नई दिल्ली: देशभर में भले ही कोरोना का कहर बढ़ रहा हो लेकिन इस बीच कुछ सुकून देने वाले भी खबरें आ रही हैं. दिल्ली में कोरोना वायरस का कहर लगभग थम गया है और यहां दूसरे देश से कोरोना का इलाज कराने आने वाले बुजुर्ग मरीज भी तंदुरुस्त होकर वापस लौट रहे हैं. इसी कड़ी में दिल्ली के धर्मशिला हॉस्पिटल में ऐसा ही एक कमाल हुआ है, जहां 105 वर्ष की बुजुर्ग महिला कोरोना को पराजित कर विजयी होकर लौटी हैं.
दिल्ली के धर्मशिला हॉस्पिटल में 105 साल की कोविड-19 पॉजिटिव अफगानी महिला राबिया अहमद 7 दिनों तक वेंटिलेटर पर रही. इसके बावजूद उन्होंने अपनी उम्र के उस पड़ाव पर पहुंचने के बावजूद कोरोना को हरा दिया. अहमद के परिवार वालों को ऐसा लग रहा है जैसे भारत में आकर यहां के अस्पताल में ईद के अवसर पर डॉक्टरों ने उनकी 105 साल की बुजुर्ग सदस्य को ठीक करके उनके परिवार को ईदी दे दी है.
परिवार को मिली ईदी
एम्स के कार्डियो-रेडियो डिपार्टमेंट के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉक्टर अमरिंदर सिंह ने धर्मशिला हॉस्पिटल के डॉक्टरों को बधाई देते हुए फेसबुक पर एक पोस्ट लिखा है. उसमें उन्होंने अफगानी महिला के परिवार को भारत की तरफ से बकरीद की ईदी बताया है. डॉ. अमरिंदर बताते हैं कि भारत के डॉक्टर ने अफगानी महिला को ईद का बहुत बड़ा तोहफा दिया है. अफगानिस्तान की 105 साल की बुजुर्ग महिला राबिया अहमद कोविड पॉजिटिव थी. उनकी उम्र को देखते हुए और जिस तरह से उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था ऐसा बिल्कुल नहीं लग रहा था की वो कोरोना को हरा पाएंगी लेकिन ऐसा चमत्कार भारतीय डॉक्टरों ने कर दिया है.
चेस्ट में इन्फेक्शन और सांस लेने में थी तकलीफ
राबिया को सांस लेने में काफी तकलीफ हो रही थी. चेस्ट में भी बहुत इंफेक्शन था. इस खतरनाक स्थिति से बचाने के लिये राबिया अहमद को लाइफ सपोर्ट सिस्टम वेंटिलेटर पर रखना पड़ा. लेकिन इतनी सारी मुश्किलों के बावजूद बकरीद के दिन दिल्ली के डॉक्टरों ने राबिया अहमद के परिवार वालों को ईदी का तोहफा देकर उन्हें अचंभित कर दिया.
डॉ. अमरिंदर बताते हैं कि पूरी दुनिया में कोरोना फैला हुआ है. यह किसी भी उम्र, जाति या धर्म के लोगों को पकड़ सकता है. राबिया अहमद का केस कोरोना के उन मरीजों के लिए राहत की बात है जिनके दिमाग में यह बात डॉक्टरों ने और कुछ विशेषज्ञों ने भर दिया है कि कोरोना वायरस बुजुर्ग मरीजों को ज्यादा परेशान करता है. उनकी जान जाने का खतरा ज्यादा होता है.
राबिया अहमद 105 साल की बुजुर्ग हैं, इनकी तबीयत भी काफी खराब थी. इंफेक्शन इतना बढ़ गया था कि उन्हें एक सप्ताह तक वेंटिलेटर पर रखना पड़ा. इसके बावजूद राबिया ने पूरी दिलेरी के साथ ना सिर्फ कोरोना का मुकाबला किया, बल्कि उसे पराजित भी किया.