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दिल्ली में 7 अस्थायी अस्पताल में भ्रष्टाचार! ताजा स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश

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Published : Jan 6, 2022, 10:46 PM IST

दिल्ली की राऊज एवेन्यू कोर्ट ने दिल्ली में 7 अस्थायी अस्पताल बनवाने में भ्रष्टाचार की जांच की मांग वाली याचिका पर गुरुवार को सुनवाई की. अदालत ने जांच अधिकारी को ताजा स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है. मामले की अगली सुनवाई 17 जनवरी को होगी.

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नई दिल्ली : दिल्ली की राऊज एवेन्यू कोर्ट ने दिल्ली में सात अस्थायी अस्पताल बनवाने में भ्रष्टाचार की जांच की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए जांच अधिकारी को ताजा स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है. बीजेपी सांसद मनोज तिवारी की याचिका पर अगली सुनवाई 17 जनवरी को होगी.



गुरुवार को सुनवाई के दौरान मनोज तिवारी कोर्ट में पेश नहीं हुए. उनकी ओर से पेश वकील विजय जोशी ने कहा कि मनोज तिवारी को कोरोना का संक्रमण हो गया है. जिसके चलते वह आइसोलेशन में हैं. 24 दिसंबर 2021 को विजय जोशी ने कहा था कि अगर जांच अधिकारी को जरूरत हो तो शिकायतकर्ता जांच में सहयोग करने को तैयार है. तब जांच अधिकारी ने कहा कि वे इस मामले में आगे और जांच करना चाहते हैं. 9 अक्टूबर को कोर्ट ने एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) को स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया था. एसीबी के जांच अधिकारी बृजेश मिश्रा ने स्टेटस रिपोर्ट पेश करते हुए कहा था कि इस शिकायत पर जांच शुरू करने के लिए सक्षम प्राधिकार से अनुमति लेने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. जांच अधिकारी ने कहा था कि वो अनुमति लेने की प्रक्रिया में तेजी लाएगा.


मनोज तिवारी ने शिकायत की है कि उन्होंने केंद्र सरकार के सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा को पत्र लिखकर कहा था कि दिल्ली में सात अस्थायी अस्पतालों के निर्माण में PWD की ओर से फर्जीवाड़ा किया गया है. ये सभी अस्पताल शालीमार बाग, किराड़ी, सुल्तानपुरी, चाचा नेहरू बाल चिकित्सालय, जीटीबी अस्पताल, सरिता विहार और रघुबीर नगर में स्थित हैं, इन अस्थायी अस्पतालों के निर्माण के लिए एक ही कंपनी सैम इंडिया बिल्डवेल प्राइवेट लिमिटेड को ठेका देने में पक्षपात किया गया. इस कंपनी को 1256 करोड़ रुपए का ठेका दिया गया, जबकि इन अस्पतालों को बनाने में अनुमानित लागत 1216 करोड़ रुपए थी. तमाम ठेका बिना दिल्ली सरकार की अनुमति के एक ही दिन में दे दिया गया.

इसे भी पढ़ें : सिसोदिया के ट्वीट का दिया जवाब, आदेश गुप्ता का सीएम केजरीवाल पर करप्शन का आरोप

मनोज तिवारी ने अपनी शिकायत में कहा है कि दिल्ली सरकार के PWD मंत्री सत्येन्द्र जैन, PWD इंजीनियर इन चीफ शशिकांत और चीफ इंजीनियर संजीव रस्तोगी की भूमिका की जांच हो. शिकायत में कहा गया है कि शशिकांत ने अपने रिटायर होने की तिथि 31 अगस्त को अस्थायी अस्पताल के निर्माण के लिए सैम बिल्डवेल के नाम से 1256 करोड़ रुपए के तीन टेंडर स्वीकृत किए. इन अस्पतालों की टेंडर राशि को संजीव रस्तोगी ने यह कहकर बढ़ा दिया कि स्ट्रक्चरल ट्यूब की कीमत 79 हजार रुपए प्रति टन हो गया है, जबकि इसकी कीमत 52,625 रुपए प्रति टन थी.

नई दिल्ली : दिल्ली की राऊज एवेन्यू कोर्ट ने दिल्ली में सात अस्थायी अस्पताल बनवाने में भ्रष्टाचार की जांच की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए जांच अधिकारी को ताजा स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है. बीजेपी सांसद मनोज तिवारी की याचिका पर अगली सुनवाई 17 जनवरी को होगी.



गुरुवार को सुनवाई के दौरान मनोज तिवारी कोर्ट में पेश नहीं हुए. उनकी ओर से पेश वकील विजय जोशी ने कहा कि मनोज तिवारी को कोरोना का संक्रमण हो गया है. जिसके चलते वह आइसोलेशन में हैं. 24 दिसंबर 2021 को विजय जोशी ने कहा था कि अगर जांच अधिकारी को जरूरत हो तो शिकायतकर्ता जांच में सहयोग करने को तैयार है. तब जांच अधिकारी ने कहा कि वे इस मामले में आगे और जांच करना चाहते हैं. 9 अक्टूबर को कोर्ट ने एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) को स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया था. एसीबी के जांच अधिकारी बृजेश मिश्रा ने स्टेटस रिपोर्ट पेश करते हुए कहा था कि इस शिकायत पर जांच शुरू करने के लिए सक्षम प्राधिकार से अनुमति लेने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. जांच अधिकारी ने कहा था कि वो अनुमति लेने की प्रक्रिया में तेजी लाएगा.


मनोज तिवारी ने शिकायत की है कि उन्होंने केंद्र सरकार के सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा को पत्र लिखकर कहा था कि दिल्ली में सात अस्थायी अस्पतालों के निर्माण में PWD की ओर से फर्जीवाड़ा किया गया है. ये सभी अस्पताल शालीमार बाग, किराड़ी, सुल्तानपुरी, चाचा नेहरू बाल चिकित्सालय, जीटीबी अस्पताल, सरिता विहार और रघुबीर नगर में स्थित हैं, इन अस्थायी अस्पतालों के निर्माण के लिए एक ही कंपनी सैम इंडिया बिल्डवेल प्राइवेट लिमिटेड को ठेका देने में पक्षपात किया गया. इस कंपनी को 1256 करोड़ रुपए का ठेका दिया गया, जबकि इन अस्पतालों को बनाने में अनुमानित लागत 1216 करोड़ रुपए थी. तमाम ठेका बिना दिल्ली सरकार की अनुमति के एक ही दिन में दे दिया गया.

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मनोज तिवारी ने अपनी शिकायत में कहा है कि दिल्ली सरकार के PWD मंत्री सत्येन्द्र जैन, PWD इंजीनियर इन चीफ शशिकांत और चीफ इंजीनियर संजीव रस्तोगी की भूमिका की जांच हो. शिकायत में कहा गया है कि शशिकांत ने अपने रिटायर होने की तिथि 31 अगस्त को अस्थायी अस्पताल के निर्माण के लिए सैम बिल्डवेल के नाम से 1256 करोड़ रुपए के तीन टेंडर स्वीकृत किए. इन अस्पतालों की टेंडर राशि को संजीव रस्तोगी ने यह कहकर बढ़ा दिया कि स्ट्रक्चरल ट्यूब की कीमत 79 हजार रुपए प्रति टन हो गया है, जबकि इसकी कीमत 52,625 रुपए प्रति टन थी.

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