यरूशलम : भारत में इजराइल के पूर्व राजदूत रॉन मलका ने हाइफा पोर्ट कंपनी (एचपीसी) के कार्यकारी चेयरमैन का पदभार संभाला लिया है. एचपीसी का स्वामित्व अडाणी समूह की अगुवाई वाले संघ के पास है. अडाणी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकनॉमिक जोन (एपीएसईजेड) और इजराइल के गादोत समूह के संघ ने इजराइल में हाइफा बंदरगाह के 1.18 अरब डॉलर में निजीकरण के लिए पिछले वर्ष जुलाई में बोली जीती थी.
मलका ने को ट्वीट किया, ‘अडाणी ऑनलाइन की तरफ से हाइफा पोर्ट कंपनी के कार्यकारी चेयरमैन का पद संभालने का आज मुझे जो मौका मिला उससे मैं सम्मानित महसूस कर रहा हूं. अडाणी, गादोत के अनुभव और विशेषज्ञता के मेल और बंदरगाह कर्मियों के समर्पण से हाइफा पोर्ट समृद्धि की नई ऊंचाइयां छुएगा.’
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I'm honored and privileged to take office today as Executive Chairman of the Haifa Port Company, on behalf of @AdaniOnline. The experience and expertise of Adani and Gadot, combined with the dedication of the port workers, will take Haifa Port to new heights of prosperity 🇮🇳🤝🇮🇱 pic.twitter.com/PIVC2w576U
— Ron Malka 🇮🇱 (@DrRonMalka) April 2, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
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— Ron Malka 🇮🇱 (@DrRonMalka) April 2, 2023
इजराइल का सबसे बड़ा बंदरहगाह : मलका 2018 से 2021 तक भारत में इजराइल के राजदूत थे. हाइफा बदंरगाह शिपिंग कंटेनर के मामले में इजराइल का दूसरा सबसे बड़ा पोत और पर्यटक क्रूज शिप के मामले में सबसे बड़ा बंदरगाह है. अडाणी समूह ने इस वर्ष जनवरी में इस बंदरगाह का आधिकारिक तौर पर अधिग्रहण कर लिया था.
हाइफा पोर्ट पिछले साल प्राइवेटाइज हुआ : अडानी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक जोन (APSEZ) और इजराइल के गैडोट ग्रुप के एक कंसोर्टियम ने पिछले साल जुलाई में 1.18 बिलियन अमेरिकी डॉलर का Haifa port के प्राइवेटाइजेशन के लिए टेंडर हासिल किया था. इस ग्रुप ने इस साल 11 जनवरी को खरीद की प्रक्रिया पूरी कर ली थी, जिसके बाद बंदरगाह पर विकास का काम जोरों पर चल रहा है. कंसोर्टियम में भारतीय साझेदार की 70 प्रतिशत हिस्सेदारी है जबकि इसके इजरायली साझेदार गैडोट के पास 30 प्रतिशत हिस्सेदारी है.
(पीटीआई- भाषा)