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MCD चुनाव: क्या AAP के लिए चुनौती बनेगी बिहार में BJP की बम्पर जीत - भ्रष्टाचार

निगम चुनाव को लेकर आम आदमी पार्टी अभी से ही मैदान में है और लगातार भाजपा पर हमलावर है, लेकिन बिहार में भाजपा की बम्पर जीत के बाद आम आदमी पार्टी की राह मुश्किल हो सकती है.

Aam Aadmi Party has started preparing for the MCD election
दुर्गेश पाठक
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Published : Nov 12, 2020, 6:57 PM IST

नई दिल्ली: निगम चुनावों में अभी करीब दो साल का समय बाकी है, लेकिन आम आदमी पार्टी अभी से चुनावी तैयारियों में जुट गई है. विधानसभा चुनाव के बाद भी आम आदमी पार्टी ने अपने एक प्रमुख नेता पीएसी सदस्य दुर्गेश पाठक को निगम प्रभारी की जिम्मेदारी सौंप दी थी. उसके बाद से दुर्गेश पाठक लगातार भाजपा शाषित निगम पर हमलावर हैं.

आम आदमी पार्टी ने चुनाव की तैयारी शुरू कर दी है


'निगम प्रभारी हैं दुर्गेश पाठक'

लगभग हर दिन दुर्गेश पाठक नए मुद्दों के साथ सामने आते हैं और निगम को भ्रष्टाचार के कटघरे में खड़ा करते हैं. बीते कुछ महीनों में ही दुर्गेश पाठक के नेतृत्व में आम आदमी पार्टी के विरोध के कारण निगम को अपने कई प्रस्ताव वापस लेने पड़े. सैलरी के लिए निगम के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे कर्मचारियों के साथ भी आम आदमी पार्टी खड़ी हुई.


'मुश्किल हो सकती है राह'

लेकिन अब इस लड़ाई में आम आदमी पार्टी की राह मुश्किल हो सकती है. आम आदमी पार्टी के आरोपों के बाद अब तक भाजपा बैकफुट पर दिख रही थी. तीनों निगमों के मेयरों ने जब फंड की मांग को लेकर सीएम आवास के सामने धरना दिया और उसके एक दिन बाद ही एमसीडी की तरफ से ही कर्मचारियों के लिए फंड रिलीज कर दिया गया. इसे लेकर आम आदमी पार्टी उल्टा भाजपा पर हमलावर हो गई.


'AAP के निशाने पर BJP'

आम आदमी पार्टी का कहना था कि निगम के पास फंड है, लेकिन सिर्फ दिल्ली सरकार को बदनाम करने के लिए ये सैलरी नहीं दे रहे थे. लेकिन अब बिहार की बम्पर जीत से उत्साहित भाजपा आम आदमी पार्टी के लिए मुश्किलें पैदा कर सकती है. इसका चुनावी आधार यह है कि दिल्ली में पूर्वांचली आबादी की अच्छी खासी तादाद है, जिसपर अब तक भाजपा की पकड़ रही है.


'पूर्वांचली आबादी महत्वपूर्ण'

बीते 15 सालों से निगम में भाजपा की सत्ता बरकरार रखने में भी इस वोट बैंक ने बड़ी भूमिका अदा की है. लॉक डाउन के दौरान भी भाजपा ने पूर्वांचलियों को यह सन्देश देने की कोशिश की थी कि आम आदमी पार्टी उन्हें दिल्ली से भगाना चाहती है. आगामी निगम चुनाव के मद्देनजर ये पूर्वांचली वोट काफी महत्वपूर्ण होंगे, जो बिहार चुनाव के परिप्रेक्ष्य में अभी भाजपा के पास हैं. देखने वाली बात होगी कि आम आदमी पार्टी इस चुनौती से कैसे निबटती है.

नई दिल्ली: निगम चुनावों में अभी करीब दो साल का समय बाकी है, लेकिन आम आदमी पार्टी अभी से चुनावी तैयारियों में जुट गई है. विधानसभा चुनाव के बाद भी आम आदमी पार्टी ने अपने एक प्रमुख नेता पीएसी सदस्य दुर्गेश पाठक को निगम प्रभारी की जिम्मेदारी सौंप दी थी. उसके बाद से दुर्गेश पाठक लगातार भाजपा शाषित निगम पर हमलावर हैं.

आम आदमी पार्टी ने चुनाव की तैयारी शुरू कर दी है


'निगम प्रभारी हैं दुर्गेश पाठक'

लगभग हर दिन दुर्गेश पाठक नए मुद्दों के साथ सामने आते हैं और निगम को भ्रष्टाचार के कटघरे में खड़ा करते हैं. बीते कुछ महीनों में ही दुर्गेश पाठक के नेतृत्व में आम आदमी पार्टी के विरोध के कारण निगम को अपने कई प्रस्ताव वापस लेने पड़े. सैलरी के लिए निगम के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे कर्मचारियों के साथ भी आम आदमी पार्टी खड़ी हुई.


'मुश्किल हो सकती है राह'

लेकिन अब इस लड़ाई में आम आदमी पार्टी की राह मुश्किल हो सकती है. आम आदमी पार्टी के आरोपों के बाद अब तक भाजपा बैकफुट पर दिख रही थी. तीनों निगमों के मेयरों ने जब फंड की मांग को लेकर सीएम आवास के सामने धरना दिया और उसके एक दिन बाद ही एमसीडी की तरफ से ही कर्मचारियों के लिए फंड रिलीज कर दिया गया. इसे लेकर आम आदमी पार्टी उल्टा भाजपा पर हमलावर हो गई.


'AAP के निशाने पर BJP'

आम आदमी पार्टी का कहना था कि निगम के पास फंड है, लेकिन सिर्फ दिल्ली सरकार को बदनाम करने के लिए ये सैलरी नहीं दे रहे थे. लेकिन अब बिहार की बम्पर जीत से उत्साहित भाजपा आम आदमी पार्टी के लिए मुश्किलें पैदा कर सकती है. इसका चुनावी आधार यह है कि दिल्ली में पूर्वांचली आबादी की अच्छी खासी तादाद है, जिसपर अब तक भाजपा की पकड़ रही है.


'पूर्वांचली आबादी महत्वपूर्ण'

बीते 15 सालों से निगम में भाजपा की सत्ता बरकरार रखने में भी इस वोट बैंक ने बड़ी भूमिका अदा की है. लॉक डाउन के दौरान भी भाजपा ने पूर्वांचलियों को यह सन्देश देने की कोशिश की थी कि आम आदमी पार्टी उन्हें दिल्ली से भगाना चाहती है. आगामी निगम चुनाव के मद्देनजर ये पूर्वांचली वोट काफी महत्वपूर्ण होंगे, जो बिहार चुनाव के परिप्रेक्ष्य में अभी भाजपा के पास हैं. देखने वाली बात होगी कि आम आदमी पार्टी इस चुनौती से कैसे निबटती है.

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