मुंबई : अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों के चलते डॉलर की मांग बढ़ने से अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपये 83.2675 के रिकॉर्ड निचले स्तर पर आ गया है. आगे चलकर रुपये का मूल्य बहुत कुछ वैश्विक बाजारों में तेल की कीमतों पर निर्भर करेगा जो अब 95 डॉलर प्रति बैरल के आसपास मंडरा रही है. आरबीआई रुपये को सहारा देने के लिए बाजार में डॉलर जारी कर रहा है, लेकिन यह भारतीय मुद्रा की गिरावट को रोकने में काफी नहीं है. देश में कच्चे तेल की जरूरतों का लगभग 85 प्रतिशत आयात करता है, जिसके लिए फिलहाल डॉलर में भुगतान करना पड़ता है.
निजी बैंक के विदेशी मुद्रा विशेषज्ञ ने बताया कि आरबीआई अपने विदेशी मुद्रा के प्रचूर भंडार के साथ रुपये की रक्षा के लिए मौजूद रहेगा और यह सुनिश्चित करेगा कि अस्थिरता पर काबू पाया जाए, लेकिन यह एक प्वाइंट से आगे नहीं जा सकता. एक विश्लेषक ने बताया कि भारतीय शेयर बाजारों में विदेशी निवेश ने भी रुपये की अस्थिरता को नियंत्रित करने में मदद की है, लेकिन यह 'हॉट मनी' है जो अचानक बाहर निकल सकता है, और इस पर भरोसा नहीं किया जा सकता.
तेल की कीमतें लगातार तीन हफ्तों से बढ़ रही हैं. सऊदी अरब और रूस द्वारा इस साल के अंत तक आपूर्ति में कटौती का फैसला करने के बाद नवंबर से अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच जाएगी. आने वाले दिनों में आपूर्ति कम होने की उम्मीद के वजह से भी कुछ घबराहट भरी खरीदारी हुई है, जिससे कीमतों में बढ़ोतरी हो रही है. सिटी बैंक ने सोमवार को भविष्यवाणी कि है- बेंचमार्क ब्रेंट क्रूड की कीमतें इस साल 100 डॉलर के स्तर को पार कर सकती हैं. इसी तरह, शेवरॉन के सीईओ माइक विर्थ ने भी कहा है कि उन्हें कच्चे तेल की कीमत 100 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर जाने की संभावना दिख रही हैं.भारत की मुद्रा, ऋण और इक्विटी बाजार मंगलवार को बंद हैं. गणेश चतुर्थी सार्वजनिक अवकाश है. बुधवार को बाजार में कारोबार फिर से शुरू होगा.
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