नई दिल्ली: बुराड़ी विधानसभा के मुकुंदपुर पार्ट 2 इलाके में रहने वाली बबीता पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लॉकडाउन के चौथे चरण के शुरू होने से पहले आत्मनिर्भर बनने की अपील का इस कदर असर हुआ कि उसने सिलाई का बंद पड़ा काम दोबारा से शुरू कर दिया. बबीता बिहार की रहने वाली हैं, लेकिन उनका कहना है कि वहां कुछ नहीं है, वहां जाकर क्या करेंगे.
बबीता ने अपनी अजीविका चलाने के लिए सिलाई का काम दोबारा से शुरू कर दिया है. साथ ही बचे हुए और नए कपड़ों से मास्क सिलने का काम भी शुरू कर दिया है. बबीता इलाके में लोगों को मास्क बनाकर फ्री में बांटती हैं. साथ में उनके पति भी अपनी परचून की छोटी सी दुकान से गरीब लोगों को फ्री में राशन भी देते हैं. बबीता संपन्न लोगों से मास्क के पैसे लेती हैं लेकिन महज 5-8 रुपये में वो मास्क बेचती हैं.
लोगों को फ्री बांटे मास्क
ईटीवी भारत की टीम में मुकुंदपुर इलाके में जाकर महिला से बात की तो उन्होंने बताया कि बिहार से अपना सब कुछ बेच कर दिल्ली आ गए, कुछ सालों तक सब कुछ ठीक चला. अब लॉकडाउन के दौरान बिहार जाने की कोशिश भी की लेकिन वहां पर कुछ ना होने की वजह से दिल्ली में ही रहने का मन बनाया.
लॉकडाउन से पहले वो सिलाई का काम करती थीं, लॉकडाउन की वजह से ये काम भी बंद हो गया. प्रधानमंत्री के जनता को आत्मनिर्भर बनने के संबोधन के बाद महिला ने मास्क बनाने का काम शुरू कर दिया. अब ये महिला बबीता मास्क बना कर इलाके के गरीब लोगों को फ्री में बांट रही है, जबकि इनके पति अपनी छोटी सी परचून की दुकान पर मास्क लेकर जाते हैं और जरूरतमंदों को फ्री में देते हैं साथ ही संपन्न लोगों को पैसे में बेचते हैं.
दिल्ली में रहकर किया मुश्किलों का सामना
ईटीवी भारत से बात करते हुए महिला ने बताया कि ये अब जिस मकान में किराए पर रहते हैं, पहले ये इनका अपना मकान था. आर्थिक तंगी की वजह से इन्हें मकान को बेचना पड़ा, इसी मकान में किराए पर रहकर अपना और परिवार की गुजर-बसर कर रहे हैं. महिला के 2 बच्चे हैं, जो कि स्कूल में पढ़ाई कर रहे हैं ओर पति इलाके में ही छोटी सी परचून की दुकान चलाकर परिवार का भरण-पोषण कर रहे हैं.
'किसी से मांगकर नहीं खाया'
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जनता से आत्मनिर्भर बनने की अपील के बाद कितने लोग आत्मनिर्भर बने ये तो नहीं मालूम, लेकिन मुकंदपुर के इस छोटे से किराए के घर में रहने वाली महिला बबीता जरूर आत्मनिर्भर बन गईं हैं. अब इलाके के लोग तारीफ करते हुए कहते हैं कि आर्थिक तंगी होने पर भी इन लोगों ने किसी से मांग कर नहीं खाया और ना ही सरकार से राशन मिलने का इंतजार किया.