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Share Market Performance: बड़ी कंपनियों से आगे निकली छोटी कंपनियां, शेयरों ने किया बेहतर प्रदर्शन

विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) के निवेश के चलते भारतीय शेयर बाजार गुलजार है. हालांकि यह कई फैक्टर्स पर निर्भर करता है कि भविष्य में FII investment कैसा बना रहेगा. लेकिन फिलहाल बड़ी कंपनियों के शेयरों की तुलना में छोटी और मंझौली कंपनियों के शेयर बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं.

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Published : May 29, 2023, 9:50 AM IST

चेन्नई : विशेषज्ञों ने कहा कि ऐसे समय में जब भारतीय शेयर बाजार चढ़ रहा है, मिड कैप और स्मॉल कैप सूचकांकों का प्रदर्शन लार्ज कैप की तुलना में अच्छा रहा है. आनंद राठी वेल्थ लिमिटेड के डिप्टी सीईओ फिरोज अजीज ने आईएएनएस को बताया, चालू वित्तीय वर्ष में मिड कैप सूचकांक और स्मॉल कैप सूचकांक दोनों ने निफ्टी 50 से बेहतर प्रदर्शन किया है. यह मुख्य रूप से मीन रिवर्सन के कारण है. हालांकि, हम एक पोर्टफोलियो को अलग-अलग परिप्रेक्ष्य से देखने में विश्वास करते हैं.

अजीज के अनुसार निफ्टी 100 के लिए रिटर्न की एक साल की अपेक्षित दर 13.67 प्रतिशत है, जबकि निफ्टी मिड कैप 150 के लिए यह 12.45 फीसदी है और निफ्टी स्मॉल कैप 250 के लिए यह 20.80 प्रतिशत है. अजीज ने कहा कि लार्ज कैप के लिए निवेश योग्य फंड का वांछनीय आवंटन 50 फीसदी, मिड कैप के लिए 20 फीसदी और स्मॉल कैप के लिए 30 फीसदी होगा. उन्होंने कहा कि तेल एंव गैस, धातु (लौह और अलौह दोनों) और दूरसंचार क्षेत्र तिमाही आंकड़ों के आधार पर अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं. स्वास्थ्य सेवा, धातु और तेल एवं गैस को छोड़कर अधिकांश क्षेत्रों के लिए राजस्व वृद्धि सकारात्मक है.

अजीज ने टिप्पणी की ऑटो, कैपिटल गुड्स और बैंक सेक्टर लीडर हैं. मौजूदा कमाई के पर्सेंटाइल रैंक के आधार पर बैंक, पावर और टेक ऑल-टाइम हाई पर हैं; जबकि हेल्थकेयर, आईटी और ड्यूरेबल्स में मंदी देखी गई है, हालांकि कमाई अच्छी बनी हुई है. मौजूदा पीई की पर्सेंटाइल रैंक से पता चलता है कि ऑटो, आईटी और टेक्नोलॉजी थोड़े ओवर-वैल्यूड हैं जबकि बैंक, एफएमसीजी और पूंजीगत वस्तुओं का वैल्यूएशन उचित है. यह दशार्ता है कि समृद्ध मूल्यांकन वाले कुछ क्षेत्रों में अभी भी कमाई है, जिसे पकड़ने की जरूरत है.

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शेयर बाजार में कंपनियों का प्रदर्शन

अजीज ने कहा कि जैसा भी हो विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) भारत वापस आ रहे हैं क्योंकि वार्षिक प्रक्षेपण द्वारा विकास के मामले में अर्थव्यवस्था बहुत अच्छा कर रही है. विश्लेषकों के अनुमान के अनुसार भारत 2023 में सबसे तेजी से बढ़ने वाला देश होगा, जिसमें उद्योग 5.8 प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है. भारत 2027 तक दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था होगी. अन्य मैक्रो संकेतकों और उच्च आवृत्ति डेटा के संदर्भ में, इन अधिकांश आंकड़ों से पता चलता है कि भारत की अर्थव्यवस्था अच्छा कर रही है और सकारात्मक क्षेत्र में है.

