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जानिए, SEBI ने मुकेश अंबानी पर क्यों लगाया था 24 करोड़ का जुर्माना - सेबी

रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी और उनकी कंपनी आरआईएल के खिलाफ SEBI के आदेश को SAT ने रद्द कर दिया है. जानिए मुकेश अंबानी पर क्यों लगाया गया था 25 करोड़ का जुर्माना. पढ़ें पूरी खबर...( sebi penalty on mukesh ambani, Mukesh Ambani)

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Dec 6, 2023, 10:23 AM IST

मुंबई : रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन और अरबपति मुकेश अंबानी और दो अन्य कंपनियों को बड़ी राहत मिली है. सिक्यूरिटीज अपीलेट ट्रिब्यूनल (sat) ने सोमवार को इन पर जुर्माना लगाने का मार्केट रेगुलेटर सेबी (SEBI) के आदेश को सोमवार को रद्द कर दिया. बता दें, नवंबर 2007 में पूर्ववर्ती रिलायंस पेट्रोलियम लिमिटेड (आरपीएल) के शेयरों में कथित हेराफेरी से संबंधित मामले में यह जुर्माना लगाया गया था.

भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने 2021 में एक आदेश पारित किया था. जिसमें नवंबर 2007 में पूर्ववर्ती रिलायंस पेट्रोलियम लिमिटेड (आरपीएल) के शेयरों में कथित हेरफेर से जुड़ी आरआईएल के अध्यक्ष मुकेश अंबानी और दो अन्य संस्थाओं पर भारी जुर्माना लगाया गया था.

हालांकि, इस मामले की सभी संस्थाओं ने 2021 के आदेश के संबंध में ट्रिब्यूनल के समक्ष अपील की और अंबानी और उनकी कंपनी पर लगाया गया जुर्माना रद्द कर दिया गया. इस मामले में आरआईएल के अलावा अन्य दो संस्थाएं नवी मुंबई एसईजेड और मुंबई एसईजेड शामिल हैं. मामले में जनवरी 2021 में सेबी ने रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (आरआईएल) पर 25 करोड़ रुपये, कंपनी के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक अंबानी पर15 करोड़ रुपये, नवी मुंबई एसईजेड प्राइवेट लिमिटेड पर 20 करोड़ रुपये और मुंबई एसईजेड पर 10 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था.

अंबानी पर क्यों लगाया गया जुर्माना?
बता दें, यह मामला 2007 का है और यह रिलायंस पेट्रोलियम लिमिटेड (आरपीएल) की बिक्री और खरीद से संबंधित है. आरआईएल ने मार्च 2007 में आरपीएल में 5 प्रतिशत शेयर बेचने का फैसला किया था, जो रिलायंस की एक सूचीबद्ध सहायक कंपनी थी और बाद में 2009 में आरआईएल में विलय कर दी गई थी. सेबी ने12 करोड़ रुपये के शेयरों की बिक्री में अधिग्रहण विनियमन उल्लंघन का हवाला दिया. यूनिट ने आरोप लगाया कि फर्म के प्रमोटरों ने कंपनी में 6.83 फीसदी हिस्सेदारी ले ली है, जो 5 फीसदी की विनियमित सीमा से ज्यादा है.

वहीं, 2021 में सेबी ने मुकेश अंबानी और उनकी फर्म को शेयरों के एक्विजिशन में हेरफेर करने का दोषी पाया और बिजनेसमैन और उनके भाई अनिल अंबानी, उनकी मां, पति-पत्नी, बच्चों और सौदे से जुड़ी अन्य इन्स्टिटूशन पर 25 करोड़ रुपये का फाइन लगाया.

सेबी का आदेश क्यों हुआ रद्द?
प्रतिभूति अपीलीय न्यायाधिकरण (SAT) ने मुकेश अंबानी के खिलाफ आदेश को रद्द करने का फैसला किया और सेबी को बताया कि आरआईएल के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक को कॉर्पोरेट संस्थाओं के द्वारा कानून के हर कथित उल्लंघन के लिए जिम्मेदार नहीं माना जा सकता है. ट्रिब्यूनल ने कहा कि सेबी यह साबित करने में विफल रहा कि अंबानी दो वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा किए गए लेनदेन के निष्पादन में शामिल थे. इस प्रकार, अंबानी और RIL के खिलाफ लगाए गए फाइन को रद्द कर दिया गया है.

