज एसोसिएशन ने आलोचना की है.



यह है मामला

नई भर्तियों और पदोन्नत लोगों के लिए अपने नवीनतम मेडिकल फिटनेस दिशा-निर्देशों में बैंक ने कहा कि एक अभ्यर्थी को तभी फिट माना जाएगा जब वह तीन महीने से कम की गर्भवती हो. हालांकि अगर वह तीन महीने से अधिक की गर्भवती है तो उसे अस्थायी रूप से अयोग्य माना जाएगा और उसे बच्चे की डिलीवरी के चार महीने के भीतर ड्यूटी जॉइन करने की अनुमति दी जा सकती है. 31 दिसंबर 2021 की नई भर्तियों और पदोन्नत लोगों के लिए चिकित्सा फिटनेस और नेत्र संबंधी मानकों के अनुसार, ये नियम लागू होंगे. भर्ती के लिए यह नीति 21 दिसंबर, 2021 को मंजूरी की तारीख से प्रभावी होगी.

दिल्ली महिला आयोग ने बैंक के इस नियम को भेदभावपूर्ण और अवैध बताते हुए नोटिस जारी किया है.
दिल्ली महिला आयोग ने बैंक के इस नियम को भेदभावपूर्ण और अवैध बताते हुए नोटिस जारी किया है.
पदोन्नति के संबंध में संशोधित मानक एक अप्रैल, 2022 से लागू होंगे. शर्तों में यह भी शामिल है कि एक स्त्री रोग विशेषज्ञ द्वारा जारी प्रमाणपत्र भी प्रस्तुत करना होगा कि ऐसी हालत में बैंक की नौकरी करने से उसकी गर्भावस्था या भ्रूण के विकास में कोई दिक्कत नहीं होगी. स्वास्थ्य पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा या उसका गर्भपात नहीं होगा. वर्ष 2009 में भी बैंक ने इसी तरह का प्रस्ताव रखा था, लेकिन काफी हंगामे के बाद इसे वापस ले लिया गया था.


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नई दिल्ली : भारतीय स्टेट बैंक ने गर्भवती महिला अभ्यर्थियों को लेकर कुछ नए नियम बनाए हैं, जिसके विरोध में अब दिल्ली महिला आयोग ने भी नोटिस (DCW issued notice to SBI) जारी कर दिया है. नोटिस में साफ लिखा है यह भेदभावपूर्ण और अवैध दोनों है. महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने कहा है कि हमने उन्हें नोटिस जारी कर इस महिला विरोधी नियम को वापस लेने की मांग की है, जबकि बैंक के नए नियम के मुताबिक, अगर कोई अभ्यर्थी तीन महीने से अधिक की गर्भवती है तो उसे अस्थायी रूप से अयोग्य माना जाएगा. ऐसी महिला प्रसव होने के चार महीने के अंदर बैंक में अपनी ड्यूटी ज्वाइन कर सकती है. इससे पहले छह महीने की गर्भावस्था वाली महिलाओं को विभिन्न शर्तों के साथ बैंक में काम करने की अनुमति थी. इससे पहले इस कदम की अखिल भारतीय स्टेट बैंक आफ इंप्लाइज एसोसिएशन ने आलोचना की है.



यह है मामला

नई भर्तियों और पदोन्नत लोगों के लिए अपने नवीनतम मेडिकल फिटनेस दिशा-निर्देशों में बैंक ने कहा कि एक अभ्यर्थी को तभी फिट माना जाएगा जब वह तीन महीने से कम की गर्भवती हो. हालांकि अगर वह तीन महीने से अधिक की गर्भवती है तो उसे अस्थायी रूप से अयोग्य माना जाएगा और उसे बच्चे की डिलीवरी के चार महीने के भीतर ड्यूटी जॉइन करने की अनुमति दी जा सकती है. 31 दिसंबर 2021 की नई भर्तियों और पदोन्नत लोगों के लिए चिकित्सा फिटनेस और नेत्र संबंधी मानकों के अनुसार, ये नियम लागू होंगे. भर्ती के लिए यह नीति 21 दिसंबर, 2021 को मंजूरी की तारीख से प्रभावी होगी.

दिल्ली महिला आयोग ने बैंक के इस नियम को भेदभावपूर्ण और अवैध बताते हुए नोटिस जारी किया है.
दिल्ली महिला आयोग ने बैंक के इस नियम को भेदभावपूर्ण और अवैध बताते हुए नोटिस जारी किया है.
पदोन्नति के संबंध में संशोधित मानक एक अप्रैल, 2022 से लागू होंगे. शर्तों में यह भी शामिल है कि एक स्त्री रोग विशेषज्ञ द्वारा जारी प्रमाणपत्र भी प्रस्तुत करना होगा कि ऐसी हालत में बैंक की नौकरी करने से उसकी गर्भावस्था या भ्रूण के विकास में कोई दिक्कत नहीं होगी. स्वास्थ्य पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा या उसका गर्भपात नहीं होगा. वर्ष 2009 में भी बैंक ने इसी तरह का प्रस्ताव रखा था, लेकिन काफी हंगामे के बाद इसे वापस ले लिया गया था.


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