जहां तक कॉरपोरेट फंडामेंटल का संबंध है, भारत अधिकांश देशों से बेहतर कर रहा है. उन्होंने कहा, लिक्विडिटी के नजरिए से भारतीय शेयर बाजार एक स्वीट स्पॉट में बना हुआ है, विशेष रूप से घरेलू लिक्विडिटी में. भारतीय इक्विटी का मूल्यांकन 2017 के बाद से औसत से काफी नीचे है. पिछले वर्ष के औसत पर कमोबेश, औसत मूल्यांकन भी ठीक है. यह काफी आरामदायक स्थिति नहीं है. जबकि उपरोक्त घरेलू कारक मौजूद हैं, वैश्विक कारकों पर अजीज ने कहा कि दुनिया भर में ब्याज दर का परिदृश्य उच्च बना हुआ है. दरें बढ़ने के साथ इक्विटी का मूल्य गिरता है, जबकि भारत में हम नीतिगत दर में वृद्धि के अंतिम बिंदु पर हैं.

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अजीज ने कहा, ब्याज दरों के ऊंचे रहने की संभावना के साथ दुनिया भर में मंदी का खतरा बढ़ गया है. विशेष रूप से भू-राजनीतिक तनावों के साथ. हालांकि, भारत में तरलता और ब्याज दर परिदृश्य मजबूत बना हुआ है और मंदी की संभावना कम है. रूस-यूक्रेन संकट, चीन-अमेरिका संघर्ष और ताइवान संकट के साथ दुनिया भर में भू-राजनीतिक परिदृश्य अस्थिर बना हुआ है. उनके अनुसार, यदि मंदी होती है या विकास दर उम्मीद से कम रहती है, मुद्रास्फीति बढ़ती है, ब्याज दरों में बढ़ोतरी होती है और मौसम की स्थिति कृषि उत्पादन को प्रभावित करती है और खपत क्षेत्र में व्यवधान होता है तो एफआईआई अपने पैसा बाजार से निकाल सकते हैं.

(आईएएनएस)

चेन्नई : विशेषज्ञों ने कहा कि ऐसे समय में जब भारतीय शेयर बाजार चढ़ रहा है, मिड कैप और स्मॉल कैप सूचकांकों का प्रदर्शन लार्ज कैप की तुलना में अच्छा रहा है. आनंद राठी वेल्थ लिमिटेड के डिप्टी सीईओ फिरोज अजीज ने आईएएनएस को बताया, चालू वित्तीय वर्ष में मिड कैप सूचकांक और स्मॉल कैप सूचकांक दोनों ने निफ्टी 50 से बेहतर प्रदर्शन किया है. यह मुख्य रूप से मीन रिवर्सन के कारण है. हालांकि, हम एक पोर्टफोलियो को अलग-अलग परिप्रेक्ष्य से देखने में विश्वास करते हैं.

अजीज के अनुसार निफ्टी 100 के लिए रिटर्न की एक साल की अपेक्षित दर 13.67 प्रतिशत है, जबकि निफ्टी मिड कैप 150 के लिए यह 12.45 फीसदी है और निफ्टी स्मॉल कैप 250 के लिए यह 20.80 प्रतिशत है. अजीज ने कहा कि लार्ज कैप के लिए निवेश योग्य फंड का वांछनीय आवंटन 50 फीसदी, मिड कैप के लिए 20 फीसदी और स्मॉल कैप के लिए 30 फीसदी होगा. उन्होंने कहा कि तेल एंव गैस, धातु (लौह और अलौह दोनों) और दूरसंचार क्षेत्र तिमाही आंकड़ों के आधार पर अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं. स्वास्थ्य सेवा, धातु और तेल एवं गैस को छोड़कर अधिकांश क्षेत्रों के लिए राजस्व वृद्धि सकारात्मक है.

