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कारोबारियों को दर्दः प्रदूषण पर लगाम लगाने को लेकर पटाखों पर ही रोक क्याें लगाई जाती है ?

राजधानी दिल्ली के सभी बाजारों में रोशनी के त्योहार दिवाली के मद्देनजर बाजारों में इस बार पिछले 2 सालों के मुकाबले लोगों की ज्यादा चहल-पहल देखी जा रही है. लोग बाजार में खरीदारी कर रहे हैं, लेकिन पटाखों पर प्रतिबंध की वजह से इसके काराेबारियाें में निराशा है. सदर बाजार में पटाखों की 70 दुकानें बंद पड़ी हैं.

पटाखों पर ही रोक क्याें
पटाखों पर ही रोक क्याें
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Published : Oct 29, 2021, 9:35 PM IST

नई दिल्लीः राजधानी दिल्ली में दीवाली पर इस बार भी पटाखों की बिक्री और स्टोरेज के पर पूरे तरीके से पाबंदी लगा दी गई है. बिक्री पर पाबंदी के कारण करीब 900 करोड़ रुपए का व्यापार प्रभावित हाेने का अनुमान है. इससे पटाखा कारोबारी परेशान हैं. उनका कहना है कि हर बार राजधानी में प्रदूषण पर लगाम लगाने को लेकर पटाखों पर ही रोक क्याें लगाई जाती है. पटाखा कारोबारी सड़क पर आ गये हैं.

दिल्ली की सबसे बड़े होलसेल मार्केट सदर बाजार में पटाखों का करोड़ों रुपए का कारोबार होता था. दिल्ली ही नहीं आसपास के जगह से भी बड़ी संख्या में लोग यहां पर पटाखे खरीदने के लिए आते थे. लगभग दाे महीने पहले पटाखों पर प्रतिबंध लगाए जाने के बाद इसका कारोबार बंद हो गया है. व्यापारी परेशान हैं. व्यापारियों ने ईटीवी भारत से बताया कि दिल्ली सरकार के द्वारा हर बार प्रदूषण के मद्देनजर सिर्फ पटाखों पर ही प्रतिबंध लगाया जाता है, और कोई कड़ा कदम नहीं उठाया जाता है.

देखिये, सदर बाजार के व्यापारियाें ने जाहिर किया आक्राेश.

पढ़ेंः दीपावली पर सुरक्षा को लेकर मार्केट में बने मचान, उस पर हथियारबंद जवान

दिल्ली में प्रदूषण के और भी कई कारण हैं. वाहनों से होने वाले प्रदूषण के साथ-साथ इंडस्ट्री प्रदूषण और पराली भी मुख्य कारण हैं. दिल्ली सरकार के द्वारा पहले राजधानी में ग्रीन पटाखों की बिक्री तमाम नियमों और शर्तों के तहत इजाजत दी गई थी, लेकिन अब ग्रीन पटाखों पर भी रोक लगा दी गई है. राजधानी में अगर पटाखों पर रोक लगानी है तो हमेशा के लिए ही लगा दे. हर बार दिवाली के पहले पटाखों की बिक्री पर रोक क्याें लगाई जाती है.

पढ़ेंः यहां से शुरू हुई थी सिखों की दिवाली, जानें इसके पीछे की रोचक कहानी

शिवकाशी से ग्रीन पटाखे दिल्ली आ गए और व्यापारियों ने उन्हें अपने गोदामों में स्टोर कर लिया उसके बाद दिल्ली सरकार के द्वारा पटाखों पर रोक लगाई गई है. जिन व्यापारियों ने रोक लगने से पहले पटाखों को मंगवा लिया था और स्टोर कर लिया था उनकी परेशानी बढ़ गई है. उन्हें पटाखे स्टोर करने वाले गोडाउन का किराया देना पड़ रहा है. एनसीआर में पटाखे चलाने के ऊपर किसी भी तरह का कोई प्रतिबंध नहीं है, पटाखों का प्रतिबंध सिर्फ दिल्ली में ही है.

पटाखों पर ही रोक क्याें, पूछ रहे व्यवसायी.
पटाखों पर ही रोक क्याें, पूछ रहे व्यवसायी.

व्यपारियाें की मानें ताे दिल्ली में तकरीबन 900 करोड रुपए के पटाखों का कारोबार होता है. एनसीआर में भी तकरीबन 500 करोड़ रुपए का पटाखों का व्यापार होता है. हर रोज बड़ी संख्या में छोटे-छोटे बच्चे पटाखों की खरीदारी करने के लिए माता पिता के साथ आते हैं लेकिन जब उन्हें पता लगता है कि पटाखों की बिक्री पर पाबंदी लगा दी गई है, तो निराश होकर चले जाते है. दिवाली के त्योहार पर दाे से तीन घंटे पटाखे फोड़ कर बच्चों को जो खुशियां मिलती है वह खुशी दिल्ली सरकार ने छीन ली है. पटाखों पर पाबंदी के बाद दिल्ली में व्यापार पर बुरा असर पड़ा है. अकेले सदर बाजार में पटाखों की 70 दुकानें बंद पड़ी हैं. इससे लगभग 500 लोगों का रोजगार जुड़ा हुआ था. वहीं दिल्ली के सभी बाजारों की बात की जाए तो यह संख्या कम से कम बढ़कर 50 हजार तक पहुंच सकती है जो पटाखों के कारोबार से जुड़े हुए थे.

बाजार में लगी भीड़.
बाजार में लगी भीड़.