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मुंबई : रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन और अरबपति मुकेश अंबानी और दो अन्य कंपनियों को बड़ी राहत मिली है. सिक्यूरिटीज अपीलेट ट्रिब्यूनल (sat) ने सोमवार को इन पर जुर्माना लगाने का मार्केट रेगुलेटर सेबी (SEBI) के आदेश को सोमवार को रद्द कर दिया. बता दें, नवंबर 2007 में पूर्ववर्ती रिलायंस पेट्रोलियम लिमिटेड (आरपीएल) के शेयरों में कथित हेराफेरी से संबंधित मामले में यह जुर्माना लगाया गया था.

भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने 2021 में एक आदेश पारित किया था. जिसमें नवंबर 2007 में पूर्ववर्ती रिलायंस पेट्रोलियम लिमिटेड (आरपीएल) के शेयरों में कथित हेरफेर से जुड़ी आरआईएल के अध्यक्ष मुकेश अंबानी और दो अन्य संस्थाओं पर भारी जुर्माना लगाया गया था.

हालांकि, इस मामले की सभी संस्थाओं ने 2021 के आदेश के संबंध में ट्रिब्यूनल के समक्ष अपील की और अंबानी और उनकी कंपनी पर लगाया गया जुर्माना रद्द कर दिया गया. इस मामले में आरआईएल के अलावा अन्य दो संस्थाएं नवी मुंबई एसईजेड और मुंबई एसईजेड शामिल हैं. मामले में जनवरी 2021 में सेबी ने रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (आरआईएल) पर 25 करोड़ रुपये, कंपनी के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक अंबानी पर15 करोड़ रुपये, नवी मुंबई एसईजेड प्राइवेट लिमिटेड पर 20 करोड़ रुपये और मुंबई एसईजेड पर 10 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था.

अंबानी पर क्यों लगाया गया जुर्माना?
बता दें, यह मामला 2007 का है और यह रिलायंस पेट्रोलियम लिमिटेड (आरपीएल) की बिक्री और खरीद से संबंधित है. आरआईएल ने मार्च 2007 में आरपीएल में 5 प्रतिशत शेयर बेचने का फैसला किया था, जो रिलायंस की एक सूचीबद्ध सहायक कंपनी थी और बाद में 2009 में आरआईएल में विलय कर दी गई थी. सेबी ने12 करोड़ रुपये के शेयरों की बिक्री में अधिग्रहण विनियमन उल्लंघन का हवाला दिया. यूनिट ने आरोप लगाया कि फर्म के प्रमोटरों ने कंपनी में 6.83 फीसदी हिस्सेदारी ले ली है, जो 5 फीसदी की विनियमित सीमा से ज्यादा है.

वहीं, 2021 में सेबी ने मुकेश अंबानी और उनकी फर्म को शेयरों के एक्विजिशन में हेरफेर करने का दोषी पाया और बिजनेसमैन और उनके भाई अनिल अंबानी, उनकी मां, पति-पत्नी, बच्चों और सौदे से जुड़ी अन्य इन्स्टिटूशन पर 25 करोड़ रुपये का फाइन लगाया.

सेबी का आदेश क्यों हुआ रद्द?
प्रतिभूति अपीलीय न्यायाधिकरण (SAT) ने मुकेश अंबानी के खिलाफ आदेश को रद्द करने का फैसला किया और सेबी को बताया कि आरआईएल के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक को कॉर्पोरेट संस्थाओं के द्वारा कानून के हर कथित उल्लंघन के लिए जिम्मेदार नहीं माना जा सकता है. ट्रिब्यूनल ने कहा कि सेबी यह साबित करने में विफल रहा कि अंबानी दो वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा किए गए लेनदेन के निष्पादन में शामिल थे. इस प्रकार, अंबानी और RIL के खिलाफ लगाए गए फाइन को रद्द कर दिया गया है.

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