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History of Demonetisation: 2000 रुपये के नोट बंद होने से नोटबंदी की यादें हुई ताजा, जानें इससे पहले कब- कब लिए गए ऐसे फैसले

हाल ही में आरबीआई ने 2000 रुपये के नोट बंद करने का ऐलान किया है. हालांकि 30 सितंबर 2023 तक बैंकों में जाकर इन नोटों को बदलने का समय है. तब तक ये करेंसी वैध है. लेकिन यह पहली बार नहीं है जब देश में नोटबंदी या नोटो को चलन से बाहर किया गया है. इससे पहले भी सरकार ऐसे फैसले ले चुकी है, आइए जानते हैं देश में नोटबंदी के इतिहास को...

History of Demonetisation
भारत में नोटबंदी का इतिहास
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Published : May 21, 2023, 12:47 PM IST

नई दिल्ली : रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने शुक्रवार को 2000 रुपये के नोट को चलन से बाहर करने का ऐलान किया है. लेकिन फिलहाल 2000 रुपये के नोट लीगल टेंडर में बने रहेंगे और 30 सितंबर तक इन नोटों को बैंक में बदला जा सकता है. साल 2016 में नोटबंदी का ऐताहिसक फैसला लिया गया था. इसके बाद से एक बार फिर 2000 के नोट को बंद किया जा रहा है, इससे नोटबंदी की यादें लोगों के बीच एकबार फिर ताजा हो रही है. लेकिन 2016 से पहले भी कई बार नोटबंदी के फैसले लिए गए थे, आइए जानते हैं उन फैसलों और उस समय के बारे में...

भारत में कागजी मुद्रा के इतिहास की बात करें तो इसकी शुरुआत 18वीं शताब्दी के मध्य में हुई थी. जिसमें 10, 20, 50 और 100 रुपये के मूल्यवर्ग के नोट और विक्टोरिया पोर्ट्रेट की श्रृंखला शामिल थी. इस श्रृंखला को 1867 में अंडरप्रिट श्रृंखला में बदल दिया गया था. इसके बाद 1935 में देश में केंद्रीय बैंक की स्थापना हुई.

पढ़ें : RBI To Withdraw Rs 2000 Notes: भारत में मुद्रा प्रबंधन पर रिजर्व बैंक की शक्तियों और कर्तव्य के बारे में विस्तार से जानिए

देश में पहली और दूसरी नोटबंदी
1 अप्रैल 1935 को भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की स्थापना हुई. इसके बाद 1938 में 1000 रुपये और 10,000 रुपये के नोटों की शुरुआत की गई. ये उच्च मूल्यवर्ग के नोट 1946 तक प्रचलन में रहे. इसके बाद देश में पहली नोटबंदी की गई और इन्हें बंद कर दिया गया. हालांकि 1954 में इन नोटो को फिर से शुरू किया गया. लेकिन 1978 में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार ने इन नोटों को एक बार फिर बंद कर दिया था. इस तरह यह भारत में डिमोनिटाइजेशन का दूसरा दौर था.

1978 में 500 रुपये के नोट शुरू किए गए तो वहीं, साल 2000 में 1000 रुपये के नोट पेश किए गए. महात्मा गांधी के तस्वीर वाली करेंसी नोट 1996 में जारी किए गए थे. जिन्हें बाद में महात्मा गांधी श्रृंखला 2005 के करेंसी नोटों से बदल दिया गया था. साल 2014 में केंद्र में मोदी सरकार आई. जिसने 2016 में नोटबंदी का फैसला लिया. जिसे भारत के इतिहास में एक ऐतिहासिक फैसला माना जाता है. इस फैसले के तहत 500 और 2000 रुपये के नोट बंद कर दिए गए थे.