अजीज ने टिप्पणी की ऑटो, कैपिटल गुड्स और बैंक सेक्टर लीडर हैं. मौजूदा कमाई के पर्सेंटाइल रैंक के आधार पर बैंक, पावर और टेक ऑल-टाइम हाई पर हैं; जबकि हेल्थकेयर, आईटी और ड्यूरेबल्स में मंदी देखी गई है, हालांकि कमाई अच्छी बनी हुई है. मौजूदा पीई की पर्सेंटाइल रैंक से पता चलता है कि ऑटो, आईटी और टेक्नोलॉजी थोड़े ओवर-वैल्यूड हैं जबकि बैंक, एफएमसीजी और पूंजीगत वस्तुओं का वैल्यूएशन उचित है. यह दशार्ता है कि समृद्ध मूल्यांकन वाले कुछ क्षेत्रों में अभी भी कमाई है, जिसे पकड़ने की जरूरत है.

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शेयर बाजार में कंपनियों का प्रदर्शन

अजीज ने कहा कि जैसा भी हो विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) भारत वापस आ रहे हैं क्योंकि वार्षिक प्रक्षेपण द्वारा विकास के मामले में अर्थव्यवस्था बहुत अच्छा कर रही है. विश्लेषकों के अनुमान के अनुसार भारत 2023 में सबसे तेजी से बढ़ने वाला देश होगा, जिसमें उद्योग 5.8 प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है. भारत 2027 तक दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था होगी. अन्य मैक्रो संकेतकों और उच्च आवृत्ति डेटा के संदर्भ में, इन अधिकांश आंकड़ों से पता चलता है कि भारत की अर्थव्यवस्था अच्छा कर रही है और सकारात्मक क्षेत्र में है.

जहां तक कॉरपोरेट फंडामेंटल का संबंध है, भारत अधिकांश देशों से बेहतर कर रहा है. उन्होंने कहा, लिक्विडिटी के नजरिए से भारतीय शेयर बाजार एक स्वीट स्पॉट में बना हुआ है, विशेष रूप से घरेलू लिक्विडिटी में. भारतीय इक्विटी का मूल्यांकन 2017 के बाद से औसत से काफी नीचे है. पिछले वर्ष के औसत पर कमोबेश, औसत मूल्यांकन भी ठीक है. यह काफी आरामदायक स्थिति नहीं है. जबकि उपरोक्त घरेलू कारक मौजूद हैं, वैश्विक कारकों पर अजीज ने कहा कि दुनिया भर में ब्याज दर का परिदृश्य उच्च बना हुआ है. दरें बढ़ने के साथ इक्विटी का मूल्य गिरता है, जबकि भारत में हम नीतिगत दर में वृद्धि के अंतिम बिंदु पर हैं.

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अजीज ने कहा, ब्याज दरों के ऊंचे रहने की संभावना के साथ दुनिया भर में मंदी का खतरा बढ़ गया है. विशेष रूप से भू-राजनीतिक तनावों के साथ. हालांकि, भारत में तरलता और ब्याज दर परिदृश्य मजबूत बना हुआ है और मंदी की संभावना कम है. रूस-यूक्रेन संकट, चीन-अमेरिका संघर्ष और ताइवान संकट के साथ दुनिया भर में भू-राजनीतिक परिदृश्य अस्थिर बना हुआ है. उनके अनुसार, यदि मंदी होती है या विकास दर उम्मीद से कम रहती है, मुद्रास्फीति बढ़ती है, ब्याज दरों में बढ़ोतरी होती है और मौसम की स्थिति कृषि उत्पादन को प्रभावित करती है और खपत क्षेत्र में व्यवधान होता है तो एफआईआई अपने पैसा बाजार से निकाल सकते हैं.

(आईएएनएस)

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