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साकेत: दीपावली पर कोरोना की मार, ग्राहकों की आस देख रहे कारीगर और दुकानदार - दीपावली मिट्टी के बर्तन कारीगर कोरोना का असर साकेत

साकेत में फुटपाथ पर ग्राहकों के इंतजार में बैठे दुकानदारों और कारीगरों ने ईटीवी भारत को बताया कि दीपावली के इस त्यौहार पर भी उनको बदलाव की कोई उम्मीद नजर नहीं आ रही है. उन्होंने ग्राहकों को लेकर कहा कि दिल्ली में लोग ही नहीं हैं. हर कोई अपने घर चला गया है और जो लोग दिल्ली में है वे भी कोरोना की वजह से अपने घरों से बाहर नहीं निकलना चाहते हैं.

Corona transition period affected work of artisans selling pottery in Saket
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Published : Nov 4, 2020, 6:31 PM IST

नई दिल्ली: साकेत में राजस्थान के चित्तौड़गढ़ से आए हुए कारीगर फुटपाथ पर रेहड़ी लगाकर मिट्टी के बर्तन और लोहे के सामान बेचने का काम करते हैं. इस बार कोरोना संक्रमण के कारण लगाए गए लॉकडाउन ने भारी परेशानी खड़ी कर दी. फिलहाल त्यौहारी सीजन चल रहा है. लेकिन इन कारीगरों के पास अपने सामान बेचने के लिए ग्राहक ही नहीं हैं. ऐसे में उन्हें अपना गुजारा चलाना भी मुश्किल हो रहा है. ईटीवी भारत इन कारीगरों का हाल जानने पहुंचा कि ये दीपावली उन लोगों के लिए भी खुशियों वाली होगी कि नहीं.

'इस बार पूरा साल बर्बाद चला गया'
'बदलाव की कोई उम्मीद नहीं दिख रही'

ईटीवी भारत की टीम ने साकेत में फुटपाथ पर रेहड़ी लगाकर सामान बेचने वाले दुकानदारों से बातचीत की. ग्राहकों के इंतजार में बैठे दुकानदारों और कारीगरों ने ईटीवी भारत को बताया कि दीपावली के इस त्यौहार पर भी उनको बदलाव की कोई उम्मीद नजर नहीं आ रही है. उन्होंने ग्राहकों को लेकर कहा कि दिल्ली में लोग ही नहीं हैं. हर कोई अपने घर चला गया है और जो लोग दिल्ली में है वे भी कोरोना की वजह से अपने घरों से बाहर नहीं निकलना चाहते हैं.

'हमने ऐसा वक्त कभी नहीं देखा'

दुकानदारों ने ईटीवी भारत को बताया कि वैसे भी उनका सामान आम लोग खरीदते थे और वे सब अब चले गए हैं. जो लोग अभी दिल्ली में हैं उनके पास पैसे नहीं हैं. इसकी वजह से इस दीपावली में भी उन्हें कोई उम्मीद नहीं है कि उनका सामान बिकेगा और वे खुशी से त्यौहार मना पाएंगे. कारीगरों ने बताया कि इस बार उनका पूरा साल बर्बाद चला गया. वे बीते 15 सालों से दिल्ली में रेहड़ी पर अपने सामान बेच रहे हैं, लेकिन ऐसा वक्त उन्होंने कभी नहीं देखा था.



दुकानदारों ने आगे कहा कि दीपावली का त्यौहार सबके चेहरे पर खुशियां और मुस्कान लाता है. लेकिन इस बार दीपावली उनके चेहरे पर खुशियां नहीं ला पाएगा. कुछ दुकानदारों ने बताया कि उनका गुजारा करना भी मुश्किल हो गया है, क्योंकि उनके पास पैसे नहीं है. इस समय 20 फीसदी ही काम चल रहा है, जिसकी वजह से उन्हें भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

नई दिल्ली: साकेत में राजस्थान के चित्तौड़गढ़ से आए हुए कारीगर फुटपाथ पर रेहड़ी लगाकर मिट्टी के बर्तन और लोहे के सामान बेचने का काम करते हैं. इस बार कोरोना संक्रमण के कारण लगाए गए लॉकडाउन ने भारी परेशानी खड़ी कर दी. फिलहाल त्यौहारी सीजन चल रहा है. लेकिन इन कारीगरों के पास अपने सामान बेचने के लिए ग्राहक ही नहीं हैं. ऐसे में उन्हें अपना गुजारा चलाना भी मुश्किल हो रहा है. ईटीवी भारत इन कारीगरों का हाल जानने पहुंचा कि ये दीपावली उन लोगों के लिए भी खुशियों वाली होगी कि नहीं.

'इस बार पूरा साल बर्बाद चला गया'
'बदलाव की कोई उम्मीद नहीं दिख रही'

ईटीवी भारत की टीम ने साकेत में फुटपाथ पर रेहड़ी लगाकर सामान बेचने वाले दुकानदारों से बातचीत की. ग्राहकों के इंतजार में बैठे दुकानदारों और कारीगरों ने ईटीवी भारत को बताया कि दीपावली के इस त्यौहार पर भी उनको बदलाव की कोई उम्मीद नजर नहीं आ रही है. उन्होंने ग्राहकों को लेकर कहा कि दिल्ली में लोग ही नहीं हैं. हर कोई अपने घर चला गया है और जो लोग दिल्ली में है वे भी कोरोना की वजह से अपने घरों से बाहर नहीं निकलना चाहते हैं.

'हमने ऐसा वक्त कभी नहीं देखा'

दुकानदारों ने ईटीवी भारत को बताया कि वैसे भी उनका सामान आम लोग खरीदते थे और वे सब अब चले गए हैं. जो लोग अभी दिल्ली में हैं उनके पास पैसे नहीं हैं. इसकी वजह से इस दीपावली में भी उन्हें कोई उम्मीद नहीं है कि उनका सामान बिकेगा और वे खुशी से त्यौहार मना पाएंगे. कारीगरों ने बताया कि इस बार उनका पूरा साल बर्बाद चला गया. वे बीते 15 सालों से दिल्ली में रेहड़ी पर अपने सामान बेच रहे हैं, लेकिन ऐसा वक्त उन्होंने कभी नहीं देखा था.



दुकानदारों ने आगे कहा कि दीपावली का त्यौहार सबके चेहरे पर खुशियां और मुस्कान लाता है. लेकिन इस बार दीपावली उनके चेहरे पर खुशियां नहीं ला पाएगा. कुछ दुकानदारों ने बताया कि उनका गुजारा करना भी मुश्किल हो गया है, क्योंकि उनके पास पैसे नहीं है. इस समय 20 फीसदी ही काम चल रहा है, जिसकी वजह से उन्हें भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

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