नई दिल्ली: टाटा कंज्यूमर प्रोडक्ट्स ने शुक्रवार को कहा कि संभावित अधिग्रहण के लिए बिसलेरी के साथ बातचीत बंद हो गई है. टाटा कंज्यूमर प्रोडक्ट्स लिमिटेड द्वारा स्टॉक एक्सचेंज की फाइलिंग में कहा गया कि कंपनी यह अपडेट करना चाहती है कि उसने अब एक संभावित लेनदेन के संबंध में बिसलेरी के साथ बातचीत बंद कर दी है और यह पुष्टि करने के लिए कि कंपनी ने इस मामले पर किसी भी निश्चित समझौते या बाध्यकारी प्रतिबद्धता में प्रवेश नहीं किया है.
कंपनी ने बताया कि इस मामले से संबंधित किसी भी तरह की अटकलों को रोकने के लिए घोषणा स्वेच्छा से जारी की जा रही है. बता दें कि टाटा समूह के लिए, बिसलेरी का अधिग्रहण करने से भारत में बोतलबंद पानी के ब्रांडों के अपने पोर्टफोलियो का विस्तार होता. ध्यान देने वाली बात यह है कि टाटा कंज्यूमर प्रोडक्ट्स लिमिटेड हिमालयन नेचुरल मिनरल वाटर और टाटा वाटर प्लस ब्रांड का मालिक पहले से ही है.
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि बिसलेरी कंपनी को साल 1949 में शुरू किया गया था, जब श्री जयंतीलाल चौहान ने शीतल पेय निर्माता पारले समूह की स्थापना की थी. इसने साल 1969 में एक इतालवी उद्यमी से बिसलेरी का अधिग्रहण किया था. बिसलेरी के अध्यक्ष रमेश चौहान ने कंपनी को टाटा कंज्यूमर प्रोडक्ट्स को 7,000 करोड़ रुपये (करीब 848 मिलियन डॉलर) तक बेचने का फैसला किया था, जैसा कि बीते साल नवंबर माह में कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में इसकी जानकारी दी गई थी.
टाटा कंज्यूमर प्रोडक्ट्स ने शुक्रवार को कहा कि कंपनी ने स्पष्ट किया था कि वह निरंतर आधार पर अपने व्यवसाय के विकास और विस्तार के लिए विभिन्न रणनीतिक अवसरों का मूल्यांकन करती है और इसके अनुसरण में कंपनी का प्रबंधन बिसलेरी इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड (बिसलेरी) सहित विभिन्न पक्षों के साथ विचार-विमर्श करता रहा है.
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एक श्रेणी के रूप में, बोतलबंद पानी कम मार्जिन के मामले में बेहद चुनौतीपूर्ण है और इस क्षेत्र पर नज़र रखने वालों का कहना है कि जब तक मूल्य वर्धित पेय पदार्थ, ओवरऑल पेय व्यवसाय का एक महत्वपूर्ण हिस्सा नहीं बन जाते, तब तक इसमें बदलाव की संभावना नहीं है.