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मेट्रो बोर्ड में AAP के सदस्यों पर केंद्र ने उठाए सवाल, नाम जानकार आप भी हो जाएंगे हैरान - metro board member

केंद्र सरकार की ओर से आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव के. संजय मूर्ति ने दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव विजय देव को पत्र लिखकर सलाह दी है कि दिल्ली मेट्रो और दिल्ली के विकास के लिए राज्य सरकार प्रस्तावित नाम को वापस ले लें.

AAP के सदस्यों पर केंद्र ने उठाए सवाल etv bharat
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Published : Jul 18, 2019, 12:05 PM IST

Updated : Jul 18, 2019, 12:22 PM IST

नई दिल्ली: प्रदेश सरकार द्वारा मेट्रो में महिलाओं की फ्री राइड योजना से पहले मेट्रो बोर्ड में चार सदस्यों के मनोनीत करने के मामले ने तूल पकड़ लिया है. दिल्ली सरकार द्वारा मनोनीत सदस्यों के नाम पर केंद्र सरकार सहमत नहीं है.

मेट्रो बोर्ड में AAP के सदस्यों पर केंद्र ने उठाए सवाल


दिल्ली सरकार ने जिन आम आदमी पार्टी नेताओं को दिल्ली मेट्रो के बोर्ड में डायरेक्टर पद के लिए भेजा है. उस पर शहरी विकास मंत्रालय ने पत्र लिखकर कहा कि मनोनीत सदस्यों के नाम वापस ले और उनकी जगह पहले की तरह ही दिल्ली सरकार के अधिकारी या पूर्व सरकारी अधिकारियों को ही बोर्ड में नियुक्त करें.


केंद्र सरकार की ओर से आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव के. संजय मूर्ति ने दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव विजय देव को पत्र लिखकर सलाह दी है कि दिल्ली मेट्रो और दिल्ली के विकास के लिए राज्य सरकार प्रस्तावित नाम को वापस ले लें.

मनोनीत सदस्यों में किसका है नाम
दिल्ली सरकार के परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने पिछले दिनों ट्रांसपोर्ट कमिश्नर और दिल्ली मेट्रो को पत्र लिखकर कहा था कि दिल्ली सरकार ने बोर्ड में 4 नए सदस्य नियुक्त करने का फैसला किया है. जो नाम भेजे थे उनमें आम आदमी पार्टी के सांसद एनडी गुप्ता के बेटे नवीन गुप्ता, दिल्ली डायलॉग कमीशन के चेयरमैन जासमीन शाह, आम आदमी पार्टी के नेता राघव चड्ढा और आतिशी मारलेना का नाम शामिल था.

गाइडलाइंस का दिया हवाला
केंद्रीय शहरी एवं आवास मंत्रालय की ओर से दिल्ली सरकार को जो जवाब भेजा गया है, उसमें बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स को लेकर 1993 की गाइडलाइंस का भी हवाला दिया गया है. जिसमें कहा गया है कि बोर्ड सदस्य में अगर सरकारी अधिकारी या सेवानिवृत्त अधिकारी नहीं रहेंगे तो उनकी जवाबदेही सुनिश्चित नहीं की जा सकती है. देश भर में अभी इसी मॉडल पर सभी मेट्रो बोर्ड में सरकार की तरफ से सदस्य मनोनीत किए गए हैं.

नौकरशाहों की जगह नेताओं को किया मनोनीत
बता दें कि दिल्ली सरकार ने मेट्रो में महिलाओं की मुफ्त सवारी कराने की योजना साकार हो इसके लिए मेट्रो बोर्ड में फेरबदल करते हुए अपने नए सदस्यों को मनोनीत किया है. खास बात यह है कि 17 सदस्य वाले मेट्रो बोर्ड में अभी तक सरकार की तरफ से नौकरशाह ही सदस्य होते रहे हैं. जिनमें मुख्यमंत्री के अलावा मुख्य सचिव, वित्त विभाग के प्रधान सचिव, सूचना विभाग और योजना विभाग के अधिकारी सदस्य होते रहे हैं. लेकिन अपने उक्त वादे को पूरा करने के लिए केजरीवाल सरकार ने नौकरशाहों की जगह आम आदमी पार्टी के नेताओं को सदस्य मनोनीत किया है.

