नई दिल्लीः सूचना प्रौद्योगिकी (इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी) कंपनी विप्रो ने नियुक्ति का इंतजार कर रहे नए कर्मचारियों के वेतन में लगभग 50 प्रतिशत तक कटौती की है. दूसरी ओर आईटी कर्मचारियों की यूनियन एनआईटीईएस ने इस कदम को अन्यायपूर्ण और स्वीकार नहीं करने वाला बताया है. साथ ही आईटी कंपनी से अपने फैसले पर दोबारा विचार करने के लिए कहा है. उद्योग (इंडस्ट्री) पर नजर रखने वालों का कहना है कि विप्रो का फैसला वैश्विक स्तर पर व्यापक आर्थिक अनिश्चितताओं और प्रौद्योगिकी कंपनियों के लिए चुनौतियों को दर्शाता है.
बेंगलुरु स्थित आईटी सेवा कंपनी विप्रो ने हाल में जिन उम्मीदवारों को 6 लाख 50 हजार रुपये प्रति वर्ष (Lakhs Per Annum) की पेशकश की थी, अब उनसे पूछा है कि क्या उन्हें इसकी जगह 3 लाख 50 हजार रुपये का पैकेज स्वीकार्य होगा. ये कर्मचारी लंबे समय से नियुक्ति का इंतजार कर रहे थे. हालांकि अब विप्रो कंपनी में नियुक्ति पाने से पहले ही कर्मचारियों को बड़ा झटका लगा है. उधर आईटी क्षेत्र के कर्मचारी संगठन एनआईटीईएस ने इस कदम की निंदा करते हुए कहा है कि यह निर्णय अन्यायपूर्ण है और निष्पक्षता तथा पारदर्शिता के सिद्धांतों के खिलाफ है. यह स्वीकार किया जाना अंसभव है.
एनआईटीईएस ने मांग की है कि प्रबंधन अपने फैसले पर दोबारा विचार करे और आपसी फायदे का रास्ता निकालने के लिए संघ के साथ सार्थक बातचीत करे. इस बारे में संपर्क करने पर विप्रो ने एक ई-मेल के जवाब में कहा है कि व्यापक वातावरण में बदलाव के मद्देनजर अपनी व्यावसायिक जरूरतों के तहत हमें अपनी नियुक्ति योजनाओं को समायोजित करना पड़ा है.
(पीटीआईः भाषा)
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