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क्रिकेट के नाम पर खिलाड़ियों से बड़ी ठगी का खुलासा, कई राज्यों के अधिकारी शामिल! - association officers

एनसीआर से क्रिकेटर बनने का सपना देख रहे युवाओं को झांसा देकर ठगी करने वालों में राज्य क्रिकेट एसोसिएशन के कई अधिकारी शामिल हैं. नागालैंड, अरुणाचल और झारखंड की क्रिकेट एसोसिएशन के कई अधिकारी क्राइम ब्रांच के रडार पर हैं. पुलिस का कहना है कि अगर इन अधिकारियों के खिलाफ साक्ष्य मिले तो उनकी गिरफ्तारी की जा सकती है.

ठगी करने वाले आरोपी, etv bharat
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Published : Jul 26, 2019, 8:38 AM IST

नई दिल्ली: पुलिस ने हाल ही में एक ऐसे गिरोह का पर्दाफाश किया है जो युवाओं को क्रिकेटर बनाने का झांसा देकर उनसे ठगी करता था. पुलिस का कहना है कि इस मामले में क्रिकेट एसोसिएशन के अधिकारी भी शामिल है. अधिकारी आरोपी हरीश को बाहर से क्रिकेटर लाने को कहते थे, जिसके लिए उसे अच्छी खासी रकम भी मिलती थी.

क्रिकेटर बनाने के मामले में रिपोर्टर की रिपोर्ट

जानिए क्या है पूरा मामला
दिल्ली पुलिस ने एक ऐसे गिरोह को पकड़ा है जो क्रिकेटर बनाने के नाम पर लोगों से ठगी करता था. इस मामले में आरोपी हरीश ने पुलिस को बताया कि राज्य क्रिकेट एसोसिएशन के अधिकारियों से उसके अच्छे सबंध हैं. वो पहले खुद नागालैंड में क्रिकेट खेलने जाता था. अधिकारियों ने जब उसे बाहर से खिलाड़ी लाने को कहा तो उसे ये रुपये कमाने का सुनहरा मौका लगा. वो क्रिकेटर बनने की चाह रखने वाले खिलाड़ियों के परिवार से संपर्क कर उन्हें राज्य स्तर की टीम से खिलवाने के लिए लाखों रुपये वसूलने लगा.
इस काम में दूसरा आरोपी रवि दलाल उसकी मदद करता था. वो युवाओं को बुलाकर उन्हें हरीश जमाल से मिलवाता था जो उन्हें आगे क्रिकेट बोर्ड के अधिकारियों से मिलवाता था.

कई जगहों से जुड़े हैं गैंग के तार
क्राइम ब्रांच के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इस गैंग के तार केवल दिल्ली में नहीं बल्कि अरुणाचल, नागालैंड और झारखंड से जुड़े हैं. अभी तक की जांच में पता चला है कि वहां की क्रिकेट एसोसिएशन के कुछ लोगों से हरीश जमाल के संपर्क हैं. वर्ष 2018 में ही सुप्रीम कोर्ट से इन राज्यों को क्रिकेट बोर्ड की मंजूरी मिली है. उत्तर-पूर्वी राज्यों में क्रिकेटर की कमी है. इसलिए वहां के अधिकारी चाहते हैं कि बाहर के राज्यों से अच्छे खिलाड़ी लाकर वो उन्हें अपनी टीम में खिलाएं.

करोल बाग के जूते शोरूम में हुई पेमेंट
इस गैंग का पीड़ितों से रुपये लेने का तरीका भी बेहद अलग था. आरोपियों ने पुलिस को बताया कि नागालैंड में बैठे एक अधिकारी का जूतों का कारोबार है. वो करोल बाग से माल ले जाकर उसे वहां बिकवाता है. रिश्वत के रूप में मिलने वाली रकम को लेने की जगह उसने इससे करोल बाग में जूते की दुकान पर पेमेंट करवा दी थी. पुलिस को ये भी पता चला है कि हरीश सबसे ज्यादा रकम अपने पास रखता था. बीते एक साल से वो इस तरह से लाखों रुपये कमा चुका था.

नई दिल्ली: पुलिस ने हाल ही में एक ऐसे गिरोह का पर्दाफाश किया है जो युवाओं को क्रिकेटर बनाने का झांसा देकर उनसे ठगी करता था. पुलिस का कहना है कि इस मामले में क्रिकेट एसोसिएशन के अधिकारी भी शामिल है. अधिकारी आरोपी हरीश को बाहर से क्रिकेटर लाने को कहते थे, जिसके लिए उसे अच्छी खासी रकम भी मिलती थी.

क्रिकेटर बनाने के मामले में रिपोर्टर की रिपोर्ट

जानिए क्या है पूरा मामला
दिल्ली पुलिस ने एक ऐसे गिरोह को पकड़ा है जो क्रिकेटर बनाने के नाम पर लोगों से ठगी करता था. इस मामले में आरोपी हरीश ने पुलिस को बताया कि राज्य क्रिकेट एसोसिएशन के अधिकारियों से उसके अच्छे सबंध हैं. वो पहले खुद नागालैंड में क्रिकेट खेलने जाता था. अधिकारियों ने जब उसे बाहर से खिलाड़ी लाने को कहा तो उसे ये रुपये कमाने का सुनहरा मौका लगा. वो क्रिकेटर बनने की चाह रखने वाले खिलाड़ियों के परिवार से संपर्क कर उन्हें राज्य स्तर की टीम से खिलवाने के लिए लाखों रुपये वसूलने लगा.
इस काम में दूसरा आरोपी रवि दलाल उसकी मदद करता था. वो युवाओं को बुलाकर उन्हें हरीश जमाल से मिलवाता था जो उन्हें आगे क्रिकेट बोर्ड के अधिकारियों से मिलवाता था.

