नई दिल्ली : अक्सर जब 25-35 साल के उम्र के बीच के युवाओं से रिटायरमेंट प्लान के बारे में पूछें तो वह कहते हैं- अभी तो इसमें वक्त है. देखते ही देखते हम उम्र की सीढ़ियां चढ़ते जाते हैं. हमें एहसास नहीं होता और हम रिटायरमेंट के करीब आ जाते हैं. इसलिए जरूरी है कि हम अपने अर्निंग शुरू होते ही रिटायरमेंट भी प्लान करें. इसके लिए कई सारी स्कीम्स बाजार में उपलब्ध हैं. जैसे- एंप्लॉय प्रोविडेंड फंड (EPF), पब्लिक प्रोविडेंड फंड (पीपीएफ), लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी, म्यूचुअल फंड और राष्ट्रीय पेंशन योजना (NPS) हैं. इनमें से किसी भी स्कीम में आप अपने रिटायरमेंट के लिए सेविंग कर सकते हैं. बस कुछ छोटी-मोटी बातों का आपको ध्यान रखना होगा. आइए इस रिपोर्ट में जानते हैं कैसे चुनें रिटायरमेंट प्लान...
जल्दी सेविंग शुरू करें
निवेश योजनाएं लंबे समय तक जारी रहने पर ही अच्छा लाभ देती हैं. मान लीजिए कि आप प्रति वर्ष 50,000 रुपये की दर से 20 वर्षों के लिए निवेश करते हैं, तो कम से कम 8 प्रतिशत के औसत रिटर्न के साथ लगभग 40 लाख रुपये का फंड तैयार किया जा सकता है. और अगर आप 5 साल बाद सेविंग शुरू करते है तो आपका फंड 15 लाख रुपये तक सीमित हो जाएगा. इसलिए, निवेश हमेशा जल्द से जल्द शुरू करना चाहिए.
हाई रिटर्न देने वाले स्कीम को चुनें
उन सेविंग स्कीम को चुनें जो समय के साथ महंगाई के अनुरुप रिटर्न देने में सक्षम हो. अगर आप लॉन्ग टर्म इंवेस्टमेंट के लिए इक्विटी आधारित योजनाओं (म्यूचुअल फंड, एनपीएस) का ऑप्शन चुनते हैं, तो आप दोहरे अंक में रिटर्न कमा सकते हैं. मान लीजिए कि आपने 1995 से निफ्टी 50 शेयरों में निवेश किया है. तब से अब तक इसमें कई बार हर साल दोहरे अंक में रिटर्न मिला है. हालांकि इसमें ध्यान देने वाली बात ये हैं कि कोई भी शेयर बाजार जोखिमों से मुक्त नहीं होता. उसमें लॉन्ग टर्म इंवेस्टमेंट में कोई नुकसान न हुआ हो.
इंवेस्टमेंट चार्ज का ध्यान रखें
बाजार आधारित योजनाओं में निवेश करते समय कुछ चार्ज लिया जाता है. इसलिए, कम प्रतिशत शुल्क वाली योजना में निवेश करना बेहतर है. भले ही आपकी धन प्रबंधन लागत 25 वर्षों में 1 प्रतिशत हो, आपके फंड में 10-15 प्रतिशत का अंतर आएगा. दूसरे शब्दों में, अगर आप कम फंड प्रबंधन खर्च का भुगतान करते हैं, तो आप 12-15 प्रतिशत अधिक फंड जमा कर सकते हैं.
टैक्स में छूट का लाभ
किसी इंवेस्टमेंट स्कीम में निवेश करने पर उस पर लगने वाले टैक्स के बारे में भी विचार करना चाहिए. सभी स्कीम्स में निवेश, इनकम और मैच्योरिटी अमाउंट के आधार पर टैक्स लगता है. उदाहरण के लिए NPS और EPF में टैक्स में छूट की सुविधा मिलती है. इसलिए ये योजना टैक्स के मामले अन्य स्कीम से बेहतर है. सभी बातों को जानने के बाद अगर आप एक ही स्कीम में सभी फायदे चाहते हैं तो NPS आपके लिए एक बेहतर ऑप्शन है. इसमें इक्विटी, कॉरपोरेट बॉन्ड और गवर्नमेंट बॉन्ड आदि शामिल हैं.
कुछ संगठन अपने कर्मचारियों को कॉर्पोरेट एनपीएस की पेशकश करते हैं. कॉरपोरेट एनपीएस में बेसिक सैलरी (डीए समेत) का 10 फीसदी निवेश किया जा सकता है. इस पर धारा 80CCD(2) के तहत टैक्स लाभ मिलता है. जो लोग पुराने टैक्स सिस्टम के अंदर आते हैं वो इस स्कीम में 50,000 रुपये तक निवेश कर सकते हैं. यह धारा 80C की 1,50,000 रुपये की सीमा के अतिरिक्त है. इसलिए, यह टैक्स के बोझ को कम करने में भी मदद करता है. NPS की निगरानी PFRDA द्वारा की जाती है. इसलिए इसमें जोखिम कम होता है.
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