नई दिल्ली: हर व्यक्ति जिसने कहीं भी ऑन रोल नौकरी की होगी उसने कभी ना कभी प्रोविडेंट फंड या भविष्य निधि के बारे में जरूर सुना होगा. इसी प्रोविडेंट फंड की मदद से ज्यादातर नौकरी करने वाले लोग पोस्ट रिटायरमेंट लाइफ प्लान करते हैं. कुछ साल पहले तक प्रोविडेंट फंड एक ऐसा फंड माना जाता था जिसका इस्तेमाल रिटायरमेंट के बाद की किया जा सकता था. नौकरी करने वाले लोगों के लिए पोस्ट रिटायरमेंट लाइफ की जरूरतों का एक बड़ा हिस्सा इसी फंड से पूरा होता था. फिर चाहे वह घर बनाना हो या बच्चों की शादी में होने वाले खर्च. पीएफ आमतौर पर किसी भी सरकारी या निजी नौकरी करने वाले व्यक्ति की सैलरी से कटती है.
बेसिक सैलरी का 12 फीसदी पीएफ
आपकी सैलरी से कितनी रकम आपके पीएफ में ट्रांसफर होगी यह आपकी बेसिक सैलरी पर निर्भर करती है. सरकारी नियमों के अनुसार आपकी बेसिक सैलरी का 12 फीसदी हिस्सा पीएफ से कटेगा. समझने के लिए यदी आपकी बेसिक सैलरी 100 रुपये है तो इससे 12 रुपये आपके पीएफ अकाउंट में ट्रांसफर होगा. जिस संस्थान में 20 या उससे अधिक कर्मचारी काम करते हैं उनके कर्मचारी का भविष्य निधि खाता होना अनिवार्य है. यह जिम्मेदारी संस्थान की होती है कि वह अपने कर्मचारियों का पीएम खाता खुलावाये. पीएफ खाते में जमा होने वाली बचत टैक्स फ्री होती है.
सरकार पीएफ अकाउंट में जमा रकम पर 8 से 9 फीसदी तक का ब्याज देती है. इस समय यह 8.15 फीसदी है. पीएफ स्कीम का मुख्य उद्देश्य कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद आर्थिक मदद करना है.
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तीन प्रकार के होते है पीएफ
प्रोविडेंट फंड तीन प्रकार के होते है, जसमें एम्पलाई प्रोविडेंट फंड, पब्लिक प्रोविडेंट फंड, जनरल प्रोविडेंट फंड शामिल है. एम्पलाई प्रोविडेंट फंड किसी भी सरकारी कर्मचारियों या सैलरी पाने वाले कर्मचारियों के लिए होता है. पब्लिक प्रोविडेंट फंड को भारत में रहने वाला कोई भी व्यक्ति खुलवा सकता है. इसे ओपन करवाना अनिवार्य नहीं है. इसमें लंबे समय तक निवेश करके अच्छा प्रॉफिट रिटर्न हासिल कर सकते हैं. जनरल पॉविडेंट फंड योजना का लाभ केवल सरकारी कर्मचारी ही खुलवा सकते हैं. इस खाते में कर्मचारियों के मासिक वेतन से 6 फीसदी राशि कटती है.