पढ़ेंः कुम्हारों के चेहरे पर लौटी रौनक, बोले- इस साल बेहतर हैं हालात

दिल्ली सरकार ने जिस तरह से प्रदूषण को देखते हुए पटाखों के पर प्रतिबंध लगाया.उसी तरह से समाज की बेहतरी को देखते हुए राजधानी दिल्ली में शराब के ठेकों के ऊपर पूरी तरह से पाबंदी लगाई जानी चाहिए. लेकिन दिल्ली सरकार शराब के ठेकों पर प्रतिबंध लगाने की बजाय अब और नए-नए शराब के ठेके खुलने जा रही है. दिल्ली में महिलाओं के खिलाफ बढ़ रहे अपराध का एक प्रमुख कारण शराब है, जिसके ऊपर रोक लगाने की आवश्यकता है.

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नई दिल्लीः राजधानी दिल्ली में दीवाली पर इस बार भी पटाखों की बिक्री और स्टोरेज के पर पूरे तरीके से पाबंदी लगा दी गई है. बिक्री पर पाबंदी के कारण करीब 900 करोड़ रुपए का व्यापार प्रभावित हाेने का अनुमान है. इससे पटाखा कारोबारी परेशान हैं. उनका कहना है कि हर बार राजधानी में प्रदूषण पर लगाम लगाने को लेकर पटाखों पर ही रोक क्याें लगाई जाती है. पटाखा कारोबारी सड़क पर आ गये हैं.

दिल्ली की सबसे बड़े होलसेल मार्केट सदर बाजार में पटाखों का करोड़ों रुपए का कारोबार होता था. दिल्ली ही नहीं आसपास के जगह से भी बड़ी संख्या में लोग यहां पर पटाखे खरीदने के लिए आते थे. लगभग दाे महीने पहले पटाखों पर प्रतिबंध लगाए जाने के बाद इसका कारोबार बंद हो गया है. व्यापारी परेशान हैं. व्यापारियों ने ईटीवी भारत से बताया कि दिल्ली सरकार के द्वारा हर बार प्रदूषण के मद्देनजर सिर्फ पटाखों पर ही प्रतिबंध लगाया जाता है, और कोई कड़ा कदम नहीं उठाया जाता है.

देखिये, सदर बाजार के व्यापारियाें ने जाहिर किया आक्राेश.

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दिल्ली में प्रदूषण के और भी कई कारण हैं. वाहनों से होने वाले प्रदूषण के साथ-साथ इंडस्ट्री प्रदूषण और पराली भी मुख्य कारण हैं. दिल्ली सरकार के द्वारा पहले राजधानी में ग्रीन पटाखों की बिक्री तमाम नियमों और शर्तों के तहत इजाजत दी गई थी, लेकिन अब ग्रीन पटाखों पर भी रोक लगा दी गई है. राजधानी में अगर पटाखों पर रोक लगानी है तो हमेशा के लिए ही लगा दे. हर बार दिवाली के पहले पटाखों की बिक्री पर रोक क्याें लगाई जाती है.

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शिवकाशी से ग्रीन पटाखे दिल्ली आ गए और व्यापारियों ने उन्हें अपने गोदामों में स्टोर कर लिया उसके बाद दिल्ली सरकार के द्वारा पटाखों पर रोक लगाई गई है. जिन व्यापारियों ने रोक लगने से पहले पटाखों को मंगवा लिया था और स्टोर कर लिया था उनकी परेशानी बढ़ गई है. उन्हें पटाखे स्टोर करने वाले गोडाउन का किराया देना पड़ रहा है. एनसीआर में पटाखे चलाने के ऊपर किसी भी तरह का कोई प्रतिबंध नहीं है, पटाखों का प्रतिबंध सिर्फ दिल्ली में ही है.

पटाखों पर ही रोक क्याें, पूछ रहे व्यवसायी.
पटाखों पर ही रोक क्याें, पूछ रहे व्यवसायी.

व्यपारियाें की मानें ताे दिल्ली में तकरीबन 900 करोड रुपए के पटाखों का कारोबार होता है. एनसीआर में भी तकरीबन 500 करोड़ रुपए का पटाखों का व्यापार होता है. हर रोज बड़ी संख्या में छोटे-छोटे बच्चे पटाखों की खरीदारी करने के लिए माता पिता के साथ आते हैं लेकिन जब उन्हें पता लगता है कि पटाखों की बिक्री पर पाबंदी लगा दी गई है, तो निराश होकर चले जाते है. दिवाली के त्योहार पर दाे से तीन घंटे पटाखे फोड़ कर बच्चों को जो खुशियां मिलती है वह खुशी दिल्ली सरकार ने छीन ली है. पटाखों पर पाबंदी के बाद दिल्ली में व्यापार पर बुरा असर पड़ा है. अकेले सदर बाजार में पटाखों की 70 दुकानें बंद पड़ी हैं. इससे लगभग 500 लोगों का रोजगार जुड़ा हुआ था. वहीं दिल्ली के सभी बाजारों की बात की जाए तो यह संख्या कम से कम बढ़कर 50 हजार तक पहुंच सकती है जो पटाखों के कारोबार से जुड़े हुए थे.

बाजार में लगी भीड़.
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दिल्ली सरकार ने जिस तरह से प्रदूषण को देखते हुए पटाखों के पर प्रतिबंध लगाया.उसी तरह से समाज की बेहतरी को देखते हुए राजधानी दिल्ली में शराब के ठेकों के ऊपर पूरी तरह से पाबंदी लगाई जानी चाहिए. लेकिन दिल्ली सरकार शराब के ठेकों पर प्रतिबंध लगाने की बजाय अब और नए-नए शराब के ठेके खुलने जा रही है. दिल्ली में महिलाओं के खिलाफ बढ़ रहे अपराध का एक प्रमुख कारण शराब है, जिसके ऊपर रोक लगाने की आवश्यकता है.

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