नई दिल्ली: कोरोना महामारी ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कारोबार को बड़ा नुकसान पहुंचाया है. वहीं इंडिया ट्रेड प्रमोशन ऑर्गेनाइजेशन ( इटपो )को भी इस वर्ष करोड़ों का नुकसान हुआ है. वहीं सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार ITPO द्वारा हर साल कई एग्जीबिशन आयोजित किए जाते हैं लेकिन इस बार कोविड -19 के चलते 50 से अधिक आयोजन रद्द करने पड़े, जिससे उन्हें कई करोड़ का नुकसान हुआ है. यहां तक कि इटपो का सबसे बड़ा आयोजन ट्रेड फेयर जो कि नवंबर माह में होता है उस पर भी संशय बना हुआ है. हालांकि अगर आयोजन की अनुमति मिल भी जाती है तो यह महज खानापूर्ति होगी, क्योंकि विदेशी भागीदार के इस ट्रेड फेयर में आने की संभावना न के बराबर है.
इटपो पर भारी पड़ा कोरोना, हुआ करोड़ों का नुकसान
गौरतलब है कि कोरोना संक्रमण के चलते कई कंपनियों को आर्थिक नुकसान पहुंचा है. इससे इटपो भी अछूता नहीं है. मिली जानकारी के अनुसार इटपो को इस वित्तीय वर्ष में काफी नुकसान हुआ है. बता दें कि इटपो द्वारा 50 से अधिक एग्जीबिशन कोरोना संक्रमण के चलते रद्द किए जा चुके हैं, जिसमें उन्हें करोड़ों का नुकसान हुआ है. बता दें कि इटपो द्वारा मई में 10, जून में 5 और जुलाई माह में 17 एग्जीबिशन आयोजित होने थे जो कि नहीं हो पाए. इसके अलावा अगस्त महीने में सबसे ज्यादा 17 और सितंबर माह में 8 एग्जीबिशन होने थे लेकिन कोरोना संक्रमण के चलते सभी रद्द करने पड़े. बता दें कि इन एग्जीबिशन के लिए पहले ही बुकिंग हो चुकी थी. वहीं अब अक्टूबर माह में 5 और दिसंबर में 7 एग्जीबिशन आयोजित होना तय है. इसके अलावा सबसे बड़ा आयोजन ट्रेड फेयर है जो कि नवंबर माह में होता है, लेकिन इस बार उस पर भी संशय के बादल मंडरा रहे हैं.
ट्रेड फेयर के आयोजन पर भी संशय
बता दें कि दिल्ली के प्रगति मैदान में अप्रैल से मार्च तक 90 से ज्यादा एग्जीबिशन इटपो द्वारा लगाए जाते हैं, जिसमें से 50 से अधिक एग्जीबिशन अब तक रद्द की जा चुके हैं. वहीं नवंबर माह में आयोजित होने वाले ट्रेड फेयर पर भी संशय बना हुआ है. इसको लेकर इटपो आयोजन की तैयारी में लगा है. साथ ही सरकार से अनुमति मांगने के लिए भी अर्जी दे दी है लेकिन अभी तक सरकार द्वारा कोई जवाब नहीं मिला है. वहीं सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार यदि सरकार कुछ शर्तों के साथ अनुमति दे भी देती है तो भी इस बार ट्रेड फेयर का आयोजन महज खानापूर्ति होगा, क्योंकि ट्रेड फेयर में दुनिया भर के करीब 7000 से ज्यादा भागीदार हिस्सा लेते हैं, लेकिन इस बार विदेशी भागीदारों के आने की संभावना न के बराबर है.
आर्थिक तंगी के चलते लोगों के ट्रेड फेयर में आने पर संशय
वहीं घरेलू भागीदार भी शामिल होंगे या नहीं यह भी अभी तय नहीं है, क्योंकि लॉकडाउन के दौरान सभी को बड़ा आर्थिक नुकसान हुआ है. ऐसे में ट्रेड फेयर में आम जनता की भीड़ भी शायद देखने को न मिले. अब देखने वाली बात होगी कि इन सभी समस्याओं को देखते हुए इटपो का अगला कदम क्या होता है और वह क्या व्यवस्था करेगा जिससे वह अपने वित्तीय वर्ष के नुकसान की भरपाई कर सके.