इंदौर : भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) देश के सबसे बड़े और भरोसेमंद बैंको में से एक है. देश के लाखों लोगों का अकाउंट इस बैंक में है. लोग इसमें पैसे जमा करते हैं तो वहीं, कुछ लोग अपनी जरुरतों को पूरा करने के लिए एजुकेशन लोन, होम लोन और कार लोन तक लेते हैं. होम लोन लेकर घर भी खरीदते हैं. लेकिन कुछ लोग समय पर EMI नहीं चुकाते हैं. हाल ही में आरटीआई के तहत ये खुलासा हुआ है.
सूचना के अधिकार (आरटीआई) कानून से यह जानकारी मिली है कि वित्त वर्ष 2018-19 से 2022-23 के बीच भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के 1,13,603 खाताधारकों के तय समय पर मासिक किस्त (ईएमआई) का भुगतान नहीं करने से उन्हें दिया गया 7,655 करोड़ रुपये का होम लोन फंसा है. इस अवधि के दौरान देश के सबसे बड़े बैंक ने ऐसे 45,168 खाताधारकों के 2,178 करोड़ रुपये के फंसे होम लोन को बट्टे खाते में डाला है. बैंक को जब किसी कर्ज से मुनाफा आना बंद हो जाता है, तब उसे एनपीए घोषित कर देती है. बाद में एनपीए खाते का पैसा बट्टे खाते में डाल दिया जाता है.
नीमच के आरटीआई कार्यकर्ता चंद्रशेखर गौड़ ने मंगलवार को समाचार एजेंसी पीटीआई-भाषा को बताया कि एसबीआई ने उन्हें ये आंकड़े आरटीआई कानून के तहत मुहैया कराए हैं. उन्होंने इन आंकड़ों के हवाले से बताया कि एसबीआई ने वर्ष 2018-19 में 237 करोड़ रुपये, 2019-20 में 192 करोड़ रुपये, 2020-21 में 410 करोड़ रुपये, 2021-22 में 642 करोड़ रुपये और 2022-23 में 697 करोड़ रुपये के फंसे Home Loan को बट्टे खाते में डाला.
जानकारों ने बताया कि किसी बैंक द्वारा फंसे लोन को बट्टे खाते में डालने के बावजूद कर्जदार पुनर्भुगतान के लिए उत्तरदायी बना रहता है और बट्टे खाते में डाली गई राशि वसूलने के लिए बैंक की कवायद जारी रहती है.
(पीटीआई- भाषा)