नई दिल्ली : केंद्रीय बजट 2023 के पेश होने में अब ज्यादा दिनों का समय नहीं है. सभी लोग आम बजट का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं. बजट में की गई घोषणाओं का सभी सेक्टर पर व्यापक और दूरगामी प्रभाव पड़ता है. शेयर मार्केट भी इससे अछूता नहीं है. शेयर मार्केट में तेजी रहेगी या फिर गिरावट आ सकती है. इस पर मॉर्गन स्टेनली ने एक रिपोर्ट जारी की है. जिसमें कहा है कि केंद्रीय बजट का बाजार पर प्रभाव धीरे-धीरे कम हो रहा है. 2019 के बाद से अस्थिरता बढ़ी है और 2022 में 11 साल के उच्च स्तर पर पहुंच गई है. प्री-बजट इक्विटी मार्केट प्रदर्शन द्वारा मापी गई अपेक्षाएं यह निर्धारित करने में महत्वपूर्ण है कि बजट के तुरंत बाद बाजार क्या करता है.
मॉर्गन स्टेनली ने कहा कि बजट के बाद 30 दिनों में बाजार तीन में से दो मौकों पर गिरता है. अगर बजट से पहले 30 दिनों में बाजार में तेजी आई है तो इस तरह की गिरावट की संभावना 80 फीसदी तक बढ़ जाती है. 30 साल में केवल दो बार बाजार बजट से पहले और बाद में दोनों बार चढ़ा है. रिपोर्ट में कहा गया है कि इक्विटी पर प्रभावी दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ कर में वृद्धि या तो लंबी अवधि की पूंजी के लिए योग्यता प्राप्त करने के लिए होल्डिंग अवधि को 12 महीने से बढ़ाकर 2 या 3 साल करने के लिए, या कर की दर में 10 प्रतिशत से 15 प्रतिशत की वृद्धि विशेष रूप से व्यापक बाजार में शेयरों के लिए एक निराशाजनक हो सकती है.
बजट के बाद दिख सकती है अस्थिरता
बजट के बाद के प्रदर्शन की भविष्यवाणी करना मुश्किल है. एक बात जो अधिक निश्चित लगती है, वह यह है कि बजट के दिन अस्थिरता अधिक होगी. भले ही यह अस्थिरता पिछले तीन दशकों में घट रही हो. मॉर्गन स्टेनली को उम्मीद है कि बजट धीरे-धीरे राजकोषीय समेकन पर ध्यान केंद्रित करेगा. वित्त वर्ष 2024 में राजकोषीय घाटे (Fiscal deficit) में कमी के लिए एक विश्वसनीय रास्ता तैयार करेगा. साथ ही केंद्र सरकार के घाटे को सकल घरेलू उत्पाद (Gross Domestic Product) के 4.5 प्रतिशत तक कम करने के लिए मीडियम टर्म के रोड-मैप को दोहराएगा.
सार्वजनिक और निजी दोनों तरह के पूंजीगत खर्च को बढ़ावा देने के साथ निवेश-संचालित विकास का समर्थन जारी रखने और जीवनयापन को आसान बनाने पर ध्यान केंद्रित करेगा. उन्होंने कहा कि हम उम्मीद करते हैं कि बजट का फोकस रोजगार सृजन, बुनियादी ढांचे तक पहुंच और सुविधाओं की उपलब्धता में सुधार पर होगा. बाजार पर बजट का प्रभाव एक धर्मनिरपेक्ष गिरावट पर रहा है. हालांकि वास्तविक प्रदर्शन पूर्व-बजट अपेक्षाओं (बजट से पहले बाजार के प्रदर्शन से मापा जाता है) का एक कार्य है.
बाजार सहभागियों को अभी भी अस्थिरता पर बातचीत करने की जरूरत है. संभावित रूप से अधिकतम प्रभाव डालने वाले कारकों में एक विश्वसनीय राजकोषीय घाटा लक्ष्य, सरकार की व्यय योजना बनाम राजकोषीय समेकन और दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ कर में परिवर्तन शामिल हैं.
(आईएएनएस)
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