नई दिल्ली : देश में नोटबदली की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. लोग बैंकों में जाकर नोट बदल रहे है. हालांकि लोगों के मन में सवाल उठ रहे हैं कि इसका भारतीय अर्थव्यवस्था पर क्या असर पड़ेगा. इस बात को लेकर भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने एक अध्ययन किया है. जिसमें कहा गया है कि 2,000 रुपये का नोट वापस लेने के रिजर्व बैंक के फैसले से तरलता, बैंक जमा और ब्याज दरों पर अनुकूल प्रभाव पड़ेगा. दो हजार रुपये के नोट को बदलने या जमा करने के लिए 131 दिन का समय दिया गया है. नोट बदलने या जमा करने की शुरुआत मंगलवार 23 मई 2023 से हो गई है.
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एसबीआई रिसर्च की रिपोर्ट ‘इकोरैप’ में कहा गया है कि 2,000 रुपये के नोट के तौर पर कुल 3.6 लाख रुपये की मुद्रा बाजार में मौजूद है. नोटबंदी के ऐलान के साथ ही यह पूरी राशि बैंकिंग प्रणाली में वापस आने की उम्मीद है. SBI की रिपोर्ट में अनुमान जताया गया है कि 2,000 रुपये के कुल नोट में से 10 से 15 फीसदी करेंसी चेस्ट में होंगे. इसके अलावा रिपोर्ट कहती है कि इस बार 2,000 रुपये के नोट को वापस लेने का फैसला कोई बड़ा घटनाक्रम नहीं है लेकिन इसका नकदी, बैंक जमा और ब्याज दरों पर अनुकूल असर देखने को मिलेगा. रिपोर्ट में कहा गया है कि डिजिटल भुगतान के मामले में भारत मूल्य और मात्रा के हिसाब से लगातार नई ऊंचाई की ओर बढ़ रहा है.
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आपको बता दें कि 19 मई को आरबीआई ने 2000 रुपये के नोट चलन से बाहर करने का ऐलान किया. हालांकि आरबीआई ने 30 सितंबर तक इन नोटों को बैंक में जाकर बदलने का समय दिया है. आम जनता के पास नोटबदली के लिए चार महीने का समय है. 2000 रुपये के नोट 500 और 1000 रुपये की नोटबंदी के बाद 2016 में चलन में आए थे. हालांकि नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष पहले ही बता चुके हैं कि नोटबदली का इकोनॉमी पर असर देखने को नहीं मिलेगा. अब वाकई में बात कितनी सही होगी, यह आने वाला समय निर्धारित करेगा.
(भाषा इनपुट के साथ)