कई जगहों से जुड़े हैं गैंग के तार
क्राइम ब्रांच के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इस गैंग के तार केवल दिल्ली में नहीं बल्कि अरुणाचल, नागालैंड और झारखंड से जुड़े हैं. अभी तक की जांच में पता चला है कि वहां की क्रिकेट एसोसिएशन के कुछ लोगों से हरीश जमाल के संपर्क हैं. वर्ष 2018 में ही सुप्रीम कोर्ट से इन राज्यों को क्रिकेट बोर्ड की मंजूरी मिली है. उत्तर-पूर्वी राज्यों में क्रिकेटर की कमी है. इसलिए वहां के अधिकारी चाहते हैं कि बाहर के राज्यों से अच्छे खिलाड़ी लाकर वो उन्हें अपनी टीम में खिलाएं.

करोल बाग के जूते शोरूम में हुई पेमेंट
इस गैंग का पीड़ितों से रुपये लेने का तरीका भी बेहद अलग था. आरोपियों ने पुलिस को बताया कि नागालैंड में बैठे एक अधिकारी का जूतों का कारोबार है. वो करोल बाग से माल ले जाकर उसे वहां बिकवाता है. रिश्वत के रूप में मिलने वाली रकम को लेने की जगह उसने इससे करोल बाग में जूते की दुकान पर पेमेंट करवा दी थी. पुलिस को ये भी पता चला है कि हरीश सबसे ज्यादा रकम अपने पास रखता था. बीते एक साल से वो इस तरह से लाखों रुपये कमा चुका था.

Intro:नई दिल्ली
दिल्ली-एनसीआर से क्रिकेटर बनने का सपना देख रहे युवाओं को झांसा देकर ठगी करने वालों में राज्य क्रिकेट एसोसिएशन के भी कई अधिकारी शामिल हैं. नागालैंड, अरुणाचल और झारखंड की क्रिकेट एसोसिएशन के कई अधिकारी क्राइम ब्रांच के रेडार पर हैं. पुलिस का कहना है कि अगर इन अधिकारियों के खिलाफ साक्ष्य मिले तो उनकी गिरफ्तारी की जा सकती है.


Body:क्राइम ब्रांच के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इस गैंग के तार केवल दिल्ली नहीं बल्कि अरुणाचल, नागालैंड और झारखंड से जुड़ रहे हैं. अभी तक की जांच में पता चला है कि वहां की क्रिकेट एसोसिएशन के कुछ लोगों से हरीश जमाल के संपर्क हैं. वर्ष 2018 में ही सुप्रीम कोर्ट से इन राज्यों के क्रिकेट बोर्ड को मंजूरी मिली है. उत्तर-पूर्वी राज्यों में क्रिकेट खिलाड़ियों की कमी है. इसलिए वहां के अधिकारी चाहते हैं कि बाहर के राज्यों से अच्छे खिलाड़ी लाकर वह उन्हें अपनी टीम में खिलाएं.


क्रिकेटरों की तलाश में रहता था हरीश
गिरफ्तार किए गए हरीश ने पुलिस को बताया कि राज्य क्रिकेट एसोसिएशन के अधिकारियों से उसके अच्छे सबंध हैं. वह पहले खुद भी नागालैंड में क्रिकेट खेलने जाता था. अधिकारियों ने जब उसे बाहर से खिलाड़ी लाने को कहा तो उसे यह रुपये कमाने का सुनहरा मौका लगा. वह क्रिकेटर बनने की चाह रखने वाले खिलाड़ियों के परिवार से संपर्क कर उन्हें राज्य स्तर की टीम से खिलवाने के लिए लाखों रुपये वसूलने लगा. इस काम में दूसरा आरोपी रवि दलाल उसकी मदद करता था. वह युवाओं को बुलाकर उन्हें हरीश जमाल से मिलवाता था जो उन्हें आगे क्रिकेट बोर्ड के अधिकारियों से मिलवाता था.





Conclusion:करोल बाग के जूते शोरूम में हुई पेमेंट
इस गैंग का पीड़ितों से रुपये लेने का तरीका भी बेहद अलग था. आरोपियों ने पुलिस को बताया कि नागालैंड में बैठे एक अधिकारी का जूतों का कारोबार भी है. वह करोल बाग से माल ले जाकर उसे वहां बिकवाता है. रिश्वत के रूप में मिलने वाली रकम को लेने की जगह उसने इससे करोल बाग में जूते की दुकान पर पेमेंट करवा दी थी. पुलिस को यह भी पता चला है कि हरीश सबसे ज्यादा रकम अपने पास रखता था. बीते एक साल से वह इस तरह से लाखों रुपये कमा चुका था.
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