नई दिल्ली: प्रदेश सरकार द्वारा मेट्रो में महिलाओं की फ्री राइड योजना से पहले मेट्रो बोर्ड में चार सदस्यों के मनोनीत करने के मामले ने तूल पकड़ लिया है. दिल्ली सरकार द्वारा मनोनीत सदस्यों के नाम पर केंद्र सरकार सहमत नहीं है.

मेट्रो बोर्ड में AAP के सदस्यों पर केंद्र ने उठाए सवाल


दिल्ली सरकार ने जिन आम आदमी पार्टी नेताओं को दिल्ली मेट्रो के बोर्ड में डायरेक्टर पद के लिए भेजा है. उस पर शहरी विकास मंत्रालय ने पत्र लिखकर कहा कि मनोनीत सदस्यों के नाम वापस ले और उनकी जगह पहले की तरह ही दिल्ली सरकार के अधिकारी या पूर्व सरकारी अधिकारियों को ही बोर्ड में नियुक्त करें.


केंद्र सरकार की ओर से आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव के. संजय मूर्ति ने दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव विजय देव को पत्र लिखकर सलाह दी है कि दिल्ली मेट्रो और दिल्ली के विकास के लिए राज्य सरकार प्रस्तावित नाम को वापस ले लें.

मनोनीत सदस्यों में किसका है नाम
दिल्ली सरकार के परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने पिछले दिनों ट्रांसपोर्ट कमिश्नर और दिल्ली मेट्रो को पत्र लिखकर कहा था कि दिल्ली सरकार ने बोर्ड में 4 नए सदस्य नियुक्त करने का फैसला किया है. जो नाम भेजे थे उनमें आम आदमी पार्टी के सांसद एनडी गुप्ता के बेटे नवीन गुप्ता, दिल्ली डायलॉग कमीशन के चेयरमैन जासमीन शाह, आम आदमी पार्टी के नेता राघव चड्ढा और आतिशी मारलेना का नाम शामिल था.

गाइडलाइंस का दिया हवाला
केंद्रीय शहरी एवं आवास मंत्रालय की ओर से दिल्ली सरकार को जो जवाब भेजा गया है, उसमें बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स को लेकर 1993 की गाइडलाइंस का भी हवाला दिया गया है. जिसमें कहा गया है कि बोर्ड सदस्य में अगर सरकारी अधिकारी या सेवानिवृत्त अधिकारी नहीं रहेंगे तो उनकी जवाबदेही सुनिश्चित नहीं की जा सकती है. देश भर में अभी इसी मॉडल पर सभी मेट्रो बोर्ड में सरकार की तरफ से सदस्य मनोनीत किए गए हैं.

नौकरशाहों की जगह नेताओं को किया मनोनीत
बता दें कि दिल्ली सरकार ने मेट्रो में महिलाओं की मुफ्त सवारी कराने की योजना साकार हो इसके लिए मेट्रो बोर्ड में फेरबदल करते हुए अपने नए सदस्यों को मनोनीत किया है. खास बात यह है कि 17 सदस्य वाले मेट्रो बोर्ड में अभी तक सरकार की तरफ से नौकरशाह ही सदस्य होते रहे हैं. जिनमें मुख्यमंत्री के अलावा मुख्य सचिव, वित्त विभाग के प्रधान सचिव, सूचना विभाग और योजना विभाग के अधिकारी सदस्य होते रहे हैं. लेकिन अपने उक्त वादे को पूरा करने के लिए केजरीवाल सरकार ने नौकरशाहों की जगह आम आदमी पार्टी के नेताओं को सदस्य मनोनीत किया है.

