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Mobile Production: 'मेक इन इंडिया' पहल का कमाल, मोबाइल प्रोडक्शन 2 अरब यूनिट को कर गया पार

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Published : Aug 14, 2023, 4:48 PM IST

काउंटरप्वाइंट रिसर्च के अनुसार, डिजिटल लिटरेसी बढ़ाने वाली भारी इंटरनल डिमांड और सरकारी दबाव के चलते मोबाइल प्रोडक्शन में बढ़ोत्तरी हुई है. जिसके चलते, भारत दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल फोन उत्पादक देश बन गया है. पढे़ं पूरी खबर...

Mobile Production
मोबाइल प्रोडक्शन

नई दिल्ली : 'मेक इन इंडिया' मोबाइल फोन शिपमेंट ने 2014-2022 के दौरान 2 बिलियन का आंकड़ा पार कर लिया, जिससे 23 प्रतिशत कंपाउंड एनुअल ग्रोथ रेट (सीएजीआर) दर्ज की गई. सोमवार को लेटेस्ट रिसर्च में इसका खुलासा हुआ. काउंटरप्वाइंट रिसर्च के अनुसार, डिजिटल लिटरेसी बढ़ाने वाली भारी इंटरनल डिमांड और सरकारी दबाव इस वृद्धि के प्रमुख कारण हैं. जिसके चलते, भारत दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल फोन उत्पादक देश बन गया है.

रिसर्च डायरेक्टर तरुण पाठक ने कहा-
'2022 में, समग्र बाजार में 98 प्रतिशत से ज्यादा शिपमेंट 'मेक इन इंडिया' थे, जबकि 2014 में वर्तमान सरकार के सत्ता संभालने के समय यह केवल 19 प्रतिशत था. उन्होंने आगे बताया, भारत में लोकल वेल्यू एडिशन वर्तमान में आठ साल पहले के निम्न एकल अंक की तुलना में औसतन 15 प्रतिशत से अधिक है.'

कई कंपनियां मोबाइल फोन के साथ-साथ कंपोनेंट्स के निर्माण के लिए देश में यूनिट्स स्थापित कर रही हैं, जिससे निवेश बढ़ रहा है, नौकरियां बढ़ रही हैं और समग्र इकोसिस्टम डेवलप हो रहा है. सरकार अब भारत को 'सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग एंड एक्सपोर्ट हब' बनाने के लिए अपनी अलग-अलग योजनाओं का लाभ उठाने का इरादा रखती है. पाठक ने कहा, 'आगे बढ़ते हुए हम प्रोडक्शन में वृद्धि देख सकते हैं, खासकर स्मार्टफोन के लिए. क्योंकि भारत शहरी-ग्रामीण डिजिटल विभाजन को पाटने और मोबाइल फोन निर्यात करने वाला पावरहाउस बनने के लिए तैयार है.

Mobile Production
भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल उत्पादक देश

सीनियर एनालिस्ट प्राचीर सिंह ने कहा-
'सरकार ने मोबाइल फोन मैन्युफैक्चरिंग सहित 14 क्षेत्रों के लिए प्रोडक्शन आधारित प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना शुरू की. जिसके चलते भारत से निर्यात बढ़ा है. आगे बढ़ते हुए सरकार का ध्यान भारत को सेमीकंडक्टर हब बनाने पर है. इसने एक सेमीकंडक्टर पीएलआई योजना प्रस्तावित की है और अब 1.4 ट्रिलियन डॉलर के प्रस्तावित निवेश के साथ बुनियादी ढांचे पर अधिक ध्यान केंद्रित कर रहा है.'

'मेक इन इंडिया' पहल के तहत, सरकार ने चरणबद्ध मैन्युफैक्चरिंग प्रोग्राम की शुरुआत की और लोकल मैन्युफैक्चरिंग और वेल्यू एडिशन को बढ़ावा देने के लिए पिछले कुछ सालों में पूरी तरह से निर्मित यूनिट्स और कुछ प्रमुख कंपोनेंट्स पर आयात शुल्क बढ़ाया. इंडिया सेल्युलर एंड इलेक्ट्रॉनिक्स एसोसिएशन (आईसीईए) के अनुसार, मैत्रीपूर्ण सरकारी नीतियों और पीएलआई योजना से उत्साहित, तकनीकी दिग्गज एप्पल द्वारा संचालित, भारत चालू वित्त वर्ष में मोबाइल निर्यात में 1,20,000 करोड़ रुपये को पार करने के लिए तैयार है.

