नई दिल्ली: दिल्ली के कई इलाकों में प्रतिबंध के बाद भी खुलेआम कोयले से जलने वाले तंदूर जलाए जा रहे हैं. कोयले से जलने वाले तंदूर से प्रदूषण फैलता है. धुआं निकलने की वजह से आसपास के इलाके में सांस लेना तक मुश्किल हो जाता है. बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए सरकार द्वारा कोयले के तंदूर जलाने पर प्रतिबंध लगाया गया है. बावजूद इसके प्रशासन की तरफ से कोई कार्रवाई इस पर नहीं की जा रही है.
दरअसल, दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण का एक कारण कोयले से जलने वाले तंदूर हैं. कोयले से जलने वाले तंदूर और भट्टियों से काफी धुआं निकलता है, जिससे आसपास के इलाके में लोगों का सांस लेना मुश्किल हो जाता है. जिस जगह पर कोयले के तंदूर में खाना बनाया जाता है. वहां लोगों को सांस लेने में परेशानी होती है और धुआं भी आसपास के दुकान और घरों में पहुंचता है. इसे देखते हुए ऐसे तंदूर और भट्टियों पर रोक लगा दी गई थी. बावजूद उसके दिल्ली में खुलेआम कोयले से जलने वाले तंदूर जलाए जा रहे हैं.
प्रदूषण फैलाने वाले कोयले के तंदूर और भट्टियां. तस्वीरें शालीमार बाग, पीतमपुरा, मौर्य एन्क्लेव इलाके की हैं, जहां खुलेआम नियमों की धज्जियां उड़ रही हैं. कैमरे के सामने भी कुछ रेस्टोरेंट्स चालक बेखौफ तरीके से खुलेआम नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं और इलाके में प्रदूषण फैला रहे हैं. हद तो तब हो गई जब मौर्य एन्क्लेव थाने के सामने बना होटल कोयले से चलने वाले तंदूर का इस्तेमाल करते हुए मिला.
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लंबे समय से इस रेस्टोरेंट में कोयले से चलने वाले तंदूर का इस्तेमाल हो रहा है, यहां पुलिसकर्मियों को आना-जाना होता रहा है, लेकिन प्रदूषित करने वाले कोयले को रोकने के लिए प्रशासन की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है. सवाल यह उठता है कि जब नियम बनाने वालों की आंखों के सामने नियम तोड़े जाते हैं तो कोई शिकायत कहां करे.
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