नई दिल्ली : अरबपति उद्योगपति गौतम अडाणी (industrialist Gautam Adani) की अगुवाई वाले अडाणी समूह ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में दिए गए सेबी के आवेदन में किसी भी गड़बड़ी का कोई निष्कर्ष नहीं निकाला गया है. पूंजी बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) ने अडाणी के खिलाफ आरोपों की जांच पूरी करने के लिए न्यायालय से छह माह का और समय मांगा है.
अमेरिकी शॉर्टसेलर हिंडनबर्ग ने अपनी रिपोर्ट में अडाणी समूह पर हेराफेरी से शेयरों की कीमत बढ़ाने और नियामक खुलासे में चूक का आरोप लगाया था. समूह ने इन सभी आरोपों को निराधार बताया है. न्यायालय के समक्ष दायर एक आवेदन में सेबी ने कहा, 'वित्तीय गलत बयानी, विनियमों की धोखाधड़ी और / या लेनदेन की धोखाधड़ी से संबंधित संभावित उल्लंघनों का पता लगाने की कार्रवाई को पूरा करने में छह और महीने लगेंगे.'
सेबी को इस संबंध में दो मई को स्थिति रिपोर्ट दाखिल करनी थी, लेकिन शनिवार को उसने और समय मांगने के लिए अर्जी दी. सेबी ने शनिवार को दायर अपने आवेदन में कहा कि उसे इन मामलों में जहां प्रथम दृष्टया उल्लंघन पाए गए हैं और जहां प्रथम दृष्टया उल्लंघन नहीं मिला है, वहां विश्लेषण को फिर से सत्यापित करने और अंतिम निष्कर्ष तक पहुंचने के लिए के लिए छह महीने का और वक्त चाहिए. सेबी ने अपने आवेदन में कहा कि 12 संदिग्ध लेन-देन की जांच से पता चलता है कि ये 'जटिल हैं और इनमें कई उप-लेनदेन हैं और इन लेनदेन की एक सख्त जांच के लिए सत्यापन सहित विस्तृत विश्लेषण के साथ ही विभिन्न स्रोतों से मिले आंकड़ों को मिलाने की जरूरत होगी.'
अडाणी समूह ने बयान में कहा, 'यह ध्यान रखना उचित है कि उच्चतम न्यायालय के समक्ष दायर सेबी के आवेदन में किसी भी कथित गड़बड़ी का कोई निष्कर्ष नहीं है. कुछ हिस्सों में सेबी की जांच में देरी को संदेह के साथ देखा गया. तृणमूल सांसद महुआ मोइत्रा और शिवसेना नेता प्रियंका चतुर्वेदी ने भी ट्वीट कर सेबी पर सवाल उठाए हैं.'
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(पीटीआई-भाषा)