ये भी पढ़ें-

(आईएएनएस)

नई दिल्ली : 'मेक इन इंडिया' मोबाइल फोन शिपमेंट ने 2014-2022 के दौरान 2 बिलियन का आंकड़ा पार कर लिया, जिससे 23 प्रतिशत कंपाउंड एनुअल ग्रोथ रेट (सीएजीआर) दर्ज की गई. सोमवार को लेटेस्ट रिसर्च में इसका खुलासा हुआ. काउंटरप्वाइंट रिसर्च के अनुसार, डिजिटल लिटरेसी बढ़ाने वाली भारी इंटरनल डिमांड और सरकारी दबाव इस वृद्धि के प्रमुख कारण हैं. जिसके चलते, भारत दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल फोन उत्पादक देश बन गया है.

रिसर्च डायरेक्टर तरुण पाठक ने कहा-
'2022 में, समग्र बाजार में 98 प्रतिशत से ज्यादा शिपमेंट 'मेक इन इंडिया' थे, जबकि 2014 में वर्तमान सरकार के सत्ता संभालने के समय यह केवल 19 प्रतिशत था. उन्होंने आगे बताया, भारत में लोकल वेल्यू एडिशन वर्तमान में आठ साल पहले के निम्न एकल अंक की तुलना में औसतन 15 प्रतिशत से अधिक है.'

कई कंपनियां मोबाइल फोन के साथ-साथ कंपोनेंट्स के निर्माण के लिए देश में यूनिट्स स्थापित कर रही हैं, जिससे निवेश बढ़ रहा है, नौकरियां बढ़ रही हैं और समग्र इकोसिस्टम डेवलप हो रहा है. सरकार अब भारत को 'सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग एंड एक्सपोर्ट हब' बनाने के लिए अपनी अलग-अलग योजनाओं का लाभ उठाने का इरादा रखती है. पाठक ने कहा, 'आगे बढ़ते हुए हम प्रोडक्शन में वृद्धि देख सकते हैं, खासकर स्मार्टफोन के लिए. क्योंकि भारत शहरी-ग्रामीण डिजिटल विभाजन को पाटने और मोबाइल फोन निर्यात करने वाला पावरहाउस बनने के लिए तैयार है.

Mobile Production
भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल उत्पादक देश

सीनियर एनालिस्ट प्राचीर सिंह ने कहा-
'सरकार ने मोबाइल फोन मैन्युफैक्चरिंग सहित 14 क्षेत्रों के लिए प्रोडक्शन आधारित प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना शुरू की. जिसके चलते भारत से निर्यात बढ़ा है. आगे बढ़ते हुए सरकार का ध्यान भारत को सेमीकंडक्टर हब बनाने पर है. इसने एक सेमीकंडक्टर पीएलआई योजना प्रस्तावित की है और अब 1.4 ट्रिलियन डॉलर के प्रस्तावित निवेश के साथ बुनियादी ढांचे पर अधिक ध्यान केंद्रित कर रहा है.'

'मेक इन इंडिया' पहल के तहत, सरकार ने चरणबद्ध मैन्युफैक्चरिंग प्रोग्राम की शुरुआत की और लोकल मैन्युफैक्चरिंग और वेल्यू एडिशन को बढ़ावा देने के लिए पिछले कुछ सालों में पूरी तरह से निर्मित यूनिट्स और कुछ प्रमुख कंपोनेंट्स पर आयात शुल्क बढ़ाया. इंडिया सेल्युलर एंड इलेक्ट्रॉनिक्स एसोसिएशन (आईसीईए) के अनुसार, मैत्रीपूर्ण सरकारी नीतियों और पीएलआई योजना से उत्साहित, तकनीकी दिग्गज एप्पल द्वारा संचालित, भारत चालू वित्त वर्ष में मोबाइल निर्यात में 1,20,000 करोड़ रुपये को पार करने के लिए तैयार है.

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(आईएएनएस)

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