Intro:नई दिल्ली. दिल्ली सरकार की मेट्रो में महिलाओं की फ्री रराइड योजना से पूर्व मेट्रो बोर्ड में चार सदस्यों के मनोनीत के मामले ने तूल पकड़ लिया है. केंद्र सरकार दिल्ली सरकार द्वारा मनोनीत सदस्यों के नाम को लेकर तैयार नहीं है. दिल्ली सरकार ने जिन आम आदमी पार्टी नेताओं को दिल्ली मेट्रो के बोर्ड में डायरेक्टर पद के लिए भेजें हैं, शहरी विकास मंत्रालय ने दिल्ली सरकार को पत्र लिखकर कहा कि मनोनीत सदस्यों के नाम वापिस ले और उनकी जगह है पहले की तरह ही दिल्ली सरकार के अधिकारी या पूर्व सरकारी अधिकारियों को ही बोर्ड में नियुक्त करें. ताकि उनकी जवाबदेही सुनिश्चित की जा सके.


Body:दिल्ली सरकार द्वारा मनोनीत सदस्यों को लेकर केंद्र सरकार की ओर से आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव के. संजय मूर्ति ने दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव विजय देव को पत्र लिखकर सलाह दी है कि दिल्ली मेट्रो और दिल्ली के विकास के लिए राज्य सरकार प्रस्तावित नाम को वापस ले लें.

दिल्ली सरकार के परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने पिछले दिनों ट्रांसपोर्ट कमिश्नर और दिल्ली मेट्रो को पत्र लिखकर कहा था कि दिल्ली सरकार ने बोर्ड में 4 नए सदस्य नियुक्त करने का फैसला किया है. जो नाम भेजे थे उनमें आम आदमी पार्टी के सांसद एनडी गुप्ता के बेटे नवीन गुप्ता, दिल्ली डायलॉग कमीशन के चेयरमैन जासमीन शाह, आम आदमी पार्टी के नेता राघव चड्ढा और आतिशी मारलेना का नाम शामिल था.

केंद्रीय शहरी एवं आवाज मंत्रालय की ओर से दिल्ली सरकार को जो जवाब भेजा गया है, उसमें बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स को लेकर 1993 की गाइडलाइंस का भी हवाला दिया गया है. जिसमें कहा गया है कि बोर्ड सदस्य में अगर सरकारी अधिकारी या सेवानिवृत्त अधिकारी नहीं रहेंगे तो उनकी जवाबदेही सुनिश्चित नहीं की जा सकती है. देश भर में अभी इसी मॉडल पर सभी मेट्रो बोर्ड में सरकार की तरफ से मनोनीत किए गए हैं. यह प्रयोग बेहतर है.

केंद्र सरकार द्वारा दिल्ली सरकार को भेजे गए पत्र में कहा गया है कि दिल्ली मेट्रो और दिल्ली के हित में यह जरूरी है कि दिल्ली सरकार मेट्रो बोर्ड के लिए प्रस्तावित नामों को वापस ले लें.


Conclusion:बता दें कि दिल्ली सरकार द्वारा मेट्रो में महिलाओं की मुफ्त सवारी कराने की योजना साकार हो सके इसलिए केजरीवाल सरकार ने मेट्रो बोर्ड के फेरबदल करते हुए अपने नए सदस्यों को मनोनीत किया है. खास बात यह है कि 17 सदस्य वाले बोर्ड मेट्रो बोर्ड में अभी तक सरकार की तरफ से नौकरशाह ही सदस्य होते रहे हैं. जिनमें मुख्यमंत्री के अलावा मुख्य सचिव, वित्त विभाग के प्रधान सचिव, सूचना विभाग व योजना विभाग के अधिकारी सदस्य होते रहे हैं. लेकिन अपने उक्त वादे को पूरा करने के लिए केजरीवाल सरकार ने नौकरशाहों की जगह आम आदमी पार्टी के नेताओं को सदस्य मनोनीत किया है.

समाप्त, आशुतोष झा
Last Updated : Jul 18, 2019, 12:22 PM IST
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