इसे काले धन पर लगाम लगाने के लिए एक बड़ा फैसला माना जा रहा था. गौरतलब है कि भारत के इतिहास में ये डिमोनिटाइजेशन सबसे विवादित रहा है. 2018 में आरबीआई की एक रिपोर्ट के अनुसार डिमोनिटाइजेशन बैंक नोटों का लगभग 99.3 फीसदी (15.3 लाख करोड़ रुपये) बैंकों में जमा किया गया था. इसके बाद 500 और 2000 रुपये के नोट चलन में आए थे.

पढ़ें : RBI To Withdraw Rs 2000 Notes: आरबीआई ने क्यों बंद किए 2000 रुपये के नोट, जानें वजह

नई दिल्ली : रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने शुक्रवार को 2000 रुपये के नोट को चलन से बाहर करने का ऐलान किया है. लेकिन फिलहाल 2000 रुपये के नोट लीगल टेंडर में बने रहेंगे और 30 सितंबर तक इन नोटों को बैंक में बदला जा सकता है. साल 2016 में नोटबंदी का ऐताहिसक फैसला लिया गया था. इसके बाद से एक बार फिर 2000 के नोट को बंद किया जा रहा है, इससे नोटबंदी की यादें लोगों के बीच एकबार फिर ताजा हो रही है. लेकिन 2016 से पहले भी कई बार नोटबंदी के फैसले लिए गए थे, आइए जानते हैं उन फैसलों और उस समय के बारे में...

भारत में कागजी मुद्रा के इतिहास की बात करें तो इसकी शुरुआत 18वीं शताब्दी के मध्य में हुई थी. जिसमें 10, 20, 50 और 100 रुपये के मूल्यवर्ग के नोट और विक्टोरिया पोर्ट्रेट की श्रृंखला शामिल थी. इस श्रृंखला को 1867 में अंडरप्रिट श्रृंखला में बदल दिया गया था. इसके बाद 1935 में देश में केंद्रीय बैंक की स्थापना हुई.

पढ़ें : RBI To Withdraw Rs 2000 Notes: भारत में मुद्रा प्रबंधन पर रिजर्व बैंक की शक्तियों और कर्तव्य के बारे में विस्तार से जानिए

देश में पहली और दूसरी नोटबंदी
1 अप्रैल 1935 को भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की स्थापना हुई. इसके बाद 1938 में 1000 रुपये और 10,000 रुपये के नोटों की शुरुआत की गई. ये उच्च मूल्यवर्ग के नोट 1946 तक प्रचलन में रहे. इसके बाद देश में पहली नोटबंदी की गई और इन्हें बंद कर दिया गया. हालांकि 1954 में इन नोटो को फिर से शुरू किया गया. लेकिन 1978 में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार ने इन नोटों को एक बार फिर बंद कर दिया था. इस तरह यह भारत में डिमोनिटाइजेशन का दूसरा दौर था.

1978 में 500 रुपये के नोट शुरू किए गए तो वहीं, साल 2000 में 1000 रुपये के नोट पेश किए गए. महात्मा गांधी के तस्वीर वाली करेंसी नोट 1996 में जारी किए गए थे. जिन्हें बाद में महात्मा गांधी श्रृंखला 2005 के करेंसी नोटों से बदल दिया गया था. साल 2014 में केंद्र में मोदी सरकार आई. जिसने 2016 में नोटबंदी का फैसला लिया. जिसे भारत के इतिहास में एक ऐतिहासिक फैसला माना जाता है. इस फैसले के तहत 500 और 2000 रुपये के नोट बंद कर दिए गए थे.

इसे काले धन पर लगाम लगाने के लिए एक बड़ा फैसला माना जा रहा था. गौरतलब है कि भारत के इतिहास में ये डिमोनिटाइजेशन सबसे विवादित रहा है. 2018 में आरबीआई की एक रिपोर्ट के अनुसार डिमोनिटाइजेशन बैंक नोटों का लगभग 99.3 फीसदी (15.3 लाख करोड़ रुपये) बैंकों में जमा किया गया था. इसके बाद 500 और 2000 रुपये के नोट चलन में